Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 19
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 1176 // // 1177 // // 1178 // // 1179 // // 1180 // संशयः कीर्तितं ज्ञानं, विरुद्धोभयकोटिकम् / येन प्रयुक्तः पुरुषश्चेष्टते तत् प्रयोजनम् दृष्टान्तो निश्चयस्थानं, सिद्धान्तोऽर्थः प्रतिष्ठितः / आनुमानिकवाक्यस्य, देशानवयवान् जगुः तर्को व्याप्यसमारोपे, व्यापकस्य प्रसञ्जनम् / अवधारणरूपं च, ज्ञानं निर्णय उच्यते बुभुत्सया कथा वादो, जल्पश्च विजिगीषया / स्वपक्षस्थापनाहीना, वितण्डा परिकीर्तिता हेत्वाभासा असिद्धाद्याश्छलमाकूतदूषणम् / असद्भूतोत्तरं जातिः, सा चोत्कर्षसमादिका पराजयस्य हेतुश्च, निग्रहस्थानमिष्यते / नैयायिकपदार्थानां, समासोऽयं प्रकीर्तितः द्रव्यं गुणस्तथा कर्म, सामान्यं च विशेषयुक् / समवायश्च षड् भावा, वैशेषिकनये स्मृताः भूरापोऽग्निर्मरुद् व्योम, कालो दिगसुमान्मनः / / नव द्रव्याण्यमून्याहुगुणा रूपं रसस्तथा गन्धः स्पर्शश्च संख्या च, परिमाणं पृथक्त्वयुक् / संयोगश्च विभागश्च, परत्वं चापरत्वयुक् संस्कारधर्माधर्मेच्छासुखयत्नाकबुद्धयः / / द्वेषो गुरुत्वद्रवत्वे स्नेह: शब्दस्तथेत्यमी " उत्क्षेपणं तथाऽवक्षेपणमाकुञ्चनं तथा / प्रसारणं च गमनं, पञ्च कर्माण्यकीर्तयन् सामान्यं द्विविधं प्रोक्तं, परमेकं तथाऽपरम् / द्रव्यत्वाद्यपरं व्याप्यं, सत्तादि व्यापकं परम् // 1181 // // 1182 // // 1183 // // 1184 // // 1185 // // 1186 // // 1187 // .. 220

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