Book Title: Sharir Ka Rup aur Karm
Author(s): Anandprasad Jain
Publisher: Akhil Vishva Jain Mission

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Page 6
________________ जानवरों या जीवों के साथ भी है। एक पक्षी के पंख यदि कमजोर हैं तो वह अधिक नहीं उड़ सकता है। जिस व्यक्ति की बाहें मजबूत होंगी वह अधिक बोझ उठा सकता है बनिस्वत उस मनुष्य के जिसकी बाहें कमजोर होंगी। मनुष्य की हर एक शारीरिक क्रिया उसके अवयवों की बनावट के ऊपर ही निर्भर करती है। जिस अवयव या अंग या भाग का जैसा संगठन होगा उस अवयव द्वारा उसी अनुसार कार्य होगा। एक लंगड़े से किसी शुद्ध पैर वाले के समान सीधा चलना नहीं हो सकता। जिस अंग में कमी होगी उसका असर उस अंग के संचालन और क्रिया कलाप पर पूर्ण रूप से दृष्टिगोचर होगा। ये अंग क्या हैं ? ये सभी “वर्गणाओं" के समूह द्वारा ही निर्मित हैं-वर्गणाओं का संगठन जैसा हुआ इनकी बनावट, रूप और गुण-कर्म में भी वैसी ही विशेषता आ गई। यह बात अन्यथा कैसे हो सकती है कमजोरपना या सशक्तपना इत्यादि भी वर्गणाओं की बनावट के अनुसार ही होते हैं, कम-वेश या जैसे भी हों। यहाँ तो केवल दो एक जानवरों का दृष्टान्त दिया। किसी भी जीवधारी के शरीर की बनावट उसकी क्रियाओं और चाल-ढाल (movements) को सीमित कर देती है। एक और उदाहरण लीजिए-थोड़ी देर के लिए यदि मान लिया जाय कि किसी घोड़े के मुर्दे शरीर में किसी मानव की आत्मा का संचार किसी प्रकार कर दिया गया तो क्या वह पुनः जी उठने पर घोड़े के कार्य या कर्म ही करेगा कि मनुष्य के ? उत्तर एकदम सीधा है कि उसके शरीर की बनावट और गठन हो ऐसे हैं कि वह मानवोचित कुछ कर ही नहीं सकता, उससे तो केवल घोड़े के ही कर्म होंगे। यदि थोड़ी देर के लिए यह भी मान लिया जाय कि जो मनुष्य जीव उस में घुसा उसका मन एवं बुद्धि भी ज्यों की त्यों है तब भी केवल समझदारी में कुछ विशेषता आ सकती है पर अंगों का हलन-चलन या उनसे होने वाले काम तो वे ही होंगे जो उस घोड़े के शरीर द्वारा संभव है। जैसे बैल और घोड़े के अंग संचालन, कार्य कलाप, स्वभाव इत्यादि . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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