Book Title: Sharir Ka Rup aur Karm
Author(s): Anandprasad Jain
Publisher: Akhil Vishva Jain Mission

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Page 20
________________ अखिल विश्व जैन मिशन ( भीतर के पृष्ट का शेषांश ) स्वकल्याण और मानव कल्याण के सच्चे इच्छुक व्यक्तियों का (विशेषतः अपने को सच्चा अहिंसावादी समझने वालों का) यह प्रथम कत्तव्य है कि अखिल विश्व जैन मिशन के इस अनुपम कार्य को तन मन धन से पूर्ण सहायता देकर आगे बढ़ावें। __ मिशन की सहायता के कुछ तरीके __ (1) स्वयं यथाशक्ति दान दें और दूसरों से दिलवावें (2) स्वयं मिशन के सदस्य बनें और दूसरों को बनावें (3) मिशन के प्रकाशित ट्रैक्ट और पत्रिकाएँ स्वंय पढ़ें और दूसरों में प्रचारित करें। (4) मिशन से प्रकाशित हिन्दी की "अहिंसा वाणी" मासिक पत्रिका (वार्षिक शुल्क-पांच रु०) और अंगरेजी की "Voice of Ahinsa"-bymonthly (Annual Subscription Rs. 6-0-0) के ग्राहक बनें और बनावें (5) ट्रैक्टों को अपने खर्चे से छपवाकर वितरित कर शुद्ध ज्ञान और अहिंसा का व्यापक विस्तार करने में सहायक हों (6) मिशन के केन्द्र सभी जगह स्थापित करें (7) इस संस्था को सर्वदा याद रखें और अपनी संरक्षता, सहयोग, सहानुभूति, एवं सहायता प्रदान कर प्रोत्साहित करते रहें। सहायता भेजने और विवरण प्राप्त करने का पताः श्री कामता प्रसाद जैन, ___D. L., M.R.A.S. प्रधान संचालक, अखिल विश्व जैन मिशन पो० अलीगंज, जि० एटा, उत्तरप्रदेश वैशाली प्रेस, पटना-४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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