Book Title: Shrutsagar 2014 10 Volume 01 05
Author(s): Kanubhai L Shah
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 33
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 31 श्रुतसागर अक्तूबर-२०१४ वैदिकसंस्कृति द्वारा मान्य मंदिरस्थापत्य निर्माणशैली का समान रूप से निरूपण किया गया है. भूमिग्रहण, खातमुहूर्त, शिलान्यास, तलशिल्प, शिखरशिल्प, ध्वजा आदि से संबंधित सभी विषयों का बहुत ही सुन्दर ढंग से विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है. वैसे तो शिल्पशास्त्र से संबंधित विभिन्न भाषाओं में अनेक ग्रंथ उपलब्ध हैं, जिनमें विभिन्न विषयों का समाधान तो मिलता है, किन्तु एक जगह सभी विषयों से संबंधित सामग्री का उपलब्ध होना अपने आप में एक आह्लादक विषय है. मंदिरनिर्माण से जुड़े व्यक्तियों को यह ग्रंथ मार्गप्रदर्शन करेगा. प्राचीन काल से ही भारतभर में मंदिरनिर्माण होता रहा है. अनेक मंदिर, राजमहल, किला, हवेलियाँ आज हमारे उच्च शिल्पस्थापत्य के उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं. समय के साथ अनेक प्राचीन कलाएँ नामशेष रह गई हैं, परन्तु मानव समाज के लिये अत्यंत उपयोगी होने के साथ-साथ आनादिकाल से जुड़े होने के कारण आज भी शिल्पकला जीवन्त है. आज मंदिर या भवन बनाने में प्राचीन काल में उपयोग में आने वाली वस्तुओं की जगह सिमेन्ट-कंक्रीट ने ले ली है, जिसके कारण शिल्पकला का उतना उपयोग नहीं हो पा रहा है, फिर भी लकड़ी, मार्बल, संगमरमर आदि पत्थरों से निर्मित मंदिरों या भवनों में शिल्पकला का पूरा-पूरा उपयोग हो रहा है, जिसके कारण आज भी शिल्पकला जीवन्त है. पूज्य साधु-साध्वीजी भगवन्तों की पावन प्रेरणा से प्रेरित होकर श्रावक मंदिर निर्माण हेतु कार्य प्रारम्भ करते हैं. उनमें से अधिकांश लोगों को इस विषय का कोई ज्ञान नहीं होने के कारण उन्हें शिल्पी जो समझाता है उसी अनुसार कार्य करवाते हैं तथा अपने धन का सदुपयोग करते हैं. यहाँ सबसे बड़ी समस्या यह है कि अज्ञानता के कारण धन व्यय करने पर भी हम अपने लक्ष्य को पूरा-पूरा प्राप्त नहीं कर पाते हैं. केवल मंदिर निर्माण हेतु स्थल का चयन, योग्य डिजाइन-नक्शा आदि का उपयोग करने से ही मंदिर बनाने का उद्देश्य प्राप्त नहीं किया जा सकता है. क्योंकि मात्र मंदिर बनाने, नक्काशी करवाने आदि से ही मंदिर नहीं होता है, मंदिर मात्र संस्कृति का प्रतीक ही नहीं है, बल्कि यह पूर्णतः संस्कृति ही है. For Private and Personal Use Only

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