Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 01
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 176
________________ पा० कामताप्रसादजी कृतभ०महावीर और म० बुद्ध। इममें भ० महावीर और महामा बुद्धका तुलनात्मक पद्धतिमे विवेचन किया गया है । वो और वृद्धक मंदका ज्ञान प्राप्त करना हो तो इस ग्रन्थको मश्य पदिये। पृ० २७२ म० १॥ वीर पाठावलि। इसमें भ० रुषभदेर मनट मग्न. गम-नक्ष्मण, रुग्ण, नेमि. गाय, भ० पार्श्वनाथ. भल महार. भम्रट चंद्रगुप्त, वीर संघकी बिदुपियां, भ० कुन्दकुन्दाचार्य माम्बामी. म्राट् खारवेल. स्वामी मनमद्र सिद्धांत.. चक्रनिं मचन्द्राचार्य. भट्टारलं देव बादिके २० एनिमामि च णित किये गये हैं। पृ० १२५ मल्प ) व विद्यार्थियों को ॥ * पंच-रत्न । इसमें महाराज श्रेणिः पम्राट् मह'नेर कुरूंगाधीश्वर नग बिजनदेव को नापने नाम से पांच बारित उस्माम दासे है। मूल्य 1-) + नव-रत्न । हममें भरिष्टनेमि. चन्द्रगुप्त सारवेस, नामुण्डाव. मारसिंह, गंगराज, साविषन्वे बोर सती गनी ऐसे ९ ऐतिहासिक बनि १। मूव) मेनेजा, दिगम्मरनपुलकाब-सरख ।

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