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शिवजी आचार्यना बारमास
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फरवरी-२०१९
गणि सुयशचंद्र विजय
ऋतु वर्णनने समावता अनेकानेक गद्य-पद्य वर्णनो आपणने विविध ग्रंथोमां जोवा मळे छे। ऋतुओना सापेक्षपणे मानवमनमां उद्भवती विरहनी वेदना, प्रणयनी उत्कटता, मिलननी आतुरता विगेरे विगेरे लागणीओनुं पद्य गद्य स्वरूपे प्राकृत, संस्कृत तथा गुर्जरादि भाषाओमां वर्णन गुंथेलुं आपणे त्यां जोई शकीए छीए । मेघदूत महाकाव्य, वसंतविलास फागु विगेरे रचनाओ ऋतु वर्णन साथे आंतरिक भावोनो चितार आलेखती नानी मोटी घणी रचनाओ प्रसिद्ध छे ।
उपर वर्णावायेली रचनाओनी जेम ज बारमासा काव्यने पण ऋतुवर्णन संज्ञक काव्य कहीशुं. बारेमासना प्राकृतिक वर्णनोनी साथे कथा (कृति) नायकनी साभ्यंतर लागणीओनुं चित्रण अहीं रजू कराय छे। प्रस्तुत कृतिमां माता तेजलदेना पक्षे आपणे जोई शकी के कई रीते माता तेजलदे पुत्र शिवकुमारने संसारना भौतिक सुखोनुं तथा संयमजीवनना कष्टोनुं वर्णन समजावता बारे महिनाना वर्णनने गुंथी काढे छे। तो सा पक्षे पुत्र शिवजीकुमार ते ज मासना वर्णनने कई रीते आभ्यंतर समृद्धिना उपलक्षमां आयोजी पोतानी संयम ग्रहण करवानी तलपने माता पासे रजू करे छे ते पण अहीं समजवा मळशे. कृतिने बीजी रीते संवादात्मक रचना पण कही शकाय । कविए मातापुत्रना संवादने ओछा पण रसाळ शब्दोमां अहीं गुंथी काढ्यो छे । वाचको मूळ कृतिथी ज रसास्वाद मेळवे ते माटे फक्त बीजु क्रियापदादिमां वपरायेला इकार वाला कहि, वीनवि, चैत्रमि, तपि वगेरे प्रयोगो ध्यानार्ह छे, जे वाचको ध्यानमां ले ।
प्रस्तुत कृतिनी रचना कवि धर्मसंघ(धर्मसिंघ ) जीए करी छे । कृतिमां तेमना के पूज्य आचार्य शिवजीना गच्छादि विशे कशी माहिती मळती नथी परंतु तेमने सत्ता समय तथा मळता अन्य ग्रंथादिना प्रमाणो उपरथी आचार्य शिवजी तथा धर्मसिंघजी लोंकागच्छनी परंपरामां थयेला मुनि भगवंतो छे। आचार्य शिवजीना जीवन उपर आ कृति सिवाय आचार्य शिवजी मुनि रास तथा सलोको एम बे अन्य रचनाओ जैन गुर्जर कविओमां नोंधायेली छे विशेष विगतो माटे विद्वानोने ते ग्रंथ जोवा भलामण ।
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प्रान्ते संपादनार्थे प्रस्तुत कृतिनी हस्तप्रत जेरोक्ष आपवा बद्दल श्रीनित्य-मणिजीवन-जैन ज्ञानभंडार (चाणस्मा) ना व्यवस्थापक ट्रस्टीगणनो खूब खूब आभार ।