Book Title: Shrutsagar 2016 07 Volume 03 02
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 24
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR July-2016 द्वारे वा ८.१.७९ - स्वर परिवर्तन के विविध रूपों में आ के स्थान पर ए होता है जो कि द्वारे शब्द में वैकल्पिक रूप से प्राप्त होता है। द्वार शब्द में जब आ के स्थान पर ए नहीं होता तब दुआरं, दार, बारं इस प्रकार के तीन रूप प्राप्त होते हैं। नारक्कि का नारइओ रूप भी विकल्प से अलग होकर मिलता है इसमें आ का ए नहीं होता। नैरयिकः शब्द के स्थान पर नेरइओ और नारइओ इस प्रकार के दोनों रूप आर्ष में प्राप्त होते हैं यह सभी परिवर्तन आर्ष प्राकृत में तो प्राप्त होते हैं और इसके उपरांत पश्चात् कर्म का निश्चित रूप से पच्छे कम्मं रूप प्राप्त होता है। असहाय्य - असहेज्ज, देवासुरी - देवासुरी रूप संस्कृत के समान ही प्राकृत में भी प्राप्त होता है। आ के स्थान पर ए की प्राप्ति के नियम में आर्ष प्राकृत में इस प्रकार के परिवर्तन प्राप्त होते हैं। ___ अद् ऊतः सूक्ष्मे वा ८.१.११८- प्राकृत में ऊ के स्थान पर विविध परिवर्तन होते हैं जिसमे ऊ के स्थान पर उ की प्राप्ति और ऊ के स्थान पर अ प्राप्ति का भी उल्लेख है। ऊ के स्थान पर अ का प्रयोग सिर्फ आर्ष प्राकृत में ही प्राप्त होता है जो कि सूक्ष्म शब्द में वैकल्पिक रूप से होता है, सूक्ष्म – सण्हं, सुग्रह होता है। इसके अलावा आर्ष में सुहुमं प्रयोग भी प्राप्त होता है, यह परिवर्तन सूक्ष्म शब्द के लिए ही विशेष रूप से प्राप्त होता है। दुकुले वा लश्च द्विः ८.१.११९- आर्ष में जिस प्रकार से कहा गया कि ऊ के स्थान पर अ की प्राप्ति होती है वह परिवर्तन तब ही प्राप्त होता है जब ऊ का अ होता है। दुकुलम् – दुऊलं, दुअल्लं (डगलो), यह शब्द इस प्रकार से सिर्फ आर्ष प्राकृत में ही प्रयोजित किया है। ____ अइः दैत्यौ च ८.१.१५१- प्राकृत के समान्य नियम के अनुसार ऐ के स्थान पर ए प्रयोग किया जाता है, परंतु इस नियम के अपवाद के रूप में यह सूत्र कहा गया है कि ऐ के स्थान पर अइ का प्रयोग किया जाएगा किन्तु यह नियम कुछ ही शब्दों के लिए सीमित है इस लिए सूत्र में कहा गया है कि आदि शब्दों में ऐ के स्थान पर अइ होगा यह प्रयोग आर्ष में होता है और विशेष रूप से चैत्य शब्द के लिए आर्ष प्राकृत में कहा गया है कि चैत्य शब्द के त्य के त् और य के मध्य में इ For Private and Personal Use Only

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