Book Title: Saptatishat Sthana Prakaranam Part 1
Author(s): Ruddhisagar
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

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Page 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सद्गुरुस्मरणम्. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीमज्जैनधर्मधुर्व हगणप्राधान्यमाविभ्रते, सच्चारित्रकलाप्रवर्तनविधौ प्रख्यातकीर्त्तिश्रिये । निर्मानाय पराजितेन्द्रियगणक्षेमार्थिपूज्यात्मने, भूयः श्रीसुखसागराय गुरवे सिद्धात्मने स्तान्नमः ॥ १ ॥ यन्मूत्ति रुचिरां शुभैर्गुणगणैरासेवितां निर्मलां, विद्वांसो नितरां विलोक्य समतां सम्यक् सदा भेजिरे । तस्मै वन्द्यतमाय दीव्यचरिताऽऽचारप्रधानाय मे, नित्यं श्रीसुखसागराय गुरवे कारुण्यधाम्ने नमः ॥२॥ यद्वाक्यामृतपानपुष्टवपुषो जैना जना जज्ञिरे, यत्पादाऽम्बुज सेवनैकरसिको योगीशवन्द्योऽभवत् । सूरि श्रीमद्बुद्धिसागर इह श्रोत्राऽमृताब्दोपमः नित्यं श्रीसुखसागरं गुरुवरं ध्यायामि तं मानसे ॥ ३ ॥ मुनि हेमेन्द्रसागरः For Private And Personal Use Only

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