Book Title: Sanatkumar Charitra Author(s): Vardhmansuri, Hiralal Hansraj Publisher: Shravak Hiralal Hansraj View full book textPage 1
________________ सौन्वय सनत्कुमारत चरित्रं भाषान्तर ॥ श्रीजिनाय नमः ॥ ( सान्वयं गूर्जरभाषांतरसहितं च ) ॥ अथ श्री सनत्कुमारचरित्रं प्रारभ्यते ॥ (मूलकर्ता-श्रीवर्धमानमूरि) अन्वय तथा भाषांतर करनार-पंडित श्रावक हीरालाल हंसराज (जामनगरवाळा.) जनानुरक्तिभुक्तिश्च मुक्तिश्च नृषु शीलतः। सनत्कुमारशङ्गारसुन्दयोंरिव जायते ॥१॥ अन्वयः-शीलतः सनत्कुमार शृंगारसुंदर्योः इव नृषु जन अनुरक्तिः, च भुक्तिः, च मुक्तिः जायते ॥१॥ अर्थः-शील पालवाथी सनत्कुमार अने शृंगारसुंदरीनीपेठे माणसोने लोकोतरफनो प्रेम, भोगो अने मोक्ष प्राप्त थाय छे. ॥१॥ तद्यथा सत्पथाध्वन्यधन्यपौरालिमालिनी। श्रीकान्तेति पुरी जम्बूद्वीपे भारतवर्षभूः ॥२॥ अन्वयः-तद्यथा-जंबूद्वीपे भारतवर्ष भूः सत्पथ अध्वन्य धन्य पौर आलि मालिनी श्रीकांता इति पुरी. ॥ २ ॥ अर्थ:-ते आ प्रमाणे-जंबूद्वीपमा (आवेला) भरतक्षेत्रमा सन्मार्गे चालनारा भाग्यशाली नागरिकोनी श्रेणिथी शोभिती थयेली, एवी श्रीकांतानीमनी नगरी छे. ॥२॥ SANSARSHASSAR Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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