Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 19
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ जं किञ्चि मुसं भणियं हासभया कोहलोहमोहेहिं / तं सव्वं निन्दामि पायच्छित्तं पवज्जामि // 6 // अप्पं बहुं व कत्थइ परदव्वमदिनयं च जं गहियं / . रागेण व दोसेणं तं सव्वं मज्झ वोसिरियं .. // 7 // जं सुरतिरिक्खमाणुसमेहुणमासेवियं मए पुदि / तिविहेण वि करणेणं तं निन्दे तं च गरिहामि // 8 // जो को वि लोहदोसा धणधन्नचउप्पयाइबहुभेओ / गहिओ परिग्गहो मे वोसिरिओ सो मए इण्हेिं // 9 // राईए जो भुत्तो असणाइचउव्विहो वि आहारो / इन्दियवसगेण मए तं पि य निन्दामि भावेण // 10 // जो पुत्तकलत्तेसुं बन्धुसु मित्तेसु गिहधणे धन्ने / .. एमाईसु ममत्तो सो सव्वो मज्झ वोसिरिओ // 11 // जो कोइ कओ कोहो माणो माया य दुट्ठलोहो य / रागो दोसो कलहो पेसुन्नं परपरीवाओ // 12 // अब्भक्खाणं इय एवमाइ जं किञ्चि दुट्ठमायरियं / अन्नाणाइवसेणं तं तिविहं वोसिरे सव्वं // 13 // जो कोइ मए वहिओ कडुयं भणिओ य जस्स मे हरियं / अवयारो जस्स कओ सव्वो वि हु खमउ सो मज्झं // 14 // मित्तो व अमित्तो वा सयणो वा परजणो व जो कोइ।। सो खमउ मज्झ सव्वो समभावो मज्झ सव्वेसु // 15 // देवत्तणम्मि देवा तिरिया तिरियत्तणम्मि जे केइ / नरयम्मि वि नेरइया मणुया मणुयत्तणे जे उ // 16 // दुक्खम्मि मए ठविया खमन्तु ते मज्झ खामप्पपरस्स / अहमवि खमामि तेर्सि मेत्ती मे सव्वभूएसु . // 17 //

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