Book Title: Shrutsagar 2019 02 Volume 05 Issue 09
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
श्रुतसागर
20
फरवरी-२०१९ प्रत परिचय:
प्रस्तुत कृतिथी संबंधित प्रत आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबामां उपलब्ध छ । हस्तप्रत संख्या ५०२८२ना आधारे आ कृतिनुं संपादन करवामां आव्यु छे। आ प्रति मात्र एक पानानी छे आ प्रतनी लेखनशैलीना आधारे प्रतिलेखन वर्ष वि.सं.१९वीं अनुमानित कही शकाय। आ प्रत श्री शिवविजयजी गणिए श्रीपद्महर्ष गणि अने श्रीराजहर्ष मुनिना पठनार्थे लखी छे । आ प्रतनी लेखनशैली सुंदर, स्पष्ट अने सुवाच्य छ।
जीवविचारसज्झाय
॥१॥
॥२॥
॥३॥
॥४॥
O॥ ऋषभादिक जिनवर चउवीस, चरण कमल तस नामी सीस। बोलिसु चउदस जीव विचार, श्री गुरुगम आगम अनुसारि सुखिम बादर एगिंदीया बिति, चउरिंदी विगलिंदीया। सन्निअसन्नि पंचिंदीया, पज्जेअर चउदस भेदया नारय तिरि नरसुर गति चार, दुग चउदस तिदु जीवविचार । सन्नि असन्नि दुग-दुग गती, सन्नि पणिंदी दुग चउगती पण सुखिम थावर सवि लोइ, बादर निज निज थानिक होइ। सग पुढवी नारय सुर बार, बादर दग वणसइ सुविचार नारइ सग पूढवी सिधसिला, बादर पुढवीकायक भला। बादर तेउकाय नर लोइ, वाउ तिलोइ विगल तिरिलोइ विगलिंदी थावर नारया, तह असन्नि नपुंसक कह्या । नर तिरी तिवेयदु देव दुवेय, तदुवरि देवलोइ नरवेय कर्मबद्ध चउ प्रत्यय थाय, मिथ्या अविरति योग कषाया। पण बारस पणदस पणवीस, हेतु सतावन कहइ जगदीस हेतु सतावन नरगति होइ, आहारक दुग विण तिरि जोइ। उरलाहार वेय दुग विना, नारइ इगवन सुर बावना चिहुं गतिथी आवइ नर तीरी, तिम चिहुं गति जाइ नर तिरी। नारइ नारय सुर नवि थाय, तिम सुर सुर नारय नवि थाय
॥५॥
॥६॥
||७||
॥८॥
॥९॥
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36