Book Title: Shantivijay Jivan Charitra Omkar
Author(s): Achalmal Sohanmal Modi
Publisher: Achalmal Sohanmal Modi
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[७. हमो पण त्यां गया, गुरुदेव शान्तिविजयजीमे जोया, त्यारे हमोने मनमां थयुं के ए कोई सारा माणस तो छेज, हमो काई पुननिक आदर्श तरीके मानता नहिं-( लांबा टाइमें अनुभवथी वंडरफुल लखेखें ) पण हवे हमो तो कोई अजब देवरत्न समज्या छीए, अने जेम जेम अनुभव वधतो गयो, तेम तेम हमोने विचार थयो के, ए तो कोई अजब पुरुष छे, आ तो देवरत्न पुरुष छे मनुष्य रूपमां देव पुरुष छे. ए महान् पुरुषने ज्यारे आपणे जेवी जेवी भावनामां जोईए छीए तेवी रीते तेओ पोते देखाय छे. प्रथमथीन दुनियाने अंध विश्वासमा बीजा साधुओ मळेल छे. एटले आपणे आवा महान् देवपुरुषने ओळखी शक्या नहिं; कारण के आने साधुओ माटे जगत् अविश्वास करे छे ए वात बरोबर छे; दुनियामां डोल करनाराओ अने पंडिताई अने वाक्य चातुर्यता बतावनारा घणा पुरुषो साधु वेषमां जगतने भरमावे छ; अने एवाओने पण अंधश्रधालु माननारा अने पूजनाराओ दुनियामां मळी जाय छे. ___एमनो ऊपरनो देखाव तदन भोलो अने सादो छे, ज्यां सुधी आपणने पूर्ण अनुभव नहि थायं त्यां सुधी एमज लागशे के ए तो तदन मामुली साधारण माणस छे. गुरुश्री शान्तिविजयजीनो ऊपरनो देखाव जुदो अने अंदरना गुरुदेव शान्तिविजयजी जुदा छे; आजे दुनियां तो ऊपरनो डोळ डमाक जोईने अंधश्रद्धामा फसाई जाय छे, अने ज्यारे पाछळथी अनुभव थाय छे त्यारे श्रद्धा हीन बनी जाय छे. साधुनुं नाम जे पवित्र छ एनाथी पोते काई पवित्र थतो नथी. धारो के कोईन नाम रामकृष्ण, रिखब, जरथोस्त, महमद अने कोईनुं नाम इशु छे. हवे एवां नाम धारण करवाथी काई पोते तेवा महान पुरुष थई शकता नथी. धारो के सघळा साधुओना वेषन पुननिक गणाता होय तो पछी नाटकमां जेम राजा राणी थाय छे तेवीन रीते तेमज बकराना ऊपर सिंहन चामडू चढाववाथी कांई बकरो सिंह थतो नथी, तेवीज रीते सिंह जेवो आत्मा ( जीव ) बलवान होय तोज खरेखरो सिंह बनी शके छे. . धारो के नाटकमां एक श्रीमंत माणस ज्यारे फारसमां उतरे छे त्यारे मामूली माणस थाय छे, तेथी ते कांई मामुली न कहेवाय तेवीन रीते दुनियाना धर्माचार्योए साचा संत बनावी जाण्या होत तो आजे दुनिया मुक्तिपुरी बनी होत अने दुनियाना महान् पुरुषोने ओलखाया होत. ए महान् आत्माओ ओलखवा माटे पण महान् विचारक थवानी जरूर छे, ज्यारे ए महान् पुरुषमा (ब्लेसिंग) आशीर्वाद पडे तो दुनियाना मोटा मोटा नामी नामी डाक्टरोए पण जेने माटे आशा छोडावी दीधी हती तथा ज्योतिषोए पण जेने माटे हाथ खंखेरी नखाव्या हता, तेवाओ पण एमना आशीर्वाद वडे सारा थई गया छे. जेने आपणे साधु कहिए जेना दर्शन वडे आपणुं पाप नष्ट थई जाय, ए साधुता काई जुदीन वस्तु छे. गुरुदेव शांतिविजयजीने तो बधा ओळखे छे, पण आपणी कोई महान् पुन्याई हशे तोज अदरना गुरुदेव शांतिविजयजीने ओळखी शकीशं. ते दीवसे आपणे ( ब्लेसींग ) खरेखलं

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