Book Title: Shrutsagar 2019 02 Volume 05 Issue 09
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 25
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra SHRUTSAGAR www.kobatirth.org 25 शिवजी आचार्यना बारमास ॥८०॥ राग-सारंग मल्हार ॥ हींडोलणानी देसी ॥ श्री जिनवर पयकमल प्रणमी, पामी सहिगुरु पसाय । श्रीशिवजी गछराज गाउं, बारमास उछाय नवि-नगरि संघवी अमरसी, तेजलदे तस नारि । तास नंदन जन-आनंदन, नामि शिवजीकुमार श्रीरतनागु(ग)रु चरण वंद्या, पाम्या मन वैराग । मातनि जई वीनवि, तव मात कहि धरी राग सुसनेहा नंदन मानो रे शिवजी कुमार (ए आंकणी) दू राग धरी माता कहि, सांभलि शिवजी कुमार । बार [र]स खेली करी, पछि लेज्यो संयमभार [ ढाल] चित्त प्रमोदि चैत्र मासि, खेलो बाग मझारि । मचकुंद पाडल मालती, तीहं मधुकर गुंजार सार नीर सुगंध शीतल, स्वाद त्रिविध समीर । तेणि दिन साधुनि मलीन गात्रि, अहो नसि रहेवं वीर दूहा संयम सूंदर प्रेमरस, नव विधि सीयल बाग । कृपा-कमल वर चैत्रमि, खेलूं जल वइराग ढाल वैसाख फूल्यो फूटरो’, द्रुम धर्यो भर सणगार । कोयल मधुरा स्वर करि, रस रस लीइ सहिकार केसर कस्तु(स्तू)री कपूर चंदन, धोल ललित शरीर । अंबरस धृत-खंडरसमां, तेणि दिन जमो माहरा वीर १. हंमेश, २. सुंदर, ३. लिप्त, लेपायेल, For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir February-2019 11811 11211 11311 11811 11411 सुसनेहा.......॥६॥ 11911 11211 सुसनेहा... || ९ ||

Loading...

Page Navigation
1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36