Book Title: Shraman Sanskriti ki Ruprekha
Author(s): Purushottam Chandra Jain
Publisher: P C Jain

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Page 10
________________ 9 भूमिका प्रोफेसर पुरुषोत्तम चन्द्र जैन द्वारा रचित "श्रमणसंस्कृति की रूपरेखा" नामक ग्रन्थ को पढ़ कर मुझे अत्यन्त हर्ष हुआ। लेखक ने इस ग्रन्थ की नींव लाहौर में ही रखी थी और इस के कई अध्यायों के बारे में मुझ से चर्चा भी की थी। मेरी बड़ी इच्छा थी कि इस ग्रन्थ का प्रकाशन हो जाए तो पाठकों को बड़ा लाभ होगा । अब इस ग्रन्थ को मुद्रित होते देख कर इस का परिचय कराने में मुझे बड़ा आनन्द होता है । प्रो० पुरुषोत्तम चन्द्र जी जैन शास्त्री, एम. ए., एम. ओ. एल. कुछ समय तक 'जैन विद्या भवन' लाहौर में मेरे साथ भी काम करते रहे। वहां इन को तुलनात्मक अनुसन्धान में बड़ी रुचि हो गई । फिर ये ऐचिसनकालेज लाहौर मे प्रोफेसर हो गए और डाक्टर आफ फिलासफी की डिगरी प्राप्त करने के लिये शीलांकाचार्य कृत 'महापुरिस चरियं पर थीसिस लिखना प्रारम्भ कर दिया। इस निमित्त इन को जैनाचाये श्रीमद्विजयवल्लभसूरीश्वर जी म.' मरुधर प्रान्तीय मन्त्री मुनिश्री छगन लाल जी म० तथा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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