Book Title: Shrutsagar 2019 02 Volume 05 Issue 09
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR February-2019 श्री सिंहकुशल मुनि कृत अर्बुदाचलगिरि स्तवन राहुल आर. त्रिवेदी विश्व के प्रत्येक धर्म में तीर्थस्थानों को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है। जैन धर्म में तीर्थंकर भगवन्तों के च्यवन, जन्म, दीक्षा, केवलज्ञान एवं मोक्ष इन पाँचों कल्याणकों से पावन स्थान तथा प्रभु के समवसरण स्थल, प्रभु की विहार भूमि, प्रभु के चातुर्मास स्थल एवं उनके जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं से संबंधित स्थल, मुनि भगवन्तों का साधनास्थल, व निर्वाण भूमि, किसी जिन प्रतिमा के विशिष्ट चमत्कारों के कारण प्रसिद्ध स्थान, विशिष्ट कलात्मक मंदिर व स्मारक ये सभी जैन परंपरा के पावन-पूजनीय स्थावर तीर्थ माने गए हैं। इन स्थानों की यात्रा कर मानव अपना जन्म सफल बनाता है। अतः शास्त्र में तीर्थमहिमा के लिए कहा है कि अन्यस्थाने कृतं पापं तीर्थस्थाने विनश्यति । तीर्थस्थाने कृतं पापं वज्रलेपो भविष्यति ॥ अन्य स्थानों पर किए गए पाप तीर्थ स्थानों की यात्रा करने और वहाँ आराधना करने से नष्ट हो जाते हैं। अतः तीर्थ स्थानों में मर्यादा का संपूर्ण पालन करना चाहिए। तीर्थयात्रा करने जाते हों, तब हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम तीर्थ स्थान में आए हैं। यहाँ पर हम संसार-सागर से पार उतरने के लिए आए हैं, डूबने के लिए नहीं। यहाँ कर्म तोड़ने के लिए आए हैं, कर्म बांधने के लिए नहीं। अतः तीर्थ स्थानों पर अंतःकरण में शुद्ध भाव रखने चाहिए। आत्मा को पवित्र भावों से भावित करने वाले विश्व में कई तीर्थक्षेत्र हैं, उनमें से यहाँ एक तीर्थ श्रीअर्बुदाचलजी की बात करने जा रहे हैं। तीर्थ की महिमा व इतिहास से प्रायः सभी परिचित हैं। इस तीर्थ के विषय में अद्यपर्यन्त संस्कृत प्राकृत व देशी भाषा में गद्य व पद्यात्मक कृतियाँ प्राप्त होती हैं। उनमें से यहाँ प्रायः अप्रकाशित एक कृति मुनि श्री सिंहकुशल के द्वारा रचित अर्बुदाचलगिरितीर्थ स्तवन प्रकाशित की जा रही है। कृति परिचय - कृति की भाषा मारुगुर्जर है। पद्यबद्ध इस कृति में १८ गाथाएँ हैं। कर्ता ने प्रथम गाथा में अर्बुदगिरि पर शोभायमान ऋषभजिणंद को नमस्कार किया है। कर्ता For Private and Personal Use Only

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