Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 01
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 173
________________ दक्षिण भारतका जन संघ। ॥ बबार एवं करित में निम्तए । उन पर तप तणा ज्या ज्ञान ध्यान द्वारा अपार शक्तिको संचय किया था। कन्सर भाचार्य इये मोर लोग उन्हें बिनशासनका प्रणेता बने थे। बेन सिद्धांनके मर्मज्ञ होनेके मिवाय पर नई, पारण, ज, नका. कात्यकोषादि ग्रंथों में पूर्ण निष्णात थे। वह मम्सना, प्राकृत. कनी, सामिक मादि भाषाओं बिठन थे. पातु उनके नारा दक्षिण मातमें संस्कृत भागको जो प्रतेनन और प्रोत्साहन मिका का वह अपूर्व था। उनकी वादति महिनी : उनाने बार नंगे पो मोर नंगे बदन देशका छोसे उप छोग्ता धूमकर मिथ्यावादियों गर्व स्वस्ति किया । यह महान योगी बेको उनको 'चारण ऋद्धि प्राम थी, जिस कारण बर का जीवोंको बधा पहुंचा बिना कसेको मोकी यात्रा शनासे बते थे। एवार दर पटक नगर (जिल! मताग में पहुंचे मोरमांक गनास अपने बार प्रयोजनको प्रार ने हुए बनोंने कहा था कि:'पूर्व पाटलिपुत्रमध्यनगरे भेरी मया ताहिला, पश्चात्मालवसिन्धुटकविषये कांचीपुरीदिदो । प्राप्तोऽहं करहाटक बहुमदं विधावट संकटं, पदार्थी विचराम्यहं नरवते शाल-विक्रीडितं ।। इसमे प्रष्ट है कि करहाटक पहुंचनेमे पाले प्रमंतभद्रने जिन देशों सवा नगरो बारके किये बिहार किया था उनमें पाटलिपुत्र मार, मास, सिंध,व्य (पंजाब) देश, कांचीपुरमौर वैदिक

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