Book Title: Shrutsagar 2014 10 Volume 01 05
Author(s): Kanubhai L Shah
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर अक्तूबर-२०१४ हेतु हस्तप्रत लेखनादि कार्य से संबंधित व्यक्तियों को भी विद्वान के रूप में जाना जाता है. अर्थात् व्यक्तिवाची नामों की सूचि में विद्वानों की बहुलता होने की वजह से सभी विद्वान के रूप में समझा जाता है. इन विद्वानों को अपने-अपने कार्य के अनुसार उनका अलग-अलग विद्वान प्रकार के रूप में ग्रहण किया जाता है. इससे सबसे बड़ा लाभ तो यह होता है कि एक ही विद्वान द्वारा चाहे जितने ही प्रकार के काम किये गये हों तो विद्वान की सूचि में तो नाम एक ही रहता है किन्तु उनके द्वारा अथवा तो उनके लिये रचित, लिखित, पठित, संशोधित, प्रेरित, क्रीत, विक्रीत, गृहीत, समर्पित, निश्रा, राज्ये, राज्यकाले आदि जो-जो कार्य सम्पन्न हुए हों उस हेतु से उस प्रकार का संकेत वहाँ उस विद्वान के साथ जुड़ जाता है. __ जैसे कि एक ही विद्वान ने किसी कृति की रचना की हो तथा उसी विद्वान के द्वारा उक्त कृतिवाली प्रत लिखी गयी हो तो कृति हेतु विद्वान प्रकार में 'कर्ता' तथा हस्तप्रत के लिये विद्वान प्रकार में 'प्रतिलेखक होगा. एक ही विद्वान के द्वारा विविध कार्य संपादित होने से वे विद्वान जिन-जिन कार्यों से जुड़े होंगे उनके विद्वान प्रकार भी उसी प्रकार से जोड़े जाते हैं. ___ ये सभी विद्वान प्रकार' अपने-अपने स्थान पर अपनी महत्ता व उपादेयता को सिद्ध करते हैं. आज प्रकाशन के युग में एक प्रकाशित पुस्तक में जितने विद्वानों की अलग-अलग भूमिकाएँ होती है उससे कहीं अधिक विद्वान एक हस्तप्रत लिखनेलिखवाने में अलग-अलग दायित्वों से जुड़े रहते है. ___ आज के इस यांत्रिक युग में व्यक्ति का अधिकांश कार्य यंत्र कर देता है. जिसमें भावनाओं का आंशिक ही सम्मिश्रण होता है. जबकि हस्तप्रत लेखन से जुड़े लोग अपनी भावना, अपने समर्पण, श्रुतसेवा के प्रति पूजनीय भाव, एक-एक अक्षरदेह को सरस्वती का स्वरूप समझकर तथा जिनवाणी को प्रत्यक्षदर्शन कराने के लिये अपनी कला, अपनी विद्या तथा अपनी अनुपम सेवा का अद्भुत परिचय देते हैं. ___ यदि एक प्रतिलेखक को विद्वान, कलाकार, श्रुतभक्त व परोपकारी कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. शुद्धतापूर्वक लिखने से वह प्रतिलेखक एक विद्वान है, कलात्मक, आकर्षक, सुंदर व सुवाच्य अक्षरों में लिखने से कलाकर भी कह सकते हैं. लिखते समय सावधान होकर भूल व त्रुटि न हो इसके लिये जागरूक रहने से इनमें श्रुतभक्ति देखी जाती है. प्रामाणिक लेखन साधन-सामग्री का यथोचित For Private and Personal Use Only

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