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मथुरानो कंकाली टीलो
अने भगवान महावीरना जीवनना बे विशिष्ट प्रसंगो
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- मुनिराज श्री दर्शनविजयजी
मथुराना कंकालीटीलाना खोदकाम दरम्यान मळी आवेल जैन देरासर अने मूर्तिओना टुकडाओ, शिलालेखो के शिवालेखोना भग्न थयेला अवशेषो, आयागपट्टी अने कोई कोई पत्थरो उपर खोदवामां आवेलां चित्रो के जे चित्रोमां जैन मान्यतानुसारनी कोईना कोई ऐतिहासिक घटनाओनुं चित्रण करवामां आव्युं छे ते बधी वस्तुओए जैनशास्त्रोमां वर्णवामां आवेल केटलीक बीनाओने ऐतिहासिक बाजू उपर घणो सारो प्रकाश पाड्यो छे.
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जे विद्वानो केटलीय बीनाओने ऐतिहासिक प्रामाण्य आपवामां अचकाता हता तेओ पण मथुरामां मळी आवेला आ भग्नावशेषोनो बराबर अभ्यास करवाथी ते बीनाओने साची ऐतिहासिक मानता थया छे.
परमात्मा महावीरदेवना जीवननी केटलीक विशिष्ट घटनाओ एवी छे के जेनुं केवळ बुद्धिबळथी पृथक्करण करवामां आवे अथवा तो ए घटनाओना सत्यनी कसोटी केवळ बुद्धि उपर ज करवामां आवे तो ए घटनाओनो उकेल लावता माणस विमासणमां पडी जाय ! आवी घटनाओनो उकेल बुद्धिनी साथे साथै शास्त्रीय श्रद्धानो मोटो आधार लेवामां आवे तो ज थइ शके! अस्तु. बे विशिष्ट घटनाओ
भगवान महावीरदेवना जीवननी एवी विशिष्ट घटनाओमां आ बे घटनाओनो पण समावेश थाय छे : १. गर्भापहरण (भगवान महावीर स्वामीनुं गर्भावस्थामा एक माताना उदरमांथी बीजी माताना उदरमां परिवर्तन थवा ) नी घटना अने २ बाल्यकाळमां आमलक्रीडा वखते देवने परास्त करवानी घटना.
जैन आगमोमां आ बन्ने घटनाओ संबंधी उल्लेख मळे छे अने मथुरामांथी मळेला चित्रोमा पण आ घटनाओनां चित्रो मळतां होवाथी ए चित्रोनी साधे जैनशास्त्रोमां वर्णित उल्लेखोनो समन्वय बताववानो प्रस्तुत लेखनो आशय छे.
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