Book Title: Shrutsagar 2015 10 Volume 01 05
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 24
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir October-2015 SHRUTSAGAR 22 मनह मनोरथ पूरणओए। निरमालडी ए, हवइ हुं हुओ सनाथ मणोरही ए॥१०२।। ॥ कलश॥ सिद्धारथ नरवरवंश सुरतरू सार सोहइ कंदलु, श्रीवीर जिणवर अमृत सुखकर नमित सुरगुण निरमलु । तपगच्छ निर्मल हेमविमलसूरि सीसह जगि सुणु, सौभाग्यहरषई सूरि सीसह श्रीसोमल संथुणिओ॥१०३॥ ॥इति श्रीबंभणवाडामंडणं श्रीमहावीरस्तवनं संपूर्णम् ॥ ॥ पं.श्री श्री श्री २श्रीजयरत्नगणि तत्शिष्य गणि श्री श्री३ श्रीराजरत्नगणि तत्शिष्य भुजिष्य कीर्तिरत्न लखितम् ॥ श्रीरस्तु ।। शुभं भवतु ।। परोपकाराय लखितं ।। संवत १६८२ वर्षे ।।श्रीः छः।। क्या आप अपने ज्ञानभंडार को समृद्ध करना चाहते हैं? आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबा के पास आगम, प्रकीर्णक, औपदेशिक, आध्यात्मिक, प्रवचन, कथा, स्तवन-स्तुति संग्रह आदि अनेक प्रकार के प्राकृत, संस्कृत, मारुगुर्जर, गुजराती, राजस्थानी, पुरानी हिन्दी आदि भाषाओं में लिखित विभिन्न प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित बहोत बड़ा एकस्ट्रा पुस्तकों का संग्रह है जो अन्य ज्ञानभंडारों को भेंट में देना है. यदि आप अपने भंडार को समृद्ध करना चाहते हैं तो यथाशीघ्र संपर्क करें. पहले आने वाले आवेदन को प्राथमिकता दी जाएगी. For Private and Personal Use Only

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