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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर 24 नवम्बर-२०१५ | भव | नाम | स्थळ | आयुष्य । विशेषता ३ मरीचि विनितानगरी ८४ लाख पूर्व कुळनो मद कर्यो, उत्सूल प्ररूपणा, परिव्राजकनो वेष ग्रहण कर्यो, |४ |देव ब्रह्मदेवलोक |१० सागरोपम ५ कौशिकब्राह्मण कोल्लाग सन्निवेष ८० लाख पूर्व | वेदार्थना विचारमा विमलबुद्धि जगतमां प्रसिद्ध यश नाम कर्मनो उदय. |६ | पुष्पमित्र ब्राह्मण | स्थुणाकगाम |७२ लाख पूर्व कामभोगथी कंटाळीने परिव्राजक दीक्षा लीधी. ७ देव सौधर्मदेवलोक मध्यमस्थिति. ८ अग्निद्योत ब्राह्मण | चैत्यसंनिवेश ६० लाख पूर्व | परिव्राजक दीक्षा लीधी ९ देव | ईशानदेवलोक मध्यमस्थिति | | १० | अग्निभूति | मंदिर नामर्नु गाम ५५ लाख पूर्व | परिव्राजक दीक्षा ब्राह्मण लीधी | ११ | देव |सनतकुमार मध्यम आयुष्य | १२ | भारद्वाज ब्राह्मण | श्वेतांबिका नगरी ४४ लाख पूर्व परिव्राजक दीक्षा अने तीव्र बालतप को. | १३ | देव | माहेंद्र देवलोक ७ सागरोपम थावर नामे राजगृही | ३४ लाख पूर्व दुःसहतप तप्या छतां ब्राह्मण | मिथ्यात्वने कारणे सत्यज्ञान विलुप्त. ब्रह्मदेवलोक मध्यमस्थिती विश्वभूति | राजगृहीनगरी क्रोडवर्ष | निदानबंध कर्यु। राजकुमार | निया' कर्यु For Private and Personal Use Only
SR No.525304
Book TitleShrutsagar 2015 11 Volume 01 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2015
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size4 MB
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