Book Title: Shraman Sanskriti ki Ruprekha
Author(s): Purushottam Chandra Jain
Publisher: P C Jain

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Page 9
________________ (घ) ग्रन्थों की प्राप्ति के अभाव में बहुत स्थलों में मुझे अपनी स्मृति से ही काम लेना पड़ा। अतः बहुत संभव है कि कई स्थानों में उद्धरणों की तथा अन्य अशुद्धियां रह गई होंगी। आशा है विज्ञ पाठक मझे उन के लिये क्षमा करेंगे और यदि उन के विषय में सूचित करने का कष्ट करेंगे तो मैं उन का बहुत ही कृतज्ञ हूंगा। अन्त में मैं जैनधर्म के सुयोग्य विद्वान् श्री डाक्टरबनारसीदास जी जैन एम. ए., पी. ऐच. डी. का वहुत २ धन्यवाद करता हूं जिन्हों ने इस ग्रन्थ को भूमिका लिखने का कष्ट किया है। पाठक इस ग्रन्थ को पढ़ कर लाभ उठायेंगे तो मैं अपना परिश्रम सफल समझूगा। स्टेडियम, पटियाला नम्र निवेदक:३०-१-५१ पुरुषोत्तम Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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