Book Title: Shikshan Prakriya Me Sarvangpurna Parivartan Ki Avashyakta
Author(s): Shreeram Sharma, Pranav Pandya
Publisher: Yug Nirman Yojna Vistar Trust

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Page 65
________________ ६४|| शिक्षण प्रक्रिया में सर्वांगपूर्ण परिवर्तन की आवश्यकता सकता है। जिनकी लिपि अच्छी है, वे दीवारों पर आदर्श वाक्य लिखकर वातावरण को प्रेरणाप्रद बना सकते हैं। रोगियों की सेवा परिचर्या का काम भी मिल-जुल कर हाथ में लिया जा सकता है। सामूहिक आयोजनों का प्रबंध मिल-जुल कर किया जा सकता है। इनमें शिक्षाप्रद एकांकी नाटक, कविता सम्मेलन, गायन-वादन जैसे माध्यमों से जहाँ अपनी योग्यता बढ़ाई जा सकती है, वहाँ जनता के लिए शिक्षाप्रद मनोरंजन भी प्रस्तुत किया जा सकता है। ढूँढने पर ऐसे अनेक काम विभिन्न स्तर के मिल सकते हैं, जिनमें सेवा, सहायता, सहकारिता की उदार भावना जुड़ी हुई हो। इस हेतु स्काउटिंग या सेवा समिति जैसे छोटे-छोटे संगठन हर जगह खड़े किए जा सकते हैं। इस प्रकार की पाठ्येतर गतिविधियों (एक्सट्राकैरी कुलर एक्टिविटीज) के लिए शिक्षा नीति में भी पर्याप्त स्थान है। उसके लिए समय और बजट दोनों ही साधिकार, नियमानुसार भी निकाले जा सकते हैं। पर्याप्त संख्या में विद्यार्थियों में इनके प्रति उत्साह भी होता है। पर शिक्षक वर्ग द्वारा पहले किए बिना यह कुछ भी कार्य किए-निभाये नहीं जा सकते। विद्यार्थी इन्हें स्वतंत्र रूप से अपने बूते नहीं चला सकते, परंतु यदि शिक्षक रुचि लें, उल्लास जगाएँ तो आसानी से ऐसी गतिविधियाँ चलती रह सकती हैं, जिनके माध्यम से सेवा के प्रति छात्रों में सहज रस पैदा हो जाए। एक बार रस पैदा हो जाने पर वे जीवन भर उस क्रम को चलाते रह सकते हैं। मुद्रक युग निर्माण योजना प्रेस, मथुरा

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