Book Title: Shrutsagar 2015 10 Volume 01 05
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org SHRUTSAGAR आमलकी - क्रीडानुं चित्र : मथुरामां आमलकी क्रीडानां त्रण चित्रो छे (नंबर १०४६, E - १४ तथा १९१५). तेमांथी पहेला चित्रमां एक पहेलवान जेवी प्रचंड कायावाळो अने मेषना जेवा मुखवाळो पिशाच- देव उभेल बताव्यो छे. जमणा हाथमां तेणें बे बाळकोने उठावेला छे. डाबा खंभा उपर वर्धमान कुमारने बेसारेल छे अने जमणा खंभा उपर बीजा छोकराने उठावेल छे. प्रथम दर्शने अमे आ चित्रनो आशय न समजी शक्या परन्तु त्यांना क्युरेटर महाशये ए चित्र जैन होवानुं आग्रह पूर्वक जणाव्यं त्यारे अमे एनो आशय समजी शक्या. 28 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir October-2015 बीजा चित्रमां पण उभो अने मेषमुखवाळो पिशाच आपेल छे. तेमां तेणे डाबा खंभा उपर वर्धमान कुमार अने जमणा उपर बीजा छोकराने उपाडेल छे. जुं चित्र लगभग पहेला चित्रना जेवुं ज छे. बे हजार वर्ष करतां पण अधिक पुरातन अने मथुरामांथी मळी आवेल, भगवान महावीरना गर्भापहरणना अने आमलकी-क्रीडाने लगतां आ बे चित्रो अने बीजा शिलालेखो उपरथी एम मानवुं ज पडे छे के ते काळमां लोको आ घटनाओने अवश्य मानता हता. पुरातत्त्वना ऊंडा अभ्यासीओ आ विषय उपर योग्य विचार करे अने आ संबंधी विशेष प्रकाश पाडे तो अवश्य लोकोने घणुं जाणवानुं मळे अने जैनशास्त्रमां वर्णित वस्तुओ ऐतिहासिक पुरावाओ पूर्वक सिद्ध करी शकाय. For Private and Personal Use Only आजे आपणे मथुराने अने जैन इतिहासनी दृष्टिए एना महत्त्वने भूली गया छीए, पण इतिहास - प्रधान आ युगमां ए पालवे एम नथी. आपणे आपणा भूतकाळना गौरवसमी ए नगरीनी योग्य शोधखोळ माटे तत्पर थईए, तेना माटे सर्व प्रयत्न करीए अने ए माटी नीचे दटाएला जैन गौरवने जगत आगळ रजु करीए ए ज भावना! (जैन सत्यप्रकाश वर्ष २, अंक - ४-५ मांधी साभार)

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