Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 01
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 140
________________ १३.] संति व इतिहास । चोल प्रदेशका नाम चोलमण्डल भा, जिसका अपमंश कोरो मण्डल होगया। उसके उत्तरमे पेलार मौर चोल राज्य। दक्षिणमें वेल्लारु नदी थी। पश्चिममें यह गज्य कुर्गकी सीमातक पहुंचता था। अर्थात् इस राज्यमें मदरास, मैसूरका बहुनसा इलाका और पूर्वीसागर तटपर स्थित बहुतमे भन्य ब्रिटिश जिले मिले हुए थे। प्राचीनकालमें इस गजवकी गजधानी उगईऊर ( पुगनी नृचनापली ) थी। और तब इसका पश्चिमके माय बहुत विस्तृत व्यापार था। तामिल लोगोंके जहाज माग्नमहामागर नया बसालकी खाड़ीमें दुर-दुर तक जाते थे। कावेरीप्पुमपहनम इस देशका बड़ा बंदरगाह था। चोलराजाओम प्रमुख कारिकल नामका राजा था जिसने लंकापर भाक्रमण किया था और कावेरीका बाघ बांधा था। इस गजाकी नाम अपेक्षा एक जिनालय भी स्थापित किया गया था, जिससे इस राजाका जनधर्मप्रिमी होना सही पाण्ड्य और चोल राज्यों के समान ही र मथवा केरल राज्य था। चर राजाओं के इतिहास विशेष चेर राज्य। उलेखनीय बात यह है कि उनके राज्यकालमें देहांतका शासन अधिकांश प्रजातन्त्र निबमोंपर चलाया जाता था, जिसका प्रभाव सारे राज्यपर पड़ा हुणा था। गांवों भिज मिन समायें प्रबन्ध गोर १-काभाइ• पृष्ट २९१-२९२ । २-माई.,मा.२ पृष्ट ३८॥

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