Book Title: Shantivijay Jivan Charitra Omkar
Author(s): Achalmal Sohanmal Modi
Publisher: Achalmal Sohanmal Modi

View full book text
Previous | Next

Page 22
________________ [१९] ॐकार स्तुति । ॐ नमः मंगल सुखकारी जग जयकारी । ॐ नमः मंगल पदनी जगमां बलिहारी ॥ ॐ नमः अजरामर, अनंत शक्ति विलासी । ॐ नमः परमेश्वर, शक्ति सय प्रकाशी ॥ ॐकार ध्याने आत्मशक्ति, प्रगटती जगमां खरी । बुद्धिसागर प्रणव मंगल, ध्यानथी सिद्धि वरी ॥ १ ॥ अगम निगमनो सार, प्रणव ॐकार विचारो । परब्रह्मनी शक्ति, खीलववा मनमां धारो ॥ चित्त दोषनो नाश, करे छे जाप कर्याथी । सात्विक शक्ति प्रगटावेछे, ध्यान धर्याथी ॥ अलख अगोचर रूप, वरवा प्रणव सरखो मंत्र छे । बुद्धिसागर सत्य निर्भय, देश वरवा यंत्र छे ॥ २ ॥ सम्यग् लही वाच्यार्थ, हृदयमां रटना धारो । अनंत कर्म कटाय, प्रणवथी चित्त विचारो ॥ सालंबन छे ध्यान, प्रणवनुं शास्त्रे भांख्युं । धरी प्रणवनुं ध्यान, योगिओए सुख चाख्यं ॥ ॐकार मंगल आद्य छे, जग श्वासोश्वासे ध्यायीए । बुद्धिसागर शिव सनातन, सिद्ध लीला पाइएं ॥ ३ ॥ हृदय कमलमां प्रणब स्थापना प्रेमे करीए । कोटि भवनां पाप, घडीमां क्षणमां हरीए । प्रगटे लब्धि चित्र, वचननी सिद्धि पावे | अंतर त्राटक सिद्ध करें ते स्थिरता पावे ॥ आत्मशक्ति खीलववाने, ॐकार अर्थ विवेक छे । बुद्धिसागर प्रणव मंगल, ध्यान साचो टेक छे ॥ ४ ॥ आनंद अपरंपार, हृदयमां झलके ज्योति | असंख्य प्रदेशी चिवन चेन परखे मोती ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28