Book Title: Shrutsagar 2015 11 Volume 01 06
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 25
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR November-2015 सधारया नीकली गया अतोल अतुल्य-अ-तोल आरति-आरत=विनंति निरास उदासीन (आशा रहित) सदीव सदैव लाल मग्न ता. ताडन करे, वगाडे (ताडयति) ताडयइ ता.) अवदात-अधिकार-वर्णन (कथाघटनापि भाग भगवद् गोमंडल पृ.५८२(२००) भव नाम नयसार चोसंठ इंद्रो कलशनुं प्रमाण वैमानिक-दस पचीस योजन उचुं भवनपति-वीस बार योजन पहोळु ज्योतिषि-दुग एक योजन नालचुं व्यंतर-बत्तीस इंद्र-चउसट्ठि महावीरस्वामी भगवानना २७ भव । स्थळ । आयुष्य । विशेषता पश्चिम महाविदेहमां सरळस्वभावी, महावप्रविजयमां विवेकी, जयंती नगरीमां सम्यग्दर्शननी प्राप्ति, पृथ्वी प्रतिष्ठान जीवदयार्नु पालन, गाममा जिनधर्मनो अभ्यास, मुनिजनोनी भक्ति. सौधर्मदेवलोक |१पल्योपम जिनेश्वरोना पांच कल्याणकना महोत्सव करवा, मुनिजनोनी उपासना, सिद्धायतनोना निरंतर दर्शन, जिनवाणीनु श्रवण २ देव For Private and Personal Use Only

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