Book Title: Shrutsagar 2015 10 Volume 01 05
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 33
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org - श्रुतसागर 31 अक्तूबर २०१५ परम पूज्य आचार्यश्रीजी ने पर्वाधिराज पर्युषणपर्व में अष्टाह्निका प्रवचन, कल्पसूत्र का वांचन एवं प्रवचन बहुत ही सरल व मधुर शैली में दिया. काफी संख्या में श्रावक- -श्राविकाएँ उपस्थित होकर प्रवचन का लाभ लिया. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पूज्यश्रीजी के मंगल आशीष से मासक्षमण, श्रेणितप, सिद्धितप, १६ उपवास, ११ उपवास, ९ उपवास, अट्ठाईतप, क्षीरसमुद्रतप आदि विविध तपों के मांडवों की रचना हुई. इस प्रकार अनेक धार्मिक अनुष्ठानों, आयोजनों का सिलसिला चल रहा है और श्री सेटेलाइट श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ अपूर्व भक्ति का लाभ ले रहा है. पूर्ण धार्मिक वातावरण में चातुर्मास व्यतीत हो रहा है. कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूची खंड-१८ का विमोचन सम्पन्न परम पूज्य राष्ट्रसन्त आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब की पावन प्रेरणा से श्रुत संरक्षण एवं संवर्द्धन का अद्वितीय कार्य किया जा रहा है. पूज्यश्री ने देश भर में लगभग एक लाख तीस हजार किलोमीटर की पदयात्रा के मध्य जहाँ कहीं भी श्रुत संपदा की दुर्गति देखी, श्रुतसाहित्य का उपयोग नहीं हो रहा हो वैसी स्थिति देखी, वहाँ के समाज को अपने पूर्वजों से प्राप्त अमूल्य धरोहररूप श्रुतज्ञानविरासत को संरक्षित करने हेतु प्रेरित किया तथा उस साहित्य भंडार को कोबा स्थित आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर हेतु भेंट में प्राप्त कर यहाँ संगृहीत करवाया. संगृहीत प्राचीन व दुर्लभ हस्तप्रतों की ग्रंथसूची निर्माण का कार्य संस्था द्वारा किया जा रहा है. ग्रंथसूची लगभग ५० से ज्यादा भागों में प्रकाशित करने की योजना है. ग्रंथसूची प्रकाशित करने की शृंखला में अबतक कुल १७ भाग प्रकाशित हो चुके हैं. इसी शृंखला की एक कड़ी रूप १८वाँ भाग दिनांक २७ सितम्बर, २०१५ को पूज्य राष्ट्रसन्त आचार्यश्रीजी के ८१वें जन्मोत्सव के पावन अवसर पर श्री आणंदजी कल्याणजी पेढी के प्रमुख श्री संवेगभाई लालभाई के कर कमलों से विमोचन किया गया. इस अवसर पर आचार्य श्री भद्रगुप्तसूरिजी द्वारा धर्मबिन्दु प्रकरण ग्रंथ पर लिखित 'धम्मं सरणं पवज्जामि' पुस्तक का भी विमोचन किया गया, जो तीन भागों में प्रकाशित किया गया है. इन दोनों ग्रंथों का प्रकाशन परम पूज्य राष्ट्रसन्त आचार्य श्रीमद् पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब की प्रेरणा से For Private and Personal Use Only

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