Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 01
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 175
________________ ० कामताप्रसादजी कृत ऐतिहासिक ग्रन्थभगवान महावीर। या प्रा भने जावा किन्ने है: नीय बोर गायत्य ईन सज्ञ दिनों. २ प य स गया है। इसमें वो भगवान विना मान भगवन रुपमा देव, नेमिनाथ और 14E है : अंमें युद्ध, महावीर एवं महावीरकी वैज्ञता प्रमाण सदिय व हैं . पृ० २८. पकी जिद २) कची जिल्द १) भगवान पार्श्वनाथ। में भगवान न था। विस्तृत नसः गनिमे बतीय खोजपूर्ण जिच गया है। नया यह मिव या : किम. वामनाय ऐतिहामिल थे. वे जैन धर्म स्थापक नहीं थे। बेव धर्मकी प्राचीनत'. पुगवी माझा, बैद ग्रन्थ, बंद, हिन्दुपुगण, गमावण, महाभारत, भोग उपनिषदोंमें जैनधर्मका उलंय है। इस अन्धका बेन बजैनों में प्रचार करना योग्य है। १० ५०० . म २) मैनेजर, दिगम्बर नपुस्तकालय-परत ।

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