Book Title: Sagai Karne Pahele
Author(s): Priyam
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar

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Page 7
________________ सोफे पर गठरी सी बन के गिर गये हर्षद भाई। उनको एक दूसरा स्टीकर याद आने लगा, “रात्रि भोजन नर्क का द्वार है।" (आत्महत्या कई प्रकार की होती है, जिस में से एक प्रकार यह है। धर्म से पुण्य मिलता है और पुण्य से सुख मिलता है। इस प्रक्रिया पर चाहिए उतना विश्वास शायद न हो तो भी इतना तो नजरो समक्ष दिखाई पडता ही है कि सुख सद्गुणों में ही है और सद्गुण धर्म में ही है। सुख के लिये धर्म से इंकार करना वह खाने के लिए भोजन को इंकार करने के बराबर है। अगर सखी बनना है तो धर्मी बनो और सामनेवाले पक्ष से भी धर्म का आग्रह रखो, वर्ना दुःखी होने के लिये...) भी छलक उठी। थोडा रुदन और थोडा मौन ... भीनी आँखो से हर्षदभाई उत्तर की राह देख रहे थे और सामने से वही उत्तर आया जिसकी शंका थी... "पापा, पहले दो महीने तो सब कुछ ठीक स्वर्ग जेसा लगता था, और अब सब कुछ नर्क जैसा लगता है। उनकी व उनके सारे परिवार की असलियत सामने आ गई है। उनका स्वभाव बहुत ही खराब है। जरा सा भी व्यवहार उनके अनुकूल नहीं हो तो वे मुझे ऐसा-ऐसा सुनाते हैं...पापा। इतनी हल्की भाषा .... ऐसा अपमान.. पिछले दो महिनों से एक भी दिन ऐसा नहीं गया है, जिस दिन मैं रोई नहीं हूँ, और पापा, प्लीझ किसी से कुछ कहना मत। पिछले तीन महीने से हम साथ कोई फिल्म देखने नहीं गये, ना ही किसी होटल में गये हैं, लेकिन वे हर रोज रात को बाहर जाते हैं। पहले कहते थे कि "व्यापार की वजह से जाना पडता है। फिर कहने लगे, "तुझे क्या है? मैं जहाँ चाहूँ जाऊँ, तुम पूछनेवाली कौन होती हो ?" पापा मुझे ख्याल आ गया था कि उनकी किसी दूसरी के साथ... एक बार वे बाथरूम में थे तब मैने उनका फोन रिसीव किया था, पापा ... उस दिन उनका असली चेहरा..." घर के सभी उन के पक्ष में हैं। मेरा यहाँ कोई नहीं है। सास ने तो मानो मझे रुलाने की कसम ही खा रखी है। पापा अपने घर में एक स्टीकर था न..., “सब के बिना चल सकता है लेकिन धर्म के बिना नहीं चल सकता, धर्म ही जीवन का आधार है।" अब पल-पल मुझे वह स्टीकर याद आता है, लेकिन उसे समझने में मुझे देर हो गई...काश... पापा, मुझे पता है कि अगर मैं वापस आ गई तो आप सब दुःखी हो जाओगे, इसलिये मैं इस नर्क में दिन व्यतीत कर रही हैं। मैं तो तुम्हें यह बात भी बताना नहीं चाहती थी, लेकिन आप ने कसम जो दे दी... प्लीज़, मेरी चिंता नहीं करना, मैंने तो खुद ने ही अपने पाँव पर कुल्हाडी मारी है। जब तक सहन होगा तब तक सहन करुंगी। फिर.. पता नहीं, और हाँ पापा... मेरी आप को बार-बार प्रार्थना है, काजल की सगाई किसी धार्मिक लडके से ही करना, प्लीज़, नहीं तो मेरी बहन का जीवन भी मेरी तरह..." सब्जी बिगड़ती है तो दिन खराब होता है और आचार बिगड़ा तो वर्ष। पत्नी बिगड़ी जिस की, बिगड़ा उसका जीवन और अधर्म हुआ तो बिगड़ा सर्वस्व। - ११ _Before you get Engaged आप सगाई करें उससे पहले ____ _

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