Book Title: Shantivijay Jivan Charitra Omkar Author(s): Achalmal Sohanmal Modi Publisher: Achalmal Sohanmal Modi View full book textPage 7
________________ [४] मुद्दानी वात जे योगमां जरुरियातवाळी छे, ते तेओश्री बराबर जाणे छे, एम मने खातरी थई छे, बाकीतो ते एक त्यागी उच्च वैरागी, एकांत सेवनार, निस्टही सर्व जीवो तरफ प्रेम राखनार, पोताना शुभ संकल्पथी विश्वनुं भलं इच्छनार, विनयी, नम्रतावाळा अने मायाळु स्वभावना छे ते गुणो मारा बे दिवसना परिचयमा जणाया छे. क्रिया मार्ग जे अत्यारे साधु समुदायमा प्रचलित छे, तेमां तेओ थोडी प्रवृत्ति करता होय ते बनवा योग्य छे. केमके तेओनो स्वरूपस्थिरता, जाप अने ध्याननो अभ्यास सतत चालु होय तेने लई आ कार्यथी पोतानी विशेष विशुद्धि मेळवे छे. एटले बाह्य क्रियानो अंतरक्रियामा समावेश थई जाय छे. जेम पांचमी चोपडी भणनारे चोथी चोपडी छोडवी जोईए ते न्याये ते योग्य लागे छे. तेमनुं दर्शन आनंद प्रेरक छे. x में मारी जिंदगीमां कोई भभुत वस्तु जोई होय तो ते योगनिष्ट महात्मा शांतिविज, यनीज छे. तेओ बाह्यतः केवा मामूली देखाय छे, अने ज्यारे पोते वातो करे छे त्यारे एक साधारणमा साधारण माणस बोलतो न होय एम लागे छे ? देखाव पण तेओश्रीनो कुदरती एवोज छे, एटले जगत् सहजमां भुल थाप खाई जाय छे. एमां कोई नवाई नथी, पण मने तो एम लाग्युं के आ तो कोई उच्च कोटीनो महान् अध्यात्मिक ज्ञाननो भंडार छे. एवा महान पुरुषोने आपणे स्हेजे ओलखी शकीए नहीं. कारणके तेओ पोते योगमा तेमन अध्यात्मिक ज्ञानमां, एटला बधा झंडा उतरेला छे के अढार अढार मास सुघी तेओनी पासे रहीने एक विद्वान् माणस पण संपूर्ण समजी शकतो नहि. हालना आटला बधा साधुओमां एओ पोतेज योगक्रिया तथा अध्यात्मिक ज्ञाननी बाबतमा मोखरे छे. एवा महान् योगिश्वरने समनवा माटे महान शक्तिवालो आत्मा घणा लांबा टाइमेज काइक सहन समजी शके छे. [ योगनिष्ट आचार्य श्री विजय केसरसूरीजी महाराजके जैन जीवनमें प्रगट हुए लेखमेसे उदृत । ] माहराज श्री शान्तिविजयजी महाराजना समागममां भाववाने तथा तेओश्रीनो उपदेश सांभलवाने हुं पण भाग्यशाली थयो छु. तेओश्री एक उत्तम योगीपुरुष छे, अने तेमन चारित्र घणी उंची कोटीनुं छे । एवा महर्षिनां प्रवचनो समुदाय सांभलवाथी जेम औषधिथी शरीरनुं दर्द अने मलीनता दुर थई आरोग्य अने निर्मल बने छे, तेम जनसमाजनी मानसीक मलीनता दुर थई जीवन आरोग्य अने निर्मल बने छे, तेम जनसमाननी मानसीक मलीनता दुर थई जीवन आरोग्य भने सुखी बने छे. एका महान् पुरुषो मापणामां वषारेPage Navigation
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