Book Title: Shikshan Prakriya Me Sarvangpurna Parivartan Ki Avashyakta
Author(s): Shreeram Sharma, Pranav Pandya
Publisher: Yug Nirman Yojna Vistar Trust

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Page 51
________________ ५० शिक्षण प्रक्रिया में सर्वांगपूर्ण परिवर्तन की आवश्यकता कवि सम्मेलन तो नहीं पर कविता सम्मेलन आसानी से हो सकते हैं। किसी भी कवि की कविता को उनके नाम की चर्चा करते हुए प्रतिनिधि रूप में उसे सुनाया जा सकता है। यों इन दिनों समारोहपूर्वक होने वाले कवि सम्मेलन भी आदर्शों की सीमा में सीमित रहकर, यह कार्य बड़े रूप में कर सकते हैं, पर उन तक अपनी छोटी आवाज न पहुंचे तो काव्य संगीत अभिनय का सम्मिश्रण करके, अपनी सूझ-बूझ के आधार पर छोटी-मोटी स्थानीय व्यवस्था तो बन ही सकती है। यह सब ऐसी विधाएँ हैं, जिनके लिए थोड़े-से साधनों से काम चल सकता है। यह साधन स्कूलों के सामान्य बजट से अथवा किन्हीं उदार व्यक्तियों के सहयोग से सहज ही जुटाए जा सकते हैं। आवश्यक इतना भर है कि शिक्षक वर्ग इनका महत्त्व समझकर, बड़ी कल्पनाओं में खोया न रहकर, प्रभावशाली ढंग से इन सामान्य परंतु प्रभावशाली विधाओं का प्रयोग करने के लिए कमर कस लें। इतने भर से किशोर हृदयों में आदर्शवादी उमंगें जगाने के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है। 00

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