Book Title: Shantivijay Jivan Charitra Omkar
Author(s): Achalmal Sohanmal Modi
Publisher: Achalmal Sohanmal Modi

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Page 13
________________ [ १..] 'ॐकार' संसारमें सुख और शांति किसको नहीं चाहिये ? संसारके सभी जीव सुख और शांति प्राप्त करने के लिए, अपनी २ शक्तिके अनुसार प्रयत्न किया ही करते हैं:। समस्त संसारी जीवोंको सुख एवं शांतिकी कामना होती है। हमारे प्राचीन अनेक विद्वान मुनियोंने अपने विरचित पुस्तकोंमें, जनता उनसे यथाशक्ति लाभ प्राप्त करती रहे, इसलिये कई मंत्रोंका उल्लेख किया है । उन मंत्रोंमेंसे कुछ२ तो खासकर अमुक अमुक अभ्यासियों, मुमुक्षुओं और साधकोंके लिये उपर्युक्त हैं । उसकी साधना आदिक प्रक्रिया गुरुगम्यके तौरपर गुप्त ही रखी गई हैं । परंतु कितनेक मंत्र और जप उन्होंने मुमुक्षुननो एवं जनताके कल्याणके लिए अपनी पुस्तकोंमें लिखे हैं । उनका उपयोग हरएक मुमुक्षुजन व जनता हर समय करके अपना अभीष्ट कल्याण सिद्ध कर सकते हैं । उन विद्वान् मुनि महोदयोंके वे मंत्र तंत्रादि. साधकका आन्तरिक और बाह्यिक कल्याण करनेवाले हैं महान् परोपकारी पुण्य पुरुषोंके उच्चारित साधारण शब्दोंमें भी अद्भुत सामर्थ्य होती है । ऐसा होते हुए खास विशिष्ट उद्देश या अभिप्रायको लेकर, विशिष्ट अक्षरोंकी योजना द्वारा नियोजित मंत्रयुक्त पदोंकी सामर्थ्यके विषयमें क्या कहा जावे ? उनका फल हरेकके लिये कल्याणकारक होता ही है । ऐसे २ मंत्र-पदों, उनके योजक महर्षि-महानुभावोंके अलौकिक तप, त्याग और तेजके त्रिविध शक्तिके सपुष्टद्वारा परिवेष्टित हुए होते हैं और उसी शक्तिको लेकर उनमें अद्भुत सामर्थ्य उत्पन्न होजाता है । जिस प्रकार जड जैसी गिनी जानेवाली रसायन विद्याके एक सामान्य नियमके अनुसार, नेगेटिव और पोजीटिव खभावकी दो धातुओंके टुकडोंको, जब तज्झ योजक यथोचित प्रकारसे जोड देता है, तो उसमें अद्भुत एवं अलौकिक शक्तिका आश्चर्यजनक संचार होजाता है । उस शक्तिके द्वारा या उसके बलपर, लाखों मनुष्योंके शारीरिक बलसे एवं दीर्घकालीन परिश्रमसे-उद्योगसे भी नहीं होसकता वही कार्य, बहुत ही सरलतासे और क्षणमात्रमें भली भांति, बन जाता है इसमें किसी प्रकारका सन्देह नहीं है । इसी प्रकार आध्यात्मिक विद्याके नियमानुसार, पृथक् पृथक् स्वभाववाले वर्णों अथवा अक्षरोंको, उनकी सामर्थ्यको, भलीभांति जाननेवाले योगीजन विशिष्ट रीतिसे, जोड़ देते हैं तो उनमें विद्युत्-शक्तिके अनुसार किसी अगम्य शक्तिका संचार होजाता है । उसी शक्तिके द्वारा साधक जन अपना अभिष्ट कार्य सरलतासे सिद्ध कर सकते हैं।

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