Book Title: Sahajanandghan Guru Gatha Author(s): Pratap J Tolia Publisher: Jina Bharati View full book textPage 3
________________ अनन्य आत्मशरणप्रदा सद्गुरूराजविदेह । पराभक्तिवश चरण में धरं आत्मबलि एह ॥ परमगुरु राजचन्द्र शरणापन्न योगीन्द्र युगप्रधान सहजानंदघन सद्गुरु देव जन्म : संवत् १९७० दीक्षा : संवत् १९९१ भाद्रपद शु. १०, डुमरा (कच्छ) लायजा (कच्छ) युगप्रधान पद : संवत् २०१७, महाप्रयाण : कार्तिक शु. २, ज्येष्ठ शु. १५, बोरड़ी संवत् २०२७, हम्पी "गुलाब के फूल तुल्य, गुरु का दिल कोमल था गोक्षीर धारा की भांति, उनका सुयश उज्जवल था । मेरे लिये अप्राप्य है, गुरु का विराट व्यक्तित्व गंगा के सलिल समान, उनका आचार निर्मल था ॥" साध्वी डा.श्री प्रियलताश्रीजी । कितने प्रसन्न, कितने प्रशान्त, कितने सहज, कितने सुशान्त । बालवत् सरल, प्रबुद्ध और तरल, कहाँ मिलेंगे तुझे 'निशान्त' ? अनंतयात्री "निशान्त" ।Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 168