Book Title: Sanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 621
________________ होती है और इस करुणाका धारी प्राणिमात्रके कष्ट-निवारणके लिए प्रयास करता है। इस श्रेणीको करुणा किसी नेता या महान् व्यक्तिमे ही रहती है। इस करुणा द्वारा समस्त मानव-समाजको एकताके सूत्रमे आबद्ध किया जाता है और समाजके समस्त सदस्योको सुखी बनानेका प्रयास किया जाता है। अतिकरुणा भी जितेन्द्रिय, सयमी और नि स्वार्थ व्यक्तिमे पायी जाती है। इस करुणाका उद्देश्य भी प्राणियोमे पारस्परिक सौहार्द उत्पन्न करना है। दूसरेके प्रति कैसा व्यवहार करना और किस वातावरणमे करना हितप्रद हो सकता है, इसका विवेक भी महाकरुणा और अतिकरुणा द्वारा होता है। प्रतिशोध, सकीर्णता और स्वार्थमूलकता आदि भावनाएं इसी करुणाके फलस्वरूप समाजसे निष्कासित होती हैं। वास्तवमे करुणा ऐसा कोमल तन्तु है, जो समाजको एकतामे आबद्ध करता है। लघुकरुणाका क्षेत्र परिवार या किसी आधारविशेषपर गठित सघ तक ही सीमित है। अपने परिवारके सदस्योके कष्टनिवारणार्थ चेष्टा करना और करुणावृत्तिसे प्रेरित होकर उनको सहायता प्रदान करना लघुकरुणाका क्षेत्र है। मनुष्यमे अध्यात्म-चेतनाकी प्रमुखता है, अतः वह शाश्वत आत्मा एवं अपरिवर्तनीय यथार्थताका स्वरूप सत्य-अहिंसासे सम्बद्ध है । कलह, विषयभोग, घृणा, स्वार्थ, सचयशोलवृत्ति मादिका त्याग भी करुणा-भावना द्वारा सभव है। अतएव सक्षेपमे करुणा-भावना समाज-गठनका ऐसा सिद्धान्त है जो अव्याप्ति और अतिव्याप्ति दोषोसे रहित होकर समाजको स्वस्थ रूप प्रदान करता है। माध्यस्थ्य-भावना जिनसे विचारोका मेल नही बैठता अथवा जो सर्वथा सस्कारहीन हैं, किसी भी सद्वस्तुको ग्रहण करनेके योग्य नहीं हैं, बी कुमार्गपर चले जा रहे हैं तथा जिनके सुधारने और सही रास्ते पर लानेके सभी यत्न निष्फल सिद्ध हो गये हैं, उनके प्रति उपेक्षाभाव रखना माध्यस्थ्य-भावना है। मनुष्यमे असहिष्णुताका भाव पाया जाता है। वह अपने विरोधी और विरोध का सह नही पाता । मतभेदके साथ मनोभेद होते विलम्ब नही लगता। अत इस भावना द्वारा मनोभेदको उत्पन्न न होने देना समाज-गठनके लिए आवश्यक है । इन चारों भावनाओका अभ्यास करनेसे आध्यात्मिक गुणोका विकास तो होता ही है, साथ ही परिवार और समाज भी सुगठित होते हैं। माध्यस्थ्य-भावनाका लक्ष्य है कि असफलताको स्थितिमे मनुष्यके उत्साहको . तीर्थकर महावीर और उनको देशना . ५७१

Loading...

Page Navigation
1 ... 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664