Book Title: Shrutsagar 2014 10 Volume 01 05
Author(s): Kanubhai L Shah
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org एक विशेष पत्र Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुनिश्री सुयशचंद्रविजय प. पू. आचार्य श्रीधर्मसूरिजी म. सा. (काशीवाळा )नी परंपरामां पू. मंगलविजयजी, पू. हिमांशुविजयजी, पू. विद्याविजयजी, पू. जयंतविजय जेवा घणा विद्वानो थया. ते बधा विद्वानोमां कोई विशेष होय तो ते पू. आचार्यश्रीविजयेंद्रसूरीश्वरजी. तेओ पुरातत्त्व, संस्कृत, न्याय जेवा विषयोमां अस्खलित गति धरावता हता. देश-विदेशमां तेओ ख्यातनाम हता. तेमनी आवी प्रतिभाथी प्रभावित थई गणदेवीना एक नझरअली हसनभाई मूखी नामना विद्वान तेमना परिचयमां आव्या. जैन दर्शननो सामान्य अभ्यास करी विशेष अभ्यास माटे श्रीतत्त्वार्थाधिगम सूत्र तथा उपमितिभवप्रपंचा कथा भण्या. उपमिति भवप्रपंचा कथाए तेमना मानस पर केवी अमीट छाप मुकी हशे ते प्रस्तुत पत्रमां देखाय छे. खास पत्रमां जोवा मळतो मुखी साहेबनो गुरु समर्पणभाव पण अद्भुत छे. जैनेत्तर व्यक्तिनो आवो समर्पणभाव तेमने उंची कक्षाए लई जाय तेमा नाही. आपणे पण आवो उत्तम भाव केळवीए एज मंगल प्रार्थना. 5-4-1932 N.H.Mookhi C/o Gulamhusen N. Shariff Merchants & C. Agents Palghar, Dist. Thana Branch - Kevla Road For Private and Personal Use Only श्री शीवपुरी श्री सद्गुरु परमात्मान् श्री विजयेंद्रसूरीश्वरजी महाराजना चरणकमलमां... आपनो प्रेमपूर्ण पुनित प्रभावना रूप पत्र ता. २-४-३२ना दिने मल्यांथी पुलकित थवाना कारणमां आ निष्पुण्यक जीवात्मा प्रत्येना करुणा भावज चोख्खा “भुलता नहिं” ए शब्दोमां सूचनारूपे समजाया. हुं अहिं गया बुधवारे एक संबंधीनी बीमारीमां सारवार करवामां मददगार थवा

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