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श्रुतसागर
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फरवरी-२०१९
समाचारसार
पूज्य राष्ट्रसंत आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराजा का
शाजापुर, ग्वालियर व शिवपुरी नगर में भव्य प्रवेश प्रभु नेमिनाथ भगवान की कल्याणक भूमि शौरीपुर की प्रतिष्ठा हेतु जाते हुए पूज्य राष्ट्रसन्त आचार्य भगवन्त श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. आदिठाणा का दि. १२-१-२०१९ शनिवार को मध्यप्रदेश के शाजापुर नगर में मंगलमय प्रवेश हुआ। मीडिया प्रभारी मंगल नाहर ने बताया कि समाज में सद्भावना, प्रेम, मैत्री और एकता का सन्देश देने के उद्देश्य से देश के कई नगरों और महानगरों का भ्रमण करते हुए आचार्यदेव आज शाजापुर पहुंचे। यहाँ नगरजनों ने जीवाजी क्लब में पूज्य आचार्यश्री का स्वागत किया। यहाँ से पूज्य आचार्यश्री ओसवालशेरी जैन उपाश्रय पहुँचे। श्री लोकेन्द्र नारेलिया, सुरेश जैन, सपन जैन, तेजमल जैन, त्रिलोकचंद जैन, पारस मांडलिक, मनोज गोलेछा, नरेश कोठारी, महेश जैन, राजू तातेड़, अजय कोठारी, आशुतोष चोपड़ा, विजय नाहर तथा मनीष जैन सहित बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग शामिल हुए। मुम्बई से प्रारम्भ हुई यह पदयात्रा देश के कई स्थानों का भ्रमण करती हुई शनिवार को शाजापुर पहुंची।
पूज्य आचार्यश्री ने अपने शिष्यमंडल के साथ दि. १४-१-२०१९ सोमवार को मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में मंगलमय प्रवेश किया। सराफा बाजार स्थित जैन श्वेताम्बर उपाश्रय भवन में परम पूज्य आचार्य भगवन्त ने अपने मधुर और हृदयस्पर्शी प्रवचन से उपस्थित जनसमुदाय को मन्त्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि धर्म की राह पर चलने के लिए इन्द्रियों के ऊपर नियन्त्रण करना जरूरी है, क्योंकि इन्द्रियाँ ही पाप के द्वार हैं। आचार्यश्री ने अपने प्रवचन में जीवन को सरल और साकार बनाने के लिए छोटे-छोटे उपायों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को वर्तमान में जीना चाहिए। भूतकाल से दुःखी होकर या भविष्य की चिन्ता करके वर्तमान को नष्ट नहीं करना चाहिए। प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया निश्चित रूप से होती है। हमें अपनी सोच सदैव सकारात्मक रखनी चाहिए। सकारात्मक सोच ही मनुष्य को जीवन में सफल बना सकती है। इस अवसर पर पूर्वमन्त्री एवं विधायक श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ने पूज्य आचार्यश्री के प्रवचनों का लाभ लिया तथा उनसे आशीर्वाद ग्रहण किया। विधायक प्रवीण पाठक, श्रीसंघ के अध्यक्ष निर्मल कोठारी, अजय नाहटा, सुशील श्रीमाल एवं पारसमल पारेख भी उपस्थित थे।
दि. ३० नवंबर २०१८ को पूज्य आचार्यश्री ने शिवपुरी में प्रवेश किया, जहाँ उनकी प्रारम्भिक शिक्षादीक्षा हुई थी, शिवपुरी के वी.टी.पी. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पूज्य आचार्यश्री ने अपनी बाल्यावस्था की मधुरस्मृतियों को ताजा किया। वर्ष १९४९-५० में जब पूज्य आचार्यश्री मात्र १६ वर्ष के थे, तब इस विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने हेतु आए थे, उस समय इसे गुरुकुल कहा जाता था। पूज्य आचार्यश्री ने कहा कि यहाँ उन्हें जो संस्कार मिले, उन्हीं संस्कारों की वजह से वे आध्यात्मिक मार्ग की ओर बढ़े और जैनेश्वरी दीक्षा ग्रहण कर आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त किया। इस दौरान कई संस्मरण सुनाए और स्वयं को पढ़ानेवाले गुरुओं का स्मरण किया। आयोजन के दौरान स्कूल के संचालक कमीटी के डॉ. नीमा जैन, प्रवीण कुमार, यसवंत जैन आदि ने गुरुपूजन किया और अन्त में श्री आर. के. जैन ने आभार प्रदर्शन किया। आयोजन के दौरान पूज्य आचार्यश्री के शिष्य पूज्य गणिवर्य प्रशान्तसागरजी म. सा., मुनि श्री भुवनपद्मसागरजी म. सा., श्री पुनीतपद्मसागरजी म. सा. तथा श्री ज्ञानपद्मसागरजी म. सा. ने छात्रों को आशीर्वाद प्रदान किए तथा पुरस्कार वितरण करवाए। यह पुरस्कार समाजसेवी श्री तेजमल सांखला ने बँटवाए।
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