Book Title: Shrutsagar 2014 10 Volume 01 05
Author(s): Kanubhai L Shah
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 34
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 32 SHRUTSAGAR OCTOBER-2014 मानवजीवन की प्रत्येक घटना के साथ मंदिर का संबंध जुड़ा हुआ है. शुभकार्य के प्रारम्भ में और अशुभकार्य के अन्त में देवदर्शन हेतु या आध्यात्मिक अभिप्सा के लिए मानव के जीवन में मंदिर केन्द्र स्थान है. यदि पूरे विधि-विधान के साथ मंदिर या गृह का निर्माण किया जाए तो वहाँ चेतना के सर्जन का अनुभव होता है. गृह भी मंदिर की भाँति शांतिदायक सिद्ध होता है. गुजराती भाषा में निबद्ध तथा शिल्पविद्या के संपूर्ण विषयों को समाहित करता यह ग्रंथ मंदिरनिर्माण, गृहनिर्माण आदि कार्यों से जुड़े व्यक्तियों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगा. यह ग्रंथ दो भागों में प्रकाशित है. ___इसके प्रथम भाग में शिल्पशास्त्र से संबंधित विषयों का ज्ञान भरा हुआ है तो दूसरे भाग में मंदिरनिर्माण से संबंधित सभी वस्तुओं व मंदिर के सभी भागों का चित्र दिया गया है तथा चित्र के साथ आवश्यक दिशानिर्देश भी दिया गया है, जिससे इस कार्य का कमज्ञान होने पर भी किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की दुविधा उपस्थित नहीं होगी. गत कुछ वर्षों में मंदिरनिर्माणविधि में आई अशुद्धियों को प्राचीन शास्त्र व प्रचलित परंपरा आदि के प्रमाणों से शुद्ध करने का प्रयास किया है. आगे भी अनेक कार्य जो मुनिश्री कर रहे हैं, वे भी श्रीसंघ में प्रतीक्षिति हैं. इस ग्रन्थ के स्वाध्याय से मात्र भारत में ही नहीं विदेश की धरती पर भी मंदिर निर्माण करवाना हो तो सभी शिल्पियों एवं समग्र जैनसंघ को मंदिरनिर्माण से संबंधित विषयों हेतु समुचित मार्गदर्शन व प्रेरणा प्राप्त होगी. मंदिर निर्माण हेतु समस्त विषयों के संबंध में मार्गदर्शन प्रदान करते हुए प्रस्तुत ग्रंथ की रचना कर पूज्य मुनिश्री ने जिनशासन को एक बहुमूल्य कृति प्रदान की है. पूज्य मुनिश्री शिल्पशास्त्र के अध्येता हैं, इन्होंने पूर्व में भी शिल्पशास्त्र से संबंधित जिनालयनिर्माण मार्गदर्शिका, धारणागतियन पुस्तक एवं अनेक लेख लिखकर समाज को उपकृत किया है. मंदिरनिर्माणविधि आदि से संबंधित विषयों की अद्यतन सूचनाओं से परिपूर्ण Website : www.shilpvidhi.org से भी मार्गदर्शन प्राप्त हो सकता है, जिससे समाज लाभान्वित हो रहा है. भविष्य में भी जिनशासन की उन्नति एवं श्रुतसेवा में समाज को उनका अनुपम योगदान प्राप्त होता रहेगा, ऐसी शुभेक्षा सहित कोटिशः वन्दन. For Private and Personal Use Only

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