Book Title: Samaysara Kalash
Author(s): Amrutchandracharya, Rajmal Pandey, Fulchandra Jain Shastri
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 13
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates श्रीसर्वज्ञवीतरागाय नमः શાસ્ત્ર-સ્વાધ્યાયનું પ્રારંભિક મંગલાચરણ * ओंकारं बिन्दुसंयुक्तं नित्यं ध्यायन्ति योगिनः। कामदं मोक्षदं चैव 'काराय नमो नमः ।। १ ।। अविरलशब्दघनौघप्रक्षालितसकलभूतलकलङ्का। मुनिभिरुपासिततीर्था सरस्वती हरतु नो दुरितान्।। २ ।। अज्ञानतिमिरान्धानां ज्ञानाञ्जनशलाकया । चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ।। ३ ।। ॥ श्रीपरमगुरवे नमः, परम्पराचार्यगुरवे नमः 11 सकलकलुषविध्वंसकं, श्रेयसां परिवर्धकं धर्मसम्बन्धकं भव्यजीवमनःप्रतिबोधकारकं, पुण्यप्रकाशकं, पापप्रणाशकमिदं शास्त्रं श्री समयसारनामधेयं, अस्य मूलग्रन्थकर्तारः श्रीसर्वज्ञदेवास्तदुत्तरग्रन्थकर्तारः श्रीगणधरदेवाः प्रतिगणधरदेवास्तेषां वचनानुसारमासाद्य आचार्यश्रीकुन्दकुन्दाचार्यदेवविरचितं श्रोतारः सावधानतया शृणवन्तु ।। 9 मंगलं भगवान् वीरो मंगलं गौतमो गणी। मंगलं कुन्दकुन्दार्यो जैनधर्मोऽस्तु मंगलम् ।। ९ ।। सर्वमङ्गलमांगल्यं सर्वकल्याणकारकं । प्रधानं सर्वधर्माणां जैनं जयतु शासनम् ।। २ ।। Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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