Book Title: Samyaktva Rahasya Prakaranam
Author(s): Siddhasensuri, Hitvardhanvijay
Publisher: Kusum Amrut Trust

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Page 10
________________ विद्रुमनी १५भी शताब्दीमां समायेसी सम्यक्त्वरहस्यप्रकरणम् प्रतनी झेटो झेपी. (हस्तप्रतनुं पडेनुं पृष्ठ) मुलिकण सुहरा गुरूल पासंतिसमय निद्दिहं । सम्मान रदम मदं णामि जविद्याल बोद॥२४ ए८॥पन्ननवोदितीरं। को दाई जलाउ नुवानी नाम तिमिर तर रणं । वंदामि जिले सरं पासं ॥ रसायो पारो । च्याउं घोवं जियाय मोहा। तं किं चिसि कि यह जंक करंच्याच ममदा मोदध्या र डाळ जीवा कम्मूड में दिने ए। जायइ सं मन्त्रपरिणामो ३ जिझ ग दो ममो देहिं नासि जमिह जिए व रिंदे किं । तंव होतनं । यही दोइ सम्म ||४ए गविददु विद्वतिविच हा पंच विदंव सेन्त्र विद । स दद्दा कारगाई व सुमने यदि वास ॥ नि सा एसईई सुन्न नीरु मेगिम विद्या रफी कि रियर से खेवमारुई। इन इनो सका धरि खन्नर गुण गौतदा विट्ठे का यई सम्मन्नं समं समज जैन पिया हे चरित्रे एहुय रेस [ग] यस तिचरण र दिया। दंसर दियान सिनेति॥ मूलं दारं पर डाल दारोजायत ।। दुछकस्सा विधम्मरमा समय रि किति ॥ कारणं सममनेाय रोड काय हो । मिळवते । तिविदं विविदे जा जी ॥ २० वे सा गिदेसु गमगंज का विरुद्धं महान जचहल जागा दित दासाव्यसु सावया एक तिळे सुइज लोनारी मुद्दांकसगिणे एवं कति उगमयो। सम्मानं सागरसकदं । । १२ किर६ ममि टा कुसल सुसावत सो विद्याग उछाटा एस दाणो) सिवान निउडु जो ॥१३ दाद रिहर विरंचिका विलसं खायादे वा । जव गमवजश्न विद जे इमो दो। सो ॥१४ क लिंगिता स्त्रि प्पा सोते [ए] निमिनेशन लदर बोहिं जिला जिदि ॥ १६को निि ऊपश्न छन् ते।। वद्वेश्य मिळनंस बो दिबी चंद सिंगर सिंघामि उन नोज मूढ गम करे मुद्रायान्ते । यतु हीते एतेनी ॥ दहिं पिंडाई काक एं) को नि भिण्डेशदास विचरयातमन्त्रे नरे नहि। यसो परम प्राणं दिया पाडे इडुरु पाया पडलो मायाबल पर परावृळे संजमत वायामिया (लोइटा रूढिंकाई वस मुद्दे बुडे मिनेविति । किर नरे मिसेमारे। मिछन्न कारणा जोन विवो इरे ॥ २९ ॥ यमक क कजाई । संसार जलदि मझे जी पण विवाणिजाई ॥२२ वित्रमिमनवमी के लिय संकेत सरस सिगदा। पवन पिंडवाड़ा गयाइदा एंव सहा । १३ सत्रमि पंचमि गोमा निदी यदग्रहमनिदिवि से सा। रविवार सोमवारे जलंजली बार सिपया ॥२४ गिद्ध तारण पर तिळग माखल करण दो मकर गाईतद खिन्न गुन पत्ता देवयाश्या चेव ॥श्यमा सियड म्मा नियद रिशियाशतेऽज्ञ नवमिच्छाईछ । मिळनजनको यण। लोययरूपाय पडच ३६ र विक्रियाए। बाहुराज निरागंचा सकारं सम्माण दाणं विषयं चव ने ॥२नरु रोवणक नाद ल क य तयाइड बीवादी सिवर त्रिवन्त राय ।। एमार सिग रित्ता ।।२८समय छात्र विडियंस् जे पि किं । वीरइग एवभुणणे नक्क रडिय निमंत पाईये ॥२ए माई मरणं जरका व्यर्ण जिणमएसद्द मोदेवनद उडी करणं तिवि देगाव कि जा ॥३०॥ गिट्टि गवाद सालातलं वय जुन्न दल। दाणे तिल माई एमय बंजय करणं च ॥ ३२ वडनिंब पिप्पला नंबरी इस लाचार पसिलको प्राकरणचनमा ३२ जोगिद कर्डब सामा सेतो मिळत रोव कण ते सयलोवि दो पकित्रो समुहं म ।।३३ जो गिद कडे ब सामी संतोसम्मन्न रोक | तेसला विदेसो सिद्दिपुरी समुदोनी ॥ ३४ दंसणविस एसमए दिहंता गहा समरका या घुइ

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