Book Title: Shantisudha Sindhu
Author(s): Kunthusagar Maharaj, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 2
________________ ॐ ननः श्रीवीतरागाव || श्रीमदाचार्यवर्य नरेंद्रवंद्य श्री कुंदसागरविरचित शान्ति सुधासिन्धु । ar श्री धर्मरत्न " पं. लालारामजी शास्त्री कृत हिन्दी भाषाटीकासहित वृषभादिमहावीरात् धर्मतीर्थप्रवर्तकान् । स्वर्मोक्षदायकान् प्रतान् पूर्वाचार्याशिजाश्रितान् ॥ १ ॥ शान्तिसिन्धुं तथा नत्वा सुधर्म सुखदं मया । शान्तिसिंधुवं ग्रंथो लिख्यते विश्वशान्तये ॥ २॥ बंदों में जिनवीरको सबविधि मंगलकार | "शान्ति-सिंधु" टीका लिखूं भवि-जीवन सुखकार 11 अर्थ - भगवान वृषभदेवसे लेकर श्री महावीर स्वामी पर्यंत चौवीस तीर्थंकर धर्मरूपी तीर्थकी प्रवृत्ति करनेवाले है, स्वर्ग मोक्षको देनेवाले हैं और अत्यंत पवित्र हैं। ऐसे चौबीसों तीर्थंकरोंकों में नमस्कार करता हूं तथा अपने आत्माके आश्रित रहनेवाले श्री कुंदकुंद आदि समस्त आचार्योको नमस्कार करता हूं, अपने दीक्षा गुरु आचार्यवर्य श्री शान्तिसागरको नमस्कार करता हूं और सुख देनेवाले विद्यागुरु आचार्य सुधर्म - सागरको नमस्कार करता हूं । इस प्रकार में अपने इट देवको नमस्कार कर समस्त संसारमे शान्ति स्थापन करनेके लिये मं " शान्तिसुधासिंधु नामका ग्रंथ लिखता हूँ ।

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