Book Title: Shrutsagar 2015 10 Volume 01 05
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 28
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR 26 October-2015 श्री कल्पसूत्रमां पण थोडा घणा फेरफार साथै आज पाठ मळे छे. आवश्यक निर्युक्तिमा आ घटनानो उल्लेख कविताबद्ध आप्यो छे, जे ४५०, ४५७ अने ४५८मी गाथामां मळे छे. व्याख्याप्रज्ञप्ति (भगवतीसूत्र) मां गर्भापहरणना प्रसंगनो उल्लेख मात्र मळे छे. आमलकी - क्रीडानी घटना : आमलकीक्रीडानी वार्ता बहु लांबी छे. परन्तु आगमोमां एनो उल्लेख संक्षेपथी ज मळे छे. कल्पसूत्रनी कल्पकिरणावली' नामक टीकामां एनुं विशेष वर्णन आपेलुं छे. ए घटना संक्षेपमां आ प्रमाणे छे : वर्धमान कुमारनी उमर साडासात वर्षनी थइ त्यारे एक वखत तेओ शहेरना छोकराओ साथै आमलकी (आंबली पींपळीनी) क्रीडा करी रह्या हता. आ वखते इंद्रे करेली भगवानना बळ अने निर्भीकतानी प्रशंसा सांभळीने तेनी परीक्षा करवाना उद्देशथी एक देव त्यां आवी पहोंचे छे अने रमत करतां छोकराओने बीवराववा माटे मोटा सर्पनुं रूप धारण करी झाडनी आसपास वींटाई जाय छे. सर्पने जोइने बधा बाळको आमतेम दोडी जाय छे. परन्तु वर्धमान कुमार जरा पण डर्या वगर सर्पने हाथथी पकडीने दूर फेंकी दे छे. छोकराओ फरीने भेगा थइने रमवानुं शरु करे छे. ते देव पण बाळकनुं रूप लइने तेओनी साथे रमवा लागे छे. रमतनी शरत ए करवामां आवे छे के जे बाळक हारे ते जीतनार छोकराने पोताना खंभा उपर बेसाडे. थोडी ज वारमां बाळक बनेल ते देव वर्धमान कुमारथी पोतानी हार कबुल करे छे अने तेमने पोताना खंभा उपर बेसाडे छे. तरत ज ते देव, वर्धमान कुमारने बीवराववा माटे, सातताड जेवडुं रूप धारण करे छे. परन्तु आ वखते पण वर्धमान कुमार लेश पण डर्या वगर पोतानी मुट्ठीना प्रहारथी ते देवनुं अभिमान तोडी नांवे छे. वर्धमान कुमारनुं आ बळ जोई देवने खात्री थाय छे, ते माफी मागे छे अने त्यारथी तेमने वीरनुं नाम आपवामां आवे छे. १. कल्पसूलनी आ टीकाना कर्ता महोपाध्याय धर्मसागर गणी छे. कल्पसूत्र उपर बीजी पण अनेक टीकाओ छे. For Private and Personal Use Only

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