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श्रुतसागर
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नवम्बर-२०१५ | भव | नाम | स्थळ | आयुष्य । विशेषता ३ मरीचि विनितानगरी ८४ लाख पूर्व कुळनो मद कर्यो,
उत्सूल प्ररूपणा, परिव्राजकनो वेष
ग्रहण कर्यो, |४ |देव
ब्रह्मदेवलोक |१० सागरोपम ५ कौशिकब्राह्मण कोल्लाग सन्निवेष ८० लाख पूर्व | वेदार्थना विचारमा
विमलबुद्धि जगतमां प्रसिद्ध यश नाम
कर्मनो उदय. |६ | पुष्पमित्र ब्राह्मण | स्थुणाकगाम |७२ लाख पूर्व कामभोगथी
कंटाळीने परिव्राजक
दीक्षा लीधी. ७ देव
सौधर्मदेवलोक मध्यमस्थिति. ८ अग्निद्योत ब्राह्मण | चैत्यसंनिवेश ६० लाख पूर्व | परिव्राजक दीक्षा
लीधी ९ देव
| ईशानदेवलोक मध्यमस्थिति | | १० | अग्निभूति | मंदिर नामर्नु गाम ५५ लाख पूर्व | परिव्राजक दीक्षा ब्राह्मण
लीधी | ११ | देव
|सनतकुमार मध्यम आयुष्य | १२ | भारद्वाज ब्राह्मण | श्वेतांबिका नगरी ४४ लाख पूर्व परिव्राजक दीक्षा
अने तीव्र बालतप
को. | १३ | देव | माहेंद्र देवलोक ७ सागरोपम
थावर नामे राजगृही | ३४ लाख पूर्व दुःसहतप तप्या छतां ब्राह्मण
| मिथ्यात्वने कारणे
सत्यज्ञान विलुप्त. ब्रह्मदेवलोक मध्यमस्थिती विश्वभूति | राजगृहीनगरी क्रोडवर्ष
| निदानबंध कर्यु। राजकुमार
| निया' कर्यु
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