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October-2015
SHRUTSAGAR
22 मनह मनोरथ पूरणओए। निरमालडी ए, हवइ हुं हुओ सनाथ मणोरही ए॥१०२।।
॥ कलश॥ सिद्धारथ नरवरवंश सुरतरू सार सोहइ कंदलु, श्रीवीर जिणवर अमृत सुखकर नमित सुरगुण निरमलु । तपगच्छ निर्मल हेमविमलसूरि सीसह जगि सुणु, सौभाग्यहरषई सूरि सीसह श्रीसोमल संथुणिओ॥१०३॥
॥इति श्रीबंभणवाडामंडणं श्रीमहावीरस्तवनं संपूर्णम् ॥ ॥ पं.श्री श्री श्री २श्रीजयरत्नगणि तत्शिष्य गणि श्री श्री३ श्रीराजरत्नगणि तत्शिष्य भुजिष्य कीर्तिरत्न लखितम् ॥ श्रीरस्तु ।। शुभं भवतु ।। परोपकाराय लखितं ।। संवत १६८२ वर्षे ।।श्रीः छः।।
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