Book Title: Sagai Karne Pahele
Author(s): Priyam
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar
Catalog link: https://jainqq.org/explore/034136/1

JAIN EDUCATION INTERNATIONAL FOR PRIVATE AND PERSONAL USE ONLY
Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आप सगाई करें उससे Before You Get Engaged From पहले आपका जीवन आग नहीं, बाग बने, इस लिए हार्दिक शुभ कामनाओं के साथ सप्रेम.. शांति से पढ़ें... विचार करें और फिर आगे... याद रहे जब जिंदगी का सही खेल शरु होगा, तब | वॉक स्टायल या टॉक स्टायल काम में नहीं आयेगी । फेर स्कीन या फेर लुक भी काम में नहीं आयेगी 1 वेल्थ, डिग्री या प्रेस्टीज भी उस समय बेकार हो जायेगी 1 उस समय म्युज़ियम - पीस जैसे पात्र आप को दुःखी महादुःखी कर देंगे 1 प्लीज़ अपने आप पर इतना सितम न करें 1 आप किसी को पसंद करें उस से पहले पसंद करने के सही पहलू को पसंद कर लें 1 बस, फिर आपका जीवन स्वर्ग बन जायेगा 1 सचमुच 1 Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 20 विषयानुक्रम SUBJECT PAGE १. क्या देखेंगे ? सुंदरता ? सम्पत्ति ? या शिक्षा। २. प्रसन्नता का स्रोत..... सकारात्मक शक्ति ३. सुख या दुःख ?... पसंद आपकी यह किताब नहीं आपके एक निजी मित्र का प्यार भरा उपहार है जो नहीं चाहता कि आपकी एक भूल जीवनभर की सजा बन जाये । ४. स्वर्ग या नर्क ?... पसंद आपकी ५. मोडर्न या ओर्थोडोक्स ? आपकी इच्छा ६. रुको, देखो और चलो ७. गोरी चमड़ी से रिश्ता ८. शहर या गाँव ? Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "ज़रूर, ये भी कोई कहने की बात है ?" क्या देखेंगे ? सुंदरता ?.... सम्पत्ति.... या शिक्षा ?... "क्या बात करते हो ? मुझे लगता है तुम पागल हो गये हो। अमरिका की लड़की से तेरी सगाई हो गई और तुमने तभी कह दिया, कि उसे स्मरण... क्यां बोले थे तुम ?" "हाँ, जब उसे पंच प्रतिक्रमण, नवस्मरण, चार प्रकरण, तीन भाष्य और छ कर्मग्रंथ आ जायेंगे, उस के बाद हमारी शादी होगी।" "क्या वाहीयात, बकवास है। लगता है तू उस अमरीकी लड़की को कँवारी ही रखना चाहता है, और हाँ तू भी कँवारा ही रहेगा, ठीक है न? बाय द वे, अभी वह कितनी पढ़ी है।" "नवकार, ओन्ली नवकार।" "हो गया काम ! तब तो तेरी शादी हो चुकी।" "हल्लो, जीमित, मुझे अभी तेरी शादी का निमंत्रण कार्ड प्राप्त हुआ है। बहुत बधाई, क्या तुझे एक प्रश्न पूछ सकता हूँ ?... क्या यह वही लड़की है, जिसके साथ तूने पिछले साल..." "जिमित. जिसके साथ मैं अपने दिल को खोल कर हर बात कर सकता हूँ, ऐसा तू बस एक ही व्यक्ति है। आज तुझे घर बुलाया है, तो उसका एक विशेष कारण है। मम्मी-पापा उपधान हेतु गये हैं और वह राखी बाँधने अपने मायके गई है। जिमित, मैं इतना दुःखी हो चुका हूँ, कि मर जाने के विचार आते हैं। उसका स्वभाव निष्ठुर है, एक दम कठोर। सारा दिन माँ के साथ लड़ती रहती है। छोटी सी बात में रोने लगती है और तो और जोर-जोर से बोल कर सारे अपार्टमेन्ट को हिला देती है। मैं थका हारा रात को घर आता है, थकावट, व्यापार के टेंशन और आराम की सख्त ज़रूरत होती है... ये सब कुछ उसे दिखाई नहीं देता, मुझे रात को एक-डेढ़ बजे तक बस उसकी फरियादें सुननी पड़ती हैं। बस, मशीनगन की तरह वह बोलती ही रहती है, मुझे कुछ बोलने का अवसर भी नहीं देती। कई बार मन ऐसा होता है कि मैं घर जाऊँ ही नहीं, लेकिन अगर घर नहीं जाऊँ तो कहाँ जाऊं... इतनी पढ़ी लिखी है लेकिन कोई मेनर या कॉमनसेंस, विवेक जैसा कुछ भी.... अगर पड़ौस में वह कहीं कुछ देख आए या टी.वी.-अखबार में कुछ देख ले तो समझो कि मैं तो मर गया। यानि जब तक वह वस्तु ला कर न दो तब तक छुटकारा नहीं हो सकता, ला कर देनी ही पड़ती है। उसे महंगाई नहीं दिखती, व्यापार में आई मंदी नहीं दिखती और ना ही मेरी केपेसिटी का ख्याल है उसे। घर के काम जैसे वैसे पडे है तो पडे रहे लेकिन उसके मेकअप और टिप टॉप होने में से उसे फुर्सत ही नहीं मिलती और हाँ, उसे कुछ भी कहने का खतरा कौन मोल लेगा? जिमित, तू इस बातको अपने तक ही रखेगा। इस बात का मुझे पूरा विश्वास है, इसीलिए तुझे कहता हूँ। वह "नेट' पर घंटो व्यतीत करती है और वो क्या करती है इस बात को गुप्त रखने में वह बहुत सावधान होती है। वैसे भी उसके बंद कमरे को खटखटाने की किसी की हिंमत नहीं होती। वह शॉपिंग "तो क्या तूने अपनी शर्तों के साथ समझौता कर लिया ?" "नहीं, बिल्कुल नहीं।" "तो क्या बारह महीने में लड़की की शिक्षा इतनी हो गई ?" "ऑफकोर्स यस, ये संभव था और मुझे इस का पता था। तू कोशिश करे, तो तेरा भी इतना अभ्यास हो जाए, और वह भी उतने ही समय में।" “ओ.के. यार तू जीता, लेकिन जीत कर तूने पाया क्या, मुझे ये समझ में नहीं आता है ?" "चिंता मत कर, ये समझाना भी संभव है। अब इस बात को छोड़ दे। शादी में परिवार के साथ ज़रूर आ जाना ।" - - Before You Get Engaged आप सगाई करें उससे पहले Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ के बहाने बाहर जाती है तो कब वापस आयेगी इसका कोई भरोसा नहीं होता। क्या कहूँ तुझे ! मैं तो उसके लिए सिर्फ एक साधन हूँ, जो उसकी, उसके शरीर की, मन की और पैसे की भूख को संतुष्ट कर सके...।" जिमित, मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानता था कि मुझे इतनी सुंदर और शिक्षित पत्नी मिली है, लेकिन अब सच कहूँ तो अब उसकी तरफ देखने का भी मन नहीं करता है। उसे देखते ही मुझे घृणा होने लगती है, नफरत होती है। शायद वह मेरे लिए दुनिया की सब से कुरूप स्त्री है और उसकी शिक्षा ? माय फूट, इसकी जगह तो किसी अनपढ़ से शादी की होती तो अच्छा था... जड़ता की भी कोई हद होती है... थक गया हूँ मैं उससे... और अपने जीवन से भी। जिमित वर्षों के बाद अपने एक अभिन्न मित्र को रोते हुए देख रहा था। जिमित को लगा कि अगर सभी के पास कोई “जिमित" हो तो सब इस तरह रो पड़ें। लगभग सभी । मेच्योर व्यक्ति भी। जिमित अभी चुप था, लेकिन उसके आंसु उसके मित्र को काफी सहानुभूति, सांत्वना दे रहे थे... कुछ पल ऐसे ही बीत गये, और अब जिमित के होठ हिले... “नीशु, पाँच साल पहले तुझे मेरी बात समझ नहीं आती थी, वह तुझे अब समझ में आ जायेगी। मेरा जीवन बहुत-बहुत सुखी है, जिसका मुख्य कारण ये है कि मेरी पत्नी एकदम पॉझिटिव है। वह मेरे माँ-बाप को सिर्फ दिखावे के लिए नहीं बल्कि दिल से अपने माता-पिता मानती है। मेरी माँ के कुछ माइनस पोईंट थे लेकिन उसकी सेवा और माँ के प्रति उसके अभिगम को देखकर माँ उस की तरफ हो गई। दफ्तर से घर जाऊँ और मुझे ऐसी फरियाद सुनने को मिले कि मेरी सारी थकान उतर जाए। माँ कहती है कि "ये आराम करती नहीं है" और वह कहती है कि माँ से कह दो वे किचन में न आएँ, सारी जिंदगी उन्होंने घर का बहुत काम किया है, अब उनके आराम करने का समय हुआ है, आराम करने की उम्र है।" नीशु, तू सच मानेगा ? आज तक उसने अपने खुद के लिए कभी कुछ खरीदा ही नहीं है। जो भी लिया है, वह भी मेरे आग्रह करने पर लिया है। - Before You Get Engaged पालीताणा में मैं जबरदस्ती उसे बाजार ले गया था, मैंने वहाँ उसे एक साड़ी लेने के लिये कितना कहा, उसका बस एक ही जवाब था, कि जरूरत नहीं है, जो है वो भी बहुत अधिक है। मैंने भारपूर्वक उसे कहा, "चाहे तू उसे कभी मत पहनना, लेकिन ले तो ले," तब कहीं जा कर वह साड़ी लेने को तैयार हुई, सिर्फ मेरा मन रखने के लियें। नीश, उस की नज़र टी.वी. अथवा नेट पर नहीं होती है बल्कि घर के कामों में होती है। उसने घर में सब के दिल जीत लिये हैं। अपनी फरसत के समय में वह अखबारें नहीं, धार्मिक पुस्तकें पढ़ती है। मुझे निरंतर ऐसा अनुभव होता है कि ऐसा आदर्श व्यवहार और स्वाध्याय-इन दोनों से उसके गुणों में बढ़ौतरी हो रही है। हर घटना में उसकी उदारता, सहनशीलता, निःस्पृहता, संतोष... आदि गुण आँखों को दिखाई पड़ते हैं। नीशु, तू मान या न मान, बाहर की दुनिया के साथ उसका कोई व्यवहार ही नहीं है। वह आत्मसंतुष्ट है। टोटली सेल्फ-सेटीसफाईड। उसे खुश होने के लिए किसी वस्तु की जरूरत नहीं पड़ती। वह तो पहले से ही खुश है और उसी के कारण मेरा घर स्वर्ग बन गया है। नीशु, कुछ धार्मिक-प्राथमिक एक्टीविटीझ के लिये मैंने उसे सगाई से पहले ही समझा दिया था । मेरा मतलब है उसे कन्वींस कर दिया था। उस के लिए भी धार्मिक अभ्यास जरुरी था। उसने पंच प्रतिक्रमण आदि के बारे में अर्थ के साथ अभ्यास किया है, इसलिए उसने सचमुच गहन अभ्यास किया है। आधुनिक विज्ञान भी मंत्राक्षरों के प्रभाव को स्वीकार करता है। पंच प्रतिक्रमण एवं नमस्मरण की पवित्रता ने हमारे घर और हमारे मन को पवित्र बना दिया है। ‘जीवविचार' का अभ्यास करने से उसके अंदर दया और करुणा के भाव दिखाई पड़ते हैं। वह 'चींटी' को भी 'समझती है और माँ को भी। 'नवतत्त्व' को पढ़ने से वह युनिवर्सल टूथ-वैश्विक सत्य को समझी है, इस कारण उसका व्यवहार और ईमानदारी कुछ अलग प्रकार की है। दूसरे अध्यायों के अभ्यास से और ज्ञान से उसकी श्रद्धा सबल बनी है। भाष्यों के अभ्यास से उसकी धार्मिक प्रक्रियायें हकीकत में बदल गई है। ये सब देख कर हमें उसके प्रति मान होता है। कर्म ग्रंथों के अभ्यास से उसे “कर्म के सिद्धान्त" का सूक्ष्मज्ञान हो गया आप सगाई करें उससे पहले Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ है, जिसका सीधा परिणाम ये आया है कि फरियाद यानि 'कम्पलेइन' शब्द उसके शब्दकोश में है ही नहीं तथा सहनशीलता उसका स्वभाव बन गया है। किसी को दुःख पहँचे ऐसा कोई कार्य वह करती तो नहीं ही है, ऐसा बोलती भी नहीं है। शादी के बाद भी उसके फुर्सत के समय में उसका अभ्यास जारी है। आरंभ में उसने 'श्राद्धविधि' ग्रंथ का अध्ययन किया। उसके बाद उसके जीवन का ढंग सचमुच रिच हो गया और साथ ही साथ उसकी व्यवहार कुशलता भी बढ़ने लगी है। अभी आखिर में तो उसने "ज्ञानसार” का अध्ययन किया है। अगर इस बारे में मैं अपनी राय दू, अनुभव बताऊँ तो ये कहना चाहूँगा कि उसका व्यक्तित्व बेहद गुणवत्ता से परिपूर्ण यानि वह हाईली-क्वोलिफाईड बन गई है। वह जहाँ भी उपस्थित होती है, उसके आस-पास के वातावरण में एक अलग ही प्रकार की प्रसन्नता और ताजगी का अनुभव होता है। मुझे ऐसा लगता है कि वैज्ञानिक लोग जिसे पोझिटिव एनर्जी कहते हैं वह यही है। नीशु, मुझे तुझ से सिर्फ एक तरफी बात ही नहीं करनी है। अध्ययन करने से ऐसा परिणाम प्राप्त होगा ही यह जरुरी नहीं है। विद्यार्थी में भी किसी स्तर की योग्यता होनी चाहिए, उसका उद्भव भी कुछ सकारात्मक होना चाहिए, जो मेरी पत्नी में पहले से मौजूद था। मुश्किल लगने वाली मेरी शर्ते भी उसने हमारी शादीशुदा जिंदगी के हित में है, ऐसा समझ कर स्वीकार कर ली. यह बात उसकी योग्यता का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। हाँ, यह भी निश्चित है कि ऐसे अध्ययन से भी व्यक्ति में योग्यता बढ़ने की संभावना होती है। लेकिन त जिसे उच्च शिक्षा कहता है, उसमें ऐसी कोई संभावना ही नहीं है और न ही उस में कोई सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने की आशा रखी जा सकती है, इस बात का तो अनुभव तुझे हो ही गया है। नीशु, शादीशुदा जिंदगी न तो 'रुप' से चलती है, नाही पैसे से या 'स्कूलकॉलेज' की शिक्षा से चलती है। शादी चलती है सद्गुणों से । सच्ची सुंदरता भी यही है, सच्ची सम्पत्ति और सच्ची शिक्षा भी यही है। तेरे लिए शायद समय व्यतीत हो चुका है तथापि आशा अमर होती है। तू प्रयत्न कर के देख, सुख का मार्ग तो यही है, तेरे लिए भी और उस के लिए भी। प्रसन्नता की स्रोत सकारात्मक ऊर्जा "साहबजी, आपसे एक नीजी बात करनी है, कब आऊँ ?" मुंबई-भायखला में एक चौबिस वर्षीय युवक ने मुझे प्रश्न पूछा। मैंने जो समय उसे दिया था वह उस निर्धारित समय पर आया और उसने अपनी बात कही। "महाराज श्री ! चार महिने पहले मैंने शादी की। प्रेम विवाह, मेरे और उसके घरवालों के विरोध के बावजूद। उसका उसके घर से रिश्ता एकदम समाप्त हो गया उस के बाद विवाह हुआ। मैं भी धार्मिक नहीं हूँ और वह भी नहीं है। वह पहले देरासर जाया करती थी, लेकिन बाद में उसने देरासर जाना छोड़ दिया। वह कहती है कि भगवान कुछ देते नहीं है। यह तो सिर्फ भूमिका की बात है, हकीकत में हमारी तकलीफ यह है कि हमारे दरम्यान भयंकर झघड़े होते हैं। कुछ उसकी गलती होती है और कुछ मेरी भी गलती होती है। जब झघड़ा होता है तो हम दोनों भयानक क्रोध में होते हैं, और न बोलने जैसा बोल जाते हैं, जिस कारण वातावरण तंग हो जाता है और वह झघड़े में हमेशा तलाक की धमकी देती है। महाराज श्री ! कुछ बदलाव आये और कुछ मनोरंजन हो इसलिए हम थियेटर में जाते हैं, लेकिन इससे तो हमारे झघडे और भी बढ़ जाते हैं। उसे हीरो पसंद आता है, मुझे हिरोइन अच्छी लगती है, फिर हम एक दूसरे को पसंद नहीं करते। ये आंतरिक कारण है फिर बाहर की बात का वजूद हो या न हो, लेकिन हमारा झघड़ा खड़ा हो जाता है। महाराज श्री ! मैं सचमुच में तंग आ गया हूँ। अभी तो शादी को सिर्फ चार महीने ही हुए हैं और ... सारा जीवन... मैं तो तलाक भी नहीं दे सकता - Before You Get Engaged आप सगाई करें उससे पहले ८ Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ और उसके साथ रह भी नहीं सकता। तलाक ले कर वह जायेगी कहाँ ? यही बड़ा प्रश्न है। तलाक के बाद अगर हम दूसरा विवाह करते हैं, तब हमें समझौता ही करना पड़ेगा, बहुत बड़ा समझौता। इस समय इस समस्या में मैं न तो घर में शांति से रह सकता हूँ और न ही दूकान में ध्यान दे सकता हूँ। ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए ?" एक नौजवान अपने प्रेम विवाह की ट्रेजेडी ले कर मेरे पास आया था। उस की लाचारी, बेबसी और उसका दुःख देखकर मैं हिल गया। सकारात्मक ऊर्जा न तो उसके पास थी और न ही उसकी पत्नी के पास थी। पैसे दे कर नकारात्मक शक्ति ले आने की भूल वे नियमित रुप से कर रहे थे। टी.वी. विडियो, नेट, अखबार, पत्रिकाएँ, खराब मित्र मंडल. सिनेमा आदि ये सब नकारात्मक ऊर्जा के स्त्रोत हैं, जिन के कारण शरीर और मन में तरह-तरह के विकार जन्म लेते हैं। क्रोध पर काबू नहीं रहता, काम वासना भड़क उठती है, सज्जनता घटती जाती है, आशा अपेक्षाएँ बढ़ती जाती हैं. और ये सारे घटक जीवन में एक के बाद एक मुसिबतें लाते रहते हैं। सकारात्मक ऊर्जा यानि पॉजिटिव एनर्जी सुखी जीवन का एक मात्र स्रोत है। सामायिक, पूजा, स्वाध्याय, प्रवचनश्रवण ये सारे घटक सकारात्मक ऊर्जा देते हैं। इन से मन प्रफुल्लित रहता है। शरीर स्वस्थ रहता है। स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन से व्यवसायिक और व्यवहारिक जिम्मेदारीयों भी अच्छी तरह से निभाई जा सकती है। अगर उस युवक ने ऐसी सकारात्मक ऊर्जा वाली कन्या से विवाह का आग्रह रखा होता, तो उसकी ऐसी दशा नहीं होती। सुख या दुःख ? पसंद आप की Your choice "हैलो, मैं हर्षद बोल रहा हूँ। दो दिन पहले तुम्हारे घर रिश्ता ले कर आया था वो, तुम्हारा बेटा चोवियार करता है... इसलिये.. मेरी बेटी को उस के साथ ठीक नहीं रहेगा... सोरी..।" हर्षदभाई के कुछ महीने चिंता में व्यतीत हुए। इस दरम्यान उन्होंने तीनचार लड़के देख लिये, लेकिन कहीं भी बात नहीं बनी। आखिकार एक लडका रिश्ते के लिए तैयार हो गया। उनकी बेटी को भी यह लडका बहुत अच्छा लगा। दोनो शौखीन मिजाज के थे। होटल-लारी में जाना. नई नई फिल्में देखना... वगैरह-वगैरह उन्हें पसंद था। लडकी को लगा कि यह लडका मेरे लिए एकदम सही है। इसके साथ मेरा जीवन अच्छी तरह से सुखमय व्यतीत होगा। इन दोनों का विवाह हो गया। दस दिनों के बाद बेटी का फोन आया, “पापा, मैं सुखी हूँ, बहुत ही सुखी हूँ। बस, मुझे जैसा चाहिए था वैसा ही मिला है। आप मेरी किसी तरह की चिंता न करें। वे मुझे बहुत ही अच्छी तरह से रखते हैं और इतना मजा है कि..." सुख का सांस लेते हुए हर्षदभाई सोफे पर लंबे हो गए। चलो, बेटी ससुराल में सुखी हो तो मानो जंग जीत गए और गंगा नहा लिए। हर्षदभाई बेटी के बचपन से लेकर विवाह तक की स्मृतियों में खो गए। " सुखं धर्मात् सुख की एकमात्र स्रोत है धर्म। "हैलो, बेटा ! केसी हो, आनंद में ? दो महीने हो गए तुम्हारा कोई समाचार ही नहीं है।" हर्षदभाई ने सामने से फोन किया था । शादी के छ महीने बीत चुके थे और आखिर में जो फोन हुए थे उनमें बेटी ने कोई उत्साह नहीं दिखाया था। "बेटा, तेरी आवाज क्यों इतनी धीमी और अस्पष्ट है? सच बोल, क्या चल रहा है?... अरे, तू रो रही है?... क्यों?... तुझे मेरी कसम है, बौल।” बेटी उत्तर दे पाये उस की जगह फूट-फूट कर रो पड़ी। हर्षदभाई की आँखे आप सगाई करें उससे पहले १० Before You Get Engaged Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोफे पर गठरी सी बन के गिर गये हर्षद भाई। उनको एक दूसरा स्टीकर याद आने लगा, “रात्रि भोजन नर्क का द्वार है।" (आत्महत्या कई प्रकार की होती है, जिस में से एक प्रकार यह है। धर्म से पुण्य मिलता है और पुण्य से सुख मिलता है। इस प्रक्रिया पर चाहिए उतना विश्वास शायद न हो तो भी इतना तो नजरो समक्ष दिखाई पडता ही है कि सुख सद्गुणों में ही है और सद्गुण धर्म में ही है। सुख के लिये धर्म से इंकार करना वह खाने के लिए भोजन को इंकार करने के बराबर है। अगर सखी बनना है तो धर्मी बनो और सामनेवाले पक्ष से भी धर्म का आग्रह रखो, वर्ना दुःखी होने के लिये...) भी छलक उठी। थोडा रुदन और थोडा मौन ... भीनी आँखो से हर्षदभाई उत्तर की राह देख रहे थे और सामने से वही उत्तर आया जिसकी शंका थी... "पापा, पहले दो महीने तो सब कुछ ठीक स्वर्ग जेसा लगता था, और अब सब कुछ नर्क जैसा लगता है। उनकी व उनके सारे परिवार की असलियत सामने आ गई है। उनका स्वभाव बहुत ही खराब है। जरा सा भी व्यवहार उनके अनुकूल नहीं हो तो वे मुझे ऐसा-ऐसा सुनाते हैं...पापा। इतनी हल्की भाषा .... ऐसा अपमान.. पिछले दो महिनों से एक भी दिन ऐसा नहीं गया है, जिस दिन मैं रोई नहीं हूँ, और पापा, प्लीझ किसी से कुछ कहना मत। पिछले तीन महीने से हम साथ कोई फिल्म देखने नहीं गये, ना ही किसी होटल में गये हैं, लेकिन वे हर रोज रात को बाहर जाते हैं। पहले कहते थे कि "व्यापार की वजह से जाना पडता है। फिर कहने लगे, "तुझे क्या है? मैं जहाँ चाहूँ जाऊँ, तुम पूछनेवाली कौन होती हो ?" पापा मुझे ख्याल आ गया था कि उनकी किसी दूसरी के साथ... एक बार वे बाथरूम में थे तब मैने उनका फोन रिसीव किया था, पापा ... उस दिन उनका असली चेहरा..." घर के सभी उन के पक्ष में हैं। मेरा यहाँ कोई नहीं है। सास ने तो मानो मझे रुलाने की कसम ही खा रखी है। पापा अपने घर में एक स्टीकर था न..., “सब के बिना चल सकता है लेकिन धर्म के बिना नहीं चल सकता, धर्म ही जीवन का आधार है।" अब पल-पल मुझे वह स्टीकर याद आता है, लेकिन उसे समझने में मुझे देर हो गई...काश... पापा, मुझे पता है कि अगर मैं वापस आ गई तो आप सब दुःखी हो जाओगे, इसलिये मैं इस नर्क में दिन व्यतीत कर रही हैं। मैं तो तुम्हें यह बात भी बताना नहीं चाहती थी, लेकिन आप ने कसम जो दे दी... प्लीज़, मेरी चिंता नहीं करना, मैंने तो खुद ने ही अपने पाँव पर कुल्हाडी मारी है। जब तक सहन होगा तब तक सहन करुंगी। फिर.. पता नहीं, और हाँ पापा... मेरी आप को बार-बार प्रार्थना है, काजल की सगाई किसी धार्मिक लडके से ही करना, प्लीज़, नहीं तो मेरी बहन का जीवन भी मेरी तरह..." सब्जी बिगड़ती है तो दिन खराब होता है और आचार बिगड़ा तो वर्ष। पत्नी बिगड़ी जिस की, बिगड़ा उसका जीवन और अधर्म हुआ तो बिगड़ा सर्वस्व। - ११ _Before you get Engaged आप सगाई करें उससे पहले ____ _ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्वर्ग या नर्क ? पसंद आपकी “रिया ! मैंने सुना है कि आर्य के लिये तूने ना कर दी है। क्या यह सत्य है?" “हाँ।” “लेकिन क्यों । वो तो कितना अच्छा लड़का है। तुझे उस में कौनसी कमी दिखाई दी ?" "कोई नहीं।" "तो फिर... क्यों?" " देख मानसी, वो रोज सामायिक करता है, चौदस को प्रतिक्रमण करता है और इस उम्र में भी धर्म का अध्ययन करता है। चाहे वो बहुत सुंदर है, फिर भी हमेशा उसके माथे पर तिलक होता है, इस लिये..." “इसलिये क्या ?" ये सब तो अच्छी बाते हैं। इस में कोई माइनस पोईंट तो है ही नहीं।" “देखो मानसी ! धर्म के लिए मुझे शादी नहीं करनी है, और अगर ऐसा धार्मिक व्यक्ति दीक्षा ले ले, तो फिर मेरा क्या होगा ?" “रिया, उसकी दैनिक दिनचर्या में अमुक प्रकार की धार्मिक क्रियाएँ अगर शामिल हों तो इसका अर्थ ये कदापि नहीं है कि तेरी शादीशुदा जिंदगी में धर्म के सिवा और कुछ भी नहीं होगा, तू इतनी मूर्खता पूर्ण सोच सकती है, ऐसा मुझे अभी तक विश्वास भी नहीं हो रहा है, हमें तो अपने धर्म का गर्व होना चाहिए, इतना ही नहीं अपने धर्म की प्राथमिक क्रियायें तो हमें करनी ही चाहिए। जो अपने धर्म के प्रति वफादार होता है, वही अपने जीवन साथी के प्रति भी वफादार रह सकता है। और रही तेरी उसके दीक्षा ले लेने की बात, तो तेरी इस बात पर मुझे बेहद हँसी आ रही है। अरे, अगर उसे दीक्षा ही लेनी है तो वह शादी क्यों करेगा? तुने कभी किसी दीक्षार्थी को शादी करते हुए देखा हैं? मुझे ऐसा लगता Before You Get Engaged ૧૩ है जो प्राथमिक, सामान्य धार्मिक क्रियाए है उसे तूने बहुत ज्यादा समझ लिया है, इसी कारण से तूने ये इतनी बड़ी भूल कर डाली है। अब उसके जैसा लडका तुझे...।" " मानसी.. प्लीज़.. इस बात को अब छोड़ दो.. मुझे जरा भी नहीं लगता है कि मैंने कोई भूल या गलती की है। " * * * “रिया... तू ?” कितने वर्षो बाद मिली !!! ओह... तू कितनी बदल चुकी है। चल, मेरा घर यही है... आओ... बैठो.. पहले नाश्ता करते हैं, फिर बाते करेंगे।" “अब बोल, कैसी है तू ? मजे में ?" रिया 'हाँ' कहते हुए नीचे देखने लगी और उसके चेहरे की लकीरें कह रहीं थी कि वह झूठ बोल रही है, बिल्कुल गलत। मानसी ने यह भी देखा कि वह अपना चेहरा छुपाने का प्रयत्न कर रही थी और पसीना पोंछने के बहाने अपनी आँखो को पोंछ रही थी। मानसी कुछ न कहीं जा सके ऐसी परिस्थिति में से गुजर रही थी। उस की स्थिति ऐसी थी कि न तो वह रिया को दिलासा दे कर उसे खोल सकती थी और न ही उसकी उपेक्षा कर सकती थी। कुछ पल यूंहि बीत गये। रिया ने थोडी सी आंखे उठा कर मानसी की तरफ देखा । मानसी की आँखों में उसे आत्मीयता और सहानुभूति का सागर छलकता हुआ दिखाई दिया। वह अपने आप को रोक नहीं सकी... वह मानसी से लिपट गई, और फूट-फूट कर रोने लगी। अपने वर्षों के दुःख को आज वह किसी के पास अभिव्यक्त कर पा रही थी। मानसी का उष्मापूर्ण हाथ उसकी पीठ सहला रहा था... धीरे-धीरे वह शांत हो गई और फिर उसकी आँखे भर गई। मानसी उससे किसी भी तरह का कोई नीजी प्रश्न पूछना नहीं चाहती थी लेकिन रिया स्वयं अब अपने दिल की बात उसे कहे बिना रुक नहीं पा रही थी। उसके होंठ हिले और उसका एक-एक आँसु मानो बोलने लगा... " मानसी, तू बिल्कुल ठीक कहती थी.. मैंने जो गलती की, उसकी सज़ा मैं भुगत रही हूँ, और बहुत ही खराब तरह से भुगत रही हूँ । तुने मुझे सच्ची सलाह दी, लेकिन मैंने उसे मानी नहीं। मैंने अपनी पसंद के लडके के साथ शादी की। वह पूजा करने नहीं लेकिन हुक्का घर में नियमित रूप से जाता था । आप सगाई करें उससे पहले ૧૪ Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वह चौदश का प्रतिक्रमण तो करता ही नहीं था, उसे चौदश के साथ कुछ लेना देना भी नहीं था। उसने या तो जीवन में सामायिक कभी करी ही नहीं थी अथवा बचपन में शायद कभी की भी हो तो वह उसे याद नहीं थी। धार्मिक ज्ञान के बारे में वह शून्य था। मानसी, मैंने बहुत तरह की जानकारी हासिल की। वह रात को बारहएक बजे तक बाइक पर घूमता फिरता रहता था, वह सायबर कैफे में भी जाता था, थियेटर्स में भी और क्लब में भी। इतना ही नहीं अगर उसे समय मिलता तो वह पोप म्युझिक सुनता और तरह-तरह के चैनल्स देखा करता था। बस, मुझे तो ऐसा ही पति चाहिए था, रंगीन और रसिक। धर्म चाहे उसे पापी कहता हो, मुझे तो बस जीवन में आनंद-मौज-शौख ही करना था और यह ऐसे ही पति के होने से संभव हो सकता है ऐसा मैं मानती थी। मानसी... हमारी शादी के पन्द्रह-बीस दिनों के बाद की बात हैं, वे रात को बारह बजे घर आये थे। मैं तो तब तक उनका इंतजार करते-करते थक कर चकनाचूर हो चुकी थी। मैंने देखा उनकी आँखे एक दम लाल हैं और उनकी चाल डगमग, डगमग कर रही थी। मैं उन्हें हाथ का सहारा दे कर बेडरूम में ले गई। वहाँ तो उनका मुँह जैसे ही खुला तो उस में से एकदम गंदी बास आई। मेरे मुँह से बस ये निकल गया, "रिसी, तुमने शराब पी है ?" उसने मुझे जोर से थप्पड मार दिया। मैं तो आश्चर्य चकित रह गई। मैं वहीं बैठ गई और रोने लगी। उसने मुझे बालों से पकड़ा और मुझे पैर से लात मारते-मारते मुझे गंदी गालियाँ सुनानी शुरु कर दी। वे तो थोड़ी देर के बाद थक कर सो गये, लेकिन मैं सारी रात रोती रही। मानसी, जैसे जैसे समय गुज़रता गया, वैसे-वैसे उनके व्यसन, उनका स्वभाव, उनकी निष्ठरता और खराब आदतों की जानकारी मुझे होती गई। मानसी, हर दूसरे-तीसरे दिन वे मुझे मारते हैं... उनका गुस्सा तो बुरा है ही, उनका प्रेम भी भयानक है... सिगरेट और कटर बिना वो मुझे युज़ नहीं करते। मैं वेदना से चीख उठं और वे उत्तेजित हो जाते हैं. मेरी मौत.. और उनका आनंद... मानसी... मेरी स्थिति ऐसी हो गई है कि किसी लेडी डोक्टर के पास भी जाते हुए मुझे शर्म आती है। * Before You Get Engaged मानसी, शादी के दूसरे साल की बात है कि हमें एक होटल की पार्टी में जाना था। उस पार्टी में लगभग पन्द्रह युगल (पति-पत्नी) आने वाले थे। उसमें क्या होने वाला था इस बात का अंदाजा मुझे हो चुका था। मैं उन के पाँव पड़ गई और हार्दिक प्रार्थना की की मझे नहीं जाना है. बदले में मझे मिली गालियां और जानवरों की तरह पिटाई। मुझे वहाँ जाना ही पड़ा। उनकी तीक्ष्ण आँखों ने मुझे ड्रिंक पीने के लिए मजबूर तो किया ही... परंतु... रिया फिर फूट-फूट कर रो पड़ी। मानसी को बाकी सारी बात का अंदाजा हो गया कि वहाँ उसके साथ क्या हुआ होगा। वह परेशान थी किन शब्दों में उसे सांत्वना दे, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। रिया थोडी शांत हई और फिर उसने बोलना शुरु किया, आज शायद उसे कुछ बाकी नहीं रखना था। "मानसी, मैं लुट गई, एक जन्म में कितने जन्म! कितना गंदा ! कितना विकृत ! कैसे राक्षस जैसे लोग ! और कैसी नर्क जैसी पीड़ा!" "मानसी, एकबार रात को में जाग गई, तब वे लेपटोप पर न देख सकें ऐसा देख रहे थे। अपना पति किसी स्त्री को ऐसी स्थिति में देखे, उसे कौन-सी पत्नी बरदाश कर सकती है? मैंने उसे भावनापूर्ण आवाज में प्रार्थना की, "प्लीझ, ये सब मत देखो।" वो मुझ पर एक दम गुस्सा हो गये। मुझे उन्होंने गाली दी और गुस्से तथा नशे में बोल उठे, "तुझे इतने में ही तकलीफ होती है। मैंने तो आज तक.." मुझे खयाल आ गया कि अग्नि की साक्षी में लि गयी सौगंध उसके लिए सिर्फ एक मजाक थी। मानसी, मुझे एक बच्चा चाहिए था, जिसे मैं लाड प्यार कर अपना सब दुःख भूल जाऊँ। एक दिन मुझे खयाल आया कि मैं गर्भवती हुई हैं। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वो जैसे ही घर आए मैंने उन्हें ये समाचार दिये। मुझे लगा ये समाचार उन्हें आनंद देगा, लेकिन उनका चहेरा तो गंभीर हो गया। दूसरे ही दिन उन्होंने मुझे कह दिया कि तुझे माँ नहीं बनना है। मुझे लगा आकाश टूट पडा और मेरे पाँव के नीचे की जमीन खिसकने लगी है। मैं चार दिनों तक विलाप करती रही, प्रार्थना करती रही लेकिन वे टस से मस नहीं हुए। इस समय मैं भी झुकना नहीं चाहती थी. मैं अपने बच्चे को किस तरह...।" उन्होंने मुझ पर भयंकर जुल्म गुजारने शुरु कर दिए, लेकिन मैं अडिग आप सगाई करें उससे पहले १६ Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रही। दस दिनों के बाद वे मुझे कहीं मेडिकल चैकअप के लिये ले गये। वहाँ मुझे बेहोश कर दिया गया और जब मुझे होश आया तो... मानसी दो बार गर्भपात हो चुका है, जिस कारण मेरे शरीर में जो कोम्प्लीकेशन्स हुए है, वे मुझे जीवन भर दर्द देते रहेंगे। अब वो बात-बात में डिवोर्स तलाक देने की बात करते हैं। उनके व्यसनों के कारण उनका व्यापार भी टूट गया है। एक के बाद एक मेरे सारे गहने भी उन्होंने बेच दिये हैं और अपने मायके से पैसा लाने का दबाव और अत्याचार मुझ पर करते रहते हैं। कोई भी दिन ऐसा नहीं गया है जिस दिन मैं रोई नहीं हूँ और आत्महत्या करने का विचार न किया हो । मानसी, धूल पडे इस आधुनिक कल्चर पर, इस सिनेमा, टी. वी., विडियो और इन्टरनेट पर.. यह सब कुछ जल कर खाक हो जाना चाहिए। मेरे जैसी कितनी ही अभागन स्त्रियों का जीवन इन्होंने बरबाद कर दिया है। मैं जिसे फैशन या न्यू जनरेशन समझती थी, वो सब कितना होरिबल है। कितना गंदा, डर्टी... घृणास्पद है। मैं बरबाद हो गई... मेरा सारा जीवन बरबाद हो गया। मानसी, आज चाहे तू वर्षों बाद मुझे मिली, लेकिन तेरे शब्द मुझे हजारों बार याद आते रहे, जो अपने धर्म के प्रति वफादार हो... मानसी, आज मुझे सामायिक की किमत समझ में आई है। आज मुझे पूजा, प्रतिक्रमण और तिलक का महत्त्व समझ में आया है। आज मुझे समझ में आया है कि संस्कारों और तत्त्वज्ञान की जीवन में कितनी आवश्यकता है! का...श... मैने उस समय तेरी... कुछ पलों के लिए मौन छा गया। रिया अब बात बदलना चाहती थी । उसने धीमी आवाज में पूछा, "तुम कैसी हो?” और मानसी के चेहरे पर प्रसन्नता की मुस्कान फैल गई। इस समय अपने सुखी संसार की बात शायद रिया के दुःख को बढ़ा सकती है, ऐसा मानसी को अंदाज था, इसलिए वह चुप रही लेकिन उसका चेहरा ही सब कुछ कह रहा था। तभी दरवाजे की घंटी बजी। मानसी ने दरवाजा खोला और एक मधुर मुस्कान के साथ आनेवाले का स्वागत किया। आनेवाले व्यक्ति को देख रिया की आँखों में एक भूतकाल घूम गया। अपनी मित्र के साथी को वह पहचान गई थी। आज चौदश होने के कारण वे घर जलदी आ गये थे। ૧૩ Before You Get Engaged मार्डन या ओर्थोडोक्स.... तुम्हारी इच्छा "लेकिन जो लड़की मुझे पसंद आई है मैं उसके साथ शादी नहीं करूंगा तो क्या जो न पसंद हो उसके साथ करूँगा ? तू भी कैसी बात करता है।" “देख, वीकी, मैं तुझे पहचानता हूँ, और उस को भी जानता हूँ। वह तुझे क्यों पसंद है, मुझे ये भी मालूम है। उसका लाइफस्टाईल एकदम बिंदास, आजाद है। और कई तरह से स्वतंत्र भी, तू शायद उसके लिए "बोल्ड' शब्द का उपयोग करता होगा। पोशाक के बारे में वह बोल्ड है, हँसने-बोलने में बोल्ड है, दिन हो या रात, घूमने फिरने के बारे में बोल्ड है वगैरह-वगैरह... वीकी, इस लड़की के लिए मेरे मन में कोई भी दुर्भावना नहीं है। मैं जो कहता हूँ वो तेरे भविष्य के लिये उपयोगी है। मैंने कई बार तुझे उसको एकटक निहारते हुए देखा है। तुझे वो अधिक एक्टीव लगती होगी, लेकिन हकीकत में वह दूसरी लड़कियों की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही तेज है ऐसा नहीं हैं, यह तो वैस्टर्न पेटर्न ड्रेस का प्रभाव है। जब कि जो सुंदरता अन्य संस्कारी लड़कियों में है, उस से अधिक इस लड़की में कुछ खास नहीं है, इसके विपरीत एक बहुत बडा माइनस पोईन्ट है कि लाजशर्म को बिल्कुल त्याग कर रस्ते चलते आली - मवाली, वाहियात लोगों को भी अपनी तरफ बुरी नज़र से देखने का इनडायरेक्ट आमंत्रण देती है। वीकी, मैं तुझे 'लेडिज वर्ल्ड' का टोप सिकरेट बताता हूँ। स्त्री की कोई पहली पहचान अथवा तो गुण हो तो वो है लज्जा । वह लज्जा से ही शोभायमान लगती है, लज्जा ही उसकी शोभा होती है, वह लज्जा से ही जीती है। ये जो बोल्डनेस कहलाई जाती है, वह स्त्रीत्व की शमशान यात्रा है और इससे ज्यादा कुछ भी नहीं है। आजकल तलाक के केस बढ़ते जा रहे हैं। शादीशुदा जीवन नो लास्टींग होता जा रहा है। इन सब का कारण एक यही मात्र है। शादी पुरुष और स्त्री ही टिक सकती है, दो पुरुषों की नहीं। यदि यह रिश्ता टिकता है, तो भी वह 'मेरिड लाईफ' नहीं होती है लेकिन 'वोर लाइफ' होती है फिर चाहे वह आप सगाई करें उससे पहले 綠 ૧૮ Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मौन लड़ाई हो या नोईज़ी लडाई हो। वीकी, सार्वजनिक क्षेत्र में अंग प्रदर्शन करना ये पहले के जमाने में भी नहीं था, ऐसा नहीं था। हजारो साल पहले भी था। लेकिन अच्छे खानदान की कुलीन कन्याओं में नहीं, वेश्याओं में था। आज कल खानदान कन्याये फैशन के नाम पर इस रास्ते पर जाती तो हैं, लेकिन उन्हें पता नहीं है कि यह रस्ता वेश्याओं का है। जिन्हें शादी करनी है. पारिवारिक जीवन जीना है. उनके लिये यह एक दम विपरीत रास्ता है। वीकी, माफ करना, ओपन बोल्डनेस वेश्यावृत्ति का ही आधुनिक नाम है। एक गृहिणी और वेश्या ये दोनों ऐसे छोर है जो एक दूसरे के साथ कहीं भी मिलते नहीं है। मेरी बात अगर तू माने तो उस का विचार छोड़ दे और किसी संस्कारी कन्या को पसंद कर ले।" "ये संभव नहीं है। मुझे वह पसंद है और मैंने ये तय कर लिया कि मैं उसी के साथ शादी करुंगा। तेरी बात में कुछ पोईन्ट तो है लेकिन अब ये सारी वातें आऊट ऑफ डेट हो चुकी हैं। सनी, तु समय को देख, सारा मैनिया देख, ये तो मैं हूँ, अगर कोई और होता तो तुझ पर हँसता और तुझे पागल कहता।" वीकी, तेरी इस बात के उत्तर में तुझे एक दूसरी महत्त्वपूर्ण बात कह देता हूँ। समय बदल गया है, लेकिन पुरुष नहीं बदला है। रास्ते चलते हुए और कॉलेज में आते हए हजारों पुरुष उस लड़की को देख रहे थे, तू भी उन में से एक था। सब लोग तो उसे देख रहे थे और देखेंगे, लेकिन तूने उसे पसंद कर लिया है। अब और लोग उसे देखेंगे तो तुझसे ये सहन नहीं होगा। जैसे ही तेरी सगाई होगी ये प्रश्न और भी जटिल बन जायेगा, इतना ही नहीं शादी के बाद ये एक ज्वलंत समस्या बन जायेगी, एकदम असहनीय। और हाँ, ऐसा होना एक दम नेचरल है, स्वाभाविक है। अपनी पत्नी को जब कोई छू जाता है वह जैसे असहनीय बन जाता है, उसी तरह कोई उसे बुरी नज़र से देखे, वही भी असहनीय बन जाता है। एक में स्पार्श (By touch) व्यभिचार है तथा एक में चाक्षुष (By eyes) व्यभिचार है। हजारों साल पहले का पति भी यह सहन नहीं कर सकता था, और आजका पति भी उसे सहन नही कर सकता है, फिर खुद चाहे कितना ही मोर्डन अथवा फोर्वर्ड क्यों न कहलाता हो ! हाँ ये भी एक बड़ा सवाल होता है कि उसकी बोल्ड पत्नी पर उसका कितना नियंत्रण है। अतः कितने ही पति मन ही मन सहम से जाते हैं अथवा मन ही मन जलते रहते हैं। कई लोगों का तो दाम्पत्य जीवन "स पोइन्ट" पर युद्ध का मैदान बन जाता है। हाँ, कई पति मूर्ख भी होते हैं जो चुपचाप अपना जीवन व्यतीत कर देते हैं। लेकिन में जो बात कर रहा हूँ वह समझदार पुरुषों की है और तू भी उन में से एक है। वीकी, आज के पुरुष की हालत बहुत ही विचित्र है। वह मर्यादा बिना के व्यक्ति को पसंद करता है और फिर उस से सम्पूर्ण मर्यादा की अपेक्षा रखता है। जिस जीन्स और टिशर्ट को देख कर वह शादी करता है, वही शादी के बाद उसकी आँखों में खटकने लगती है। जो हंसी मजाक की आदत उसे पहले अच्छी लगती थी, आकर्षक लगती थी, वही आदत अब उसे असह्य लगती है। दूसरों के साथ कम मिलने-जुलने वाली, शर्मीली, संयमी लड़की उसे ओर्थोडोक्स लगती थी, लेकिन शादी के बाद - वह कहाँ गई थी, घर में कौन आया था? सेलफोन पर उसने किस-किस के साथ बातें की -- ये सारे प्रश्न उसका पीछा छोड़ते नहीं है। वीकी, तुझे पता है दुनिया के अल्ट्रा मार्डन पति भी अपनी पत्नी की अनेक तरह से जासूसी करते हैं और उस के लिए व्यवसायिक जासूसों का भी उपयोग करते हैं। “इस फोन नम्बर पर जो कोल्स हुए ही, उनकी टेप मुझे चाहिए।" फोन कम्पनियों के पास ऐसी मांग करने वाले पतियों की कोई कमी नहीं है।" "तू तो पुरुषों के विरुद्ध बोल रहा है।" “देख वीकी, ये सारी बातें न किसी के विरोध की है, और न ही किसी के पक्ष में हैं। ये सब स्वाभाविक बाते हैं। जो प्रकृति है, स्वभाव है, और जो दूर नहीं हो सकता है, उस बारे में बात हैं, इस में कुछ भी गलत नहीं है, क्योंकि प्रकृति तो मर्यादा ही मांगती है। सुखी वैवाहिक जीवन या सुखी पारिवारिक जीवन मर्यादा के कारण ही संभव हो सकता है। हमारे हज़ारों वर्षों आप सगाई करें उससे पहले * - १९ ___Before you get Engaged Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ के इतिहास में तलाक जैसी घटनाएँ दूर-दूर तक कहीं दिखाई नहीं पड़ती उसका कारण 'मर्यादा' ही है। अगर जीवनभर मर्यादा ही अपेक्षित और आवश्यक बनती हो, तो बुद्धिमत्ता इसी में है कि हमारी पसंदगी हम मर्यादाशील व्यक्ति पर ही उतारें।" “सनी, अब मैं तुझे एक बात कहता हूँ। यह मेरी मान्यता नहीं है, लेकिन यह अति आधुनिक आल्फा जनरेशन की मान्यता है। इस मान्यता के आधार पर तेरी सारी बातें बेकार, यूजलेस बन जाती है। हकीकत में बात यूँ है कि यह ओपिनीयन विवाह और परिवार में मानता ही नहीं है।" "ये उनका अज्ञान है। गहन अज्ञान-डार्क इग्नोरेंस। वे जैसी जीवन शैली की कल्पना करते हैं, उसमें समाज, स्वास्थ्य, मन की शांति, आनंद, सुरक्षा, स्थिरता... कुछ भी संभव नहीं है। विदेशो में इस बात के असंख्य उदाहरण हैं। विवाह और परिवार के बिना दो ही व्यक्ति सुख से जी सकते हैं - योगी और पागल। मेरा मतलब है अगर गृहस्थ जीवन को सुखी बनाना है, तो उस के लिए मर्यादापूर्ण जीवन जीना ही एकमात्र विकल्प हो सकता है।" "वेल सनी, ऐसे तो तेरी बातों का मेरे पास कोई हल नहीं है, पर... मैं विचार करूँगा।" दिल सम्पूर्ण रूप से खोल कर बात करनी है... मुझे तेरी सलाह भी चाहिए। तेरी बात शत प्रतिशत सत्य थी, फिर भी मैंने जिद पकड़ रखी और त्विषा के साथ ही शादी की। मैं ऐसा सोचता था कि में तेरी बात गलत साबित कर के दिखाऊंगा। मैं पूरी महेनत कर के ऐसा दिखावा करने लग गया लेकिन दिखावा तो दिखावा ही होता है, और हकीकत हकीकत ही होती है। एक महीने में ही हकीकत बाहर आ गई और हमारे आपसी झघडे शुरु हो गये। मैं तो उसे एक संस्कारी, संयमी जीवन जीनेवाली हाऊस वाइफ के रूप में देखना चाहता था जब कि उसे तो अभी भी कोलेज गर्ल अथवा तो अल्ट्रा वुमन के रूप में ही जीना था। उसके तंग-चुस्त और छोटे कपड़े मेरे लिए सिरदर्द बन गये। एक बार वह बाजार जाने के लिये नीचे उतरी, मैंने खिड़की में से देखा तो सोसायटी के जवान लड़के उसे टकर-टूकर ताक रहे थे। मैंने अपनी आँखों से उनकी आँखों में वासना भरी देखी, मैं तो मानो जीते जी जलने लगा। मैं बेडरुम में गया और उसे फोन किया, “तू अभी वापस आ जा। जो चाहिए वो मैं ला कर दूंगा" उसने मेरी बात मानने से इंकार कर दिया और कहा कि उसे 'वोक' (सैर) करनी है। मैंने कहा कि, "अगर तुझे सैर ही करनी है तो कपड़े बदल कर जा, इस ड्रेस की जगह दूसरा अच्छा ड्रेस पहन ले।” सनी, तू माने गा नहीं कि मेरी इस बात से उस का कैसा दिमाग खराब हुआ... वह चिल्लाई, “तुम कहना क्या चाहते हो? क्या मेरा यह ड्रेस खराब है ? और मुझे क्या पहनना है इस बात का निर्णय मैं करुंगी, तुम्हें इन्टरफेयर करने की ज़रुरत नहीं है।" सनी, ऐसा लगा मानो जीते जी मैं नरक में आ गया हूँ। बाज़ार में सैंकडों, हजारों लोग मेरी पत्नी को बुरी नज़र से देखते होंगे, यह कल्पना ही मानो पलपल मेरा कत्ल कर रही थी। मैं क्रोध से इतना उबल रहा था कि मैंने अलमारी का शीशा तोड़ डाला और शो केस का काँच भी तोड़ डाला। मेरा दिमाग मेरे नियंत्रण में नहीं था इसलिये मुझे लगा कि अगर में घरमें रहूँगा तो शायद वह आयेगी तब मैं उस का खून कर बैठेगा। इसलिए में पार्क में चला गया। मैं वहाँ के एक बैंच पर बैठा था, पर मेरा मन... आप सगाई करें उससे पहले २२ . "हैलो, सनी, आज शाम को तेरे पास समय हैं। हाँ, तो ठीक है शाम को मिलते हैं... नहीं घर पर नहीं, छ बजे टाऊन होल के पास आना, वहीं कहीं..." ___ "सनी, तूने मुझे फिर कभी वो बात याद नहीं कराई। मेरी शादी का कार्ड तुझे मिला तब भी नहीं, और आज तक भी नहीं। शादी के समय में भी तूने तो प्रेम के साथ मुझे शुभेच्छाए ही दी थी... परंतु मैने स्वयं ही "आ बैल मुझे मार" जैसी मूर्खता पूर्ण हरकत की हो तो उस में तेरी शुभ कामनाएँ भी क्या कर सकती है ? ____सनी, मैं एक बहुत बडी प्रोब्लम में फँस गया हूँ। आज तेरे पास अपना - २१ _ _Before Jau get Engaged Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बहुत बार मैं गम खा जाता और कई बार अपना मन किसी अन्य विषय में लगाने का प्रयत्न करता, कई बार हमारा झघडा हो जाता, भयंकर झघड़ा। वो जिस पावर से मेरी बात को काटती और मेरा अपमान करती, उससे मुझे बहुत दर्द होता जैसे वो मेरी छाती में खंजर भौंक रही हो । सनी, कई बार मुझे ऐसा खयाल आता कि जो लडकियाँ या स्त्रियां ऐसे बेशर्मी भरे कपडे पहन कर घर के बाहर निकलती हैं क्या वे कभी शीशें में अपना फ्रन्ट और बेक नहीं देखती होंगी? क्यां उन्हें इतना भी कॉमन सेन्स नहीं होता होगा कि उन्हें ऐसा दृश्य अपनी पति के अलावा किसी और को भी नही बताना चाहिए? क्या उन्हें इतना खयाल नहीं आता होगा कि पब्लिक में उनका ऐसा दिखाई देना एक बीभत्स प्रदर्शन बन रहा है? या उनके मन की गहराई में सब को इम्प्रेस करने की एक ख्वाहिश होगी ? सनी, क्या इसे सीधे-सीधे या परोक्ष रूप से कोई दूसरा पति तलाश करना नहीं कहेंगे ? सब से बड़ा प्रश्न ये है कि क्या उनके घर में पिता, भाई, पुत्र या देवर वगैरह नहीं होंगे ? त्विषा की एक-एक आदत मेरे लिये मौत बनती गई। वह जिस किसी के भी साथ हँस-हँस कर बातें करती। कोमेन्ट करती, बेशर्म बन कर हाथ भी मिलाती। कई बार अपना बचाव करते हुए यूँ कहती, "इस में क्या हो गया ? मैं तो सिर्फ तुम्हें ही चाहती हूँ, सिर्फ तुम्हें। लेकिन अंत में वही हुआ जिस का मुझे डर था। त्विषा का व्यवहार तेजी से बदलता जा रहा था। मैं कई बार उसे किसी और ही दुनिया में खोयी हुई देखता । जब उसे ख्याल आता कि पास में मैं भी खड़ा हुआ हूँ तब मानो उसकी चोरी पकड़ी गई हो इस तरह वह किसी काम को करने में व्यस्त हो जाती। पहले तो जब दफ्तर से मैं वापस आता तब मेरा कोई खास ध्यान नहीं रखती, लेकिन फिर जैसे बहुत प्यार दर्शाती, मेरा सुटकेस हाथ में ले लेती, मेरे जूते, जुराबें निकालती, पानी देती... मैं भी कोई बुद्ध नहीं था। मैं समझ रहा था कि यह उसका असली व्यवहार नहीं है, बल्कि किसी बड़े गुनाह को ढँकने का प्रयास है। मुझे रोज बरोज दफ्तरसे आने में देरी हो जाती और बार बार टूर पर Before You Get Engaged ૨૩ - भी बिझनेस के लिये जाना पडता था। दूसरी तरफ घर खर्च के बहाने वह अधिक से अधिक पैसो की मांग करने लगी। छ महीनों में तीन बार उस के अलग अलग तरह के गहने चोरी हो गए। वे गहने कहाँ-कब कैसे चोरी हो गए उसके बारे में उसने जो उत्तर दिए वो मेरे गले के नीचे नहीं उतरते थे। उस का स्वास्थ्य ठीक लग रहा था, फिर भी उसने फिजीशीयन्स को दिखाने के लिए अमुक रिपोर्टस हेतु बड़ी रकम की मांग की। मैंने अपनी बचत के पैसों में से व्यवस्था की और उसे कहा कि चलो मैं तुम्हारे साथ चलता हूँ। उसने साफ इंकार कर दिया। फिर से घरमें से दो-तीन किंमती वस्तुएं गुम हो गई। सब कुछ विचित्र सा हो रहा था, और मैं तो तेजी से खाली हो रहा था। उस ने फिर एक बड़ी रकम की मांग की। और इस बार उसने कहा, "उसे इस साल भर का राशन- गेहूँ और चावल खरीदने हैं। मुझे शंका तो थी ही। मैंने घर में ड्रमो की खोज की वे सब अनाज से भरे हुए थे और सीझन आने में अभी छ महीने बाकी थे। मैंने भी बहाना लगा कर इंकार कर दिया। तब मैंने निरीक्षण किया कि वह बेहद घबरा सी गई। दो दिन के बाद उसने फिर किसी काम के लिए पैसे मांगे। मैंने उसके लिये साफ इंकार कर दिया और कहा, “दो महीने तक कोई भी व्यवस्था हो पानी संभव नहीं है।" वह घबरा गई और रसोईघर में चली गई। रसोईघर का दरवाजा भी बंद हो गया। सनी, इस बात के ठीक एक सप्ताह के बाद मुझ पर एक एम. एम. एस. आया, जिस पर से ऐसा लगा मानो मुझ पर आकाश टूट पड़ा है... त्विषा किसी के साथ... मुझे ऐसी शंका तो थी ही, तथापि मैं उसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था। वह कम्प्युटर प्रोडक्ट होगी ऐसी संभावना करने के लिए मैं मर रहा था, लेकिन मुझे ये खयाल आ गया, कि मैं अपने आप को धोखा दे रहा हूँ। अगले चार दिनों में मुझे अलग अलग चार एम. एम. एस. मिले। उनमें जो टेक्स्ट मेसेज था, उस में त्विषा के बोडी स्पोट्स के बारे में लिखा था, जो सत्य थे। मेरा सिर घूमने लगा । त्विषा आऊट लाईन पर चली गई थी और उसके यार ने उसे ब्लेकमेल कर कर के मेरा घर खाली कर दिया था, इस आप सगाई करें उससे पहले औ ૨૪ Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बात का खयाल मुझे आ गया। मेरा क्रोध सारी बाऊन्ड्री पार कर गया। मैं रोता था, जीते जी सुलग रहा था, गालियाँ बोलने लगा, इतना ही नहीं, हाथ में जो आ उसे उठा कर फेंकने लगा। मुझे तेजी से एक के बाद एक भयानक खयाल आने लगे... त्विषा का ऐसा एक ही यार होगा कि और भी होंगे ?... वह कितने जनों की At time Money (ATM) होगी ? ... खून पसीना एक के मैं कमाता हूँ, ये इस लिये ? मैं उसे इतना चाहता हूँ, और उसने मेरे साथ... उसका यार अब क्या करना चाहता है ?... सनी, मैंने इस बारे में जो-जो भी विचार किए वो सब तुझे कह भी नहीं सकता हूँ। आखिर में मैं एक निश्चय पर पहुँचा कि त्विषा को खत्म कर डालूँ और फिर मैं खुद भी आत्महत्या कर लूँ। तभी फिर एक विचार आया, कि क्यों न मैं तुझ से बात करूं, तेरी सलाह लूँ? तू मुझे बतायेगा कि अब इस में क्या हो सकता है?" टाऊन होल के पीछले भाग में अंधेरा बढ़ रहा है, और सनी यही सोच रहा है कि अब क्या हो सकता है ??? जीवन भी एक मेच ही है, यहा जो बोल्ड होती है वह बेटिंग नहीं कर सकती । ૨૫ Before You Get Engaged * Stop, Watch & Go “अभि, जिस लड़की से तेरे रिश्ते की बात आगे चलने वाली है उस लड़की के परिवारने किसी जान पहचान से तेरे पापा के साथ सम्पर्क किया था ? या फिर अखबार का विज्ञापन देख कर...?" "विज्ञापन देख कर।" "अगर तू मेरी बात मानता है तो इस बात को वहीं का वहीं रोक दे । मैंने तेरे बारे में विज्ञापन पढा था। इस विज्ञापन से तो सिर्फ एक ही अर्थ सामने आता था कि उसे पढ़ कर जो तुझ में रुचि ले, वह लड़की तेरे लिए अच्छी नहीं है।" "यश, तू क्या बोल रहा है इस बात की तुझे खबर है ? " “हाँ, बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ। वह लड़की मल्टीनेशनल कंपनी का छ लाख का पैकेज, डिलक्स फ्लैट और सेन्ट्रो कार की सम्पति देख कर विवाह करेगी, वह तुझ से नहीं लेकिन तेरी सम्पत्ति से विवाह करेगी। उससे विवाह करके तू सुखी होगा इस बात में कोई दम नहीं है। हकीकत तो ये है कि ऐसी एड-विज्ञापन दे कर तूने बहुत बड़ी भूल की है। हकीकत में तो तुझे तेरी गुणात्मक योग्यता बतानी चाहिए थी और सामने वाले पक्ष से भी उसी योग्यता का आग्रह रखना चाहिए था, इस तरह तुम्हारा रिश्ता जुड़ता तो तुम्हारा जीवन भर का उस में हित था।" 'देख यश, लोग सिर्फ यही एक योग्यता समझते हैं, और उनके साथ दूसरी किसी भाषा में बात करने का कोई अर्थ नहीं है।' “अभि, तू ? वेल्कम । कितने दिनों के बाद आया है? हैं... तुझे तो सारी दुनिया में यहाँ से वहाँ उडान भरनी होती है न ? फिर तू आयेगा कैसे ? आ.... बैठ | देख तो कौन आया है... अपने महंगे महेमान है.. मेरा बैस्ट फ्रैन्ड... सारे साल का ब्याज उतार देना है... फिर कब आयेगा, इसका भरोसा नही।" "यश, मैं एक खास काम से आया हूँ, हम जरा अंदर बैठे ?” आप सगाई करें उससे पहले ૨૬ Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Relation With Fair Skin • —(विवाह से संबंधित प्रसिद्ध उद्योगपति... के चिरंजीव जैमिन के लिए गोरी-फेयर स्कीनवाली, आकर्षक कन्या के अभिभावक सम्पर्क करे। "ओह, श्योर, क्यों नहीं, आ... बैठ, ऐसा लगता है तू टेंशन में हैं, बोल, क्या बात है?" "मैं जिस कम्पनी में था वह मंदी की चपेट में आ गई है। इस साल बोनस रद्द हो गया, वेतन कम हो गया और पिछले हप्ते पांच सौ लोगों की छटनी कर दि गई, उस में मेरा नम्बर भी है। कार तो उन्होंने तुरंत ही ले ली और अब फ्लैट खाली कर देने का नोटिस भी आ गया है, लगभग बदलापुर में किराये पर रहने के लिए जगह मिल जायेगी।" "देख अभि, तू ऐसा मत बोल, यह घर तेरा ही है। तू आज ही यहाँ आ जा, रही बात कमाने की तो..." "यश, एक मिनट, तू किसी गलतफहमी में मत रहना, मुझे किसी की मदद नहीं चाहिए, मैं अपनी तरह से ही 'रिसेट' होना चाहता हूँ। जो बात में तुझे कहने आया हूँ, वह बात अब शुरू होती है। पिछले हफते जब मुझे निकाल दिया गया। तब से आरती का व्यवहार एकदम बदल गया लगता था। मेरे पास थोड़ा पैसा था लेकिन नया धंधा शुरु करने के लिये पैसा कम पड़ता था। चार दिन पहले मैंने उस से कहा कि अगर तेरे अमुक गहने बेच दें या गिरवी रख दें तो अपना काम हो जायेगा। वह कुछ बोली तो नहीं, लेकिन उसके चेहरे से साफ दिखाई पडता था कि उसे यह बात बिल्कुल पसंद नहीं थी... यश, मुझे बहुत धक्का लगा उसको कितने गहने तो मैंने ही गिफ्ट के रूप में दिए थे। दूसरे दिन मुझे कुछ भी कहे बिना वह अपने कपड़े-गहने और दूसरी वस्तुएं तथा कुछ नगद रकम ले कर मायके चली गई, और कल मुझे उस की तरफ से एक कवर मिला जिस में से तलाक के कागज निकले हैं, साइन कर देने के लिये, बोल अब क्या करूँ ?" आघात Share हो गया, नर्वस हो गए यश ने अपने दोनों हाथ डेस्क पर टेक दिये और अपना सिर ढंक लिया। बिस्तर पर पड़े हए अखबार के एक भाग में उसकी नजर स्थिर हो गई, वहां शादी के बारे में एक आकर्षक विज्ञापन था। २७ _Befare You Get Engaged जैमिन ने चौबिस सुंदर युवतियाँ देखी, लेकिन उस के मन को कोई पसंद नहीं आई। हर लड़की में उसे कोई न कोई कमी दिखाई दी। डेढ साल इसी तरह व्यतीत हो गया। पच्चीसवीं कन्या के साथ उसकी मुलाकात हुई। प्रथम दृष्टि में ही वह उसके मन में बस गई, ये स्वाभाविक भी था, क्योंकि वह अच्छी से अच्छी कन्याओं को पीछे छोड़ दे ऐसी कन्या था। शादी हो गई। जैमिन को तो मानो सारी दुनिया का राज मिल गया। रात और दिन वह अपनी पत्नी के विचारों में ही खोया रहता। दफ्तर से घर वापस न आए वहाँ तक भी उसका मन उस की पत्नी में ही डूबा रहता था। पल-पल पर्स में से उसकी फोटो निकाल कर देखता रहता, ऑफिस से घर में आठ-दस बार फोन न करे तो उसे चैन नहीं पड़ता था। एक शाम को उसके दफ्तर में एक फोन आया..."तुम्हारी पत्नी का कार एक्सीडेंट हो गया है, होस्पिटल में...” उसकी तो मानों साँस रुक गई, पसीने से तरबतर जैमिन होस्पिटल दौड़ गया। ऑपरेशन का बेकग्राऊंड तैयार हो गया था। डॉक्टर ऑपरेशन थियेटर के पास पहुँचा, वहाँ पर जैमिन उसके पाँव पर गिर पडा, "डॉक्टर प्लीझ, प्लीझ मेरी पत्नी को बचा लो. उसके बिना मैं जी नहीं सकुंगा, प्लीझ जो लेना हो ले लीजिए... लेकिन..." "वी विल ट्राय अवर बेस्ट..." डॉक्टर ये कह कर अंदर चले गये। दरवाजा बंद हो गया। सोफे पर दोहरी देह कर बैठा था, उसके दोनों हाथ जुड़े हुए थे और आँखे रो रो कर सज गई थी। तीन घंटे बाद ऑपरेशन पूरा हो गया। डॉक्टर बाहर आए। जैमिन खड़ा हो गया... "डॉक्टर साहब !" जैमिन की आँखों में प्रश्न था। डोक्टर ने उत्तर दिया, "दो दिन तक कुछ भी कहना मुश्किल है।" आप सगाई करें उससे पहले Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दो दिन का एक-एक पल कैसे बीता वो तो जैमिन का मन ही जानता था। तीसरे दिन एक रिपोर्ट मिली, “अब वह खतरे से बाहर है।" जैमिन आनंद से नाच उठा। पांचवे दिन उसे आई सी यू. में जाने का अवसर मिला। आज उस के चेहरे की पट्टी भी खुलनी थी। पट्टी के एक के बाद एक पट खुल रहे थे और जैमिन की नजरें तरस रही थी। आखरी पट्टी खुली, दवाएँ साफ की गई तो जैमिन चौंक कर रह गया। कांच की किरचों ने उसकी पत्नी के चेहरे को भयंकर रूप से बदसूरत बना दिया था। उसका दिमाग तेजी से कुछ सोचने लगा, आधी मिनट भी नहीं हुयी और वो वहां से बाहर निकल गया। डॉक्टर से मिल कर उसने धीमी आवाज में कहा, "डॉक्टर आप को जो लेना हो ले लो लेकिन उसे जहर का इन्जैक्शन दे कर मार डालो।" • City Or Village ? "उस का घर इतना बड़ा है। इतनी सारी जमीन है, अच्छा खासा ब्यापार है। खानदान घर है तो फिर भी तुम ने उसे ना क्यों कहा।" "देखो श्रेया, ये सारी बातें सच्ची है, लेकिन वह गाँव में रहते हैं, वहाँ मुझ से नहीं रहा जायेगा।" "लेकिन क्यों ? शहर में तू जिस के साथ शादी करेगी, उसका तो वन रुम किचन या तो टु रुम किचनवाला फ्लैट होगा। तीन कमरे भी हो सकते हैं, पर तू देख तो सही, उन सारे कमरों को इकठ्ठा करे इतना बड़ा तो सिर्फ उसके घर का हॉल है।" "भले ही हो, मुझे छोटा घर भी चलेगा।" "बात सिर्फ घर की नहीं है। शहर में तेरा पति सुबह ८ या ९ बजे कामधंधे के लिए चला जायेगा और रात को ८, ९ या १० बजे वापस आयेगा। इसका मतलब है आधी से ज्यादा जिंदगी तो वह तेरे साथ होगा ही नहीं और हां, उसमें से भी सोने के घंटे निकाल दो तो फिर बचा ही क्या ?" "रीमा, तेरी बात यूँ तो सही है, लेकिन फिर भी जो बाकी रहेगी, उतनी जिंदगी का आनंद तो मैं लूंगी न।" "श्रेया अगर ये भी संभव होता, तो अभी भी ठीक था, लेकिन सीटी लाईफ बहुत ही स्ट्रेसफुल है। उसमें आनंद कम है, और जो होता भी है उसकी भी टेंशन के कारण मज़ा मर जाती है। दूसरी बात ये हैं कि शहर में महंगाई बहुत है, सब कुछ बहुत ही महंगा है। घर से लेकर सब्जी तक और मेडिकल से लेकर शिक्षा तक... ये सारे खर्चे अब अपर मिडल क्लास के भी बस की बात नहीं है। इसलिए जीवन निर्वाह के लिए पति को या तो दो या तीन काम करने पड़ते है, नहीं तो पत्नी को नौकरी करनी पड़ती है। अब अगर पहला ओप्शन स्वीकार करते हैं तो पति जल्दी छोटी उम्र में ही बूढा हो जाता है तथा भिन्न-भिन्न प्रकार के रोगों का शिकार हो जाता है। अगर दूसरा रास्ता अपनाते हैं तो पत्नी को डबल आप सगाई करें उससे पहले 30 उस से डरो जो भगवान से डरता नहीं है। विश्व का असीम सौंदर्य, और एक मात्र सौंदर्य है, सद्गुण जो गुणी कुटुंब है, वही सुखी कुटुंब है। २९ _ _ Before You Get Engaged Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रीमा, शहरी जीवन भयजनक, असुरक्षा, महंगाई, कठिन मेहनत, स्ट्रेस और टैंशन से भरा होता है जब कि गाँव के जीवन में सारा गाँव एक परिवार जैसा होता है। निडरता, सुरक्षा, कम महंगाई, आसानी और शांति जीवन में सुलभ होती है। अपनी आर्य संस्कृति में जीवन के कई सुख सहज रुप में संचित है। यह संस्कृति शहरमें मर रही है लेकिन ग्राम्य जीवन में यह अभी भी पनप रही है, जीवित है। क्या तुझे पता है शहरों की अपेक्षा गाँवों में रोग बहत कम होते हैं। शहर की अपेक्षा ग्राम्य जीवन में स्वार्थवृत्ति कम होती है। तथा शहर की अपेक्षा गाँव में तलाक की संख्या बहुत कम होती है। रीमा, तू मेरी सब से नजदीकि सखी है। तूझे पता है कि मैं तुझे जो कह रही हूँ वह तेरे भले के लिये ही कह रही हूँ, सत्य ये है कि तुझे अब हकीकत में ये सोचना है कि क्या तुझे दुःखी होना है या सुखी होना है ?" श्रेया देख रही है, रीमा सोच रही है। काम करना पडता है। बच्चों में संस्कार, घर की देख-रेख तथा खाना पकाना आदि सभी कुछ अस्तव्यस्त हो जाता है। रीमा, शहर की भीड़, ट्रान्सपोर्टेशन की परेशानियाँ, समय पर पहुँचने की चिंता, धक्का-मुक्की, ये सब तो पुरुष के लिये भी मुश्किल काम हो जाता है, तो फिर स्त्री की तो बात ही क्या करें? उसकी प्रकृति-स्वभाव, शरीर संरचना, ड्युटी... एक भी बात इस से मेल नहीं खाती है। इसका परिणाम पता है, स्वास्थ्य से भी हाथ धो बैठना, मन को निरंतर टेंशन में रखना और जो कुछ कमाया है, उसे देर सवेर मेडिकल ट्रीटमेंट में खत्म कर देना, ये कैसी मूर्खता है ! रीमा, आज चारों तरफ से वासना को भड़काने वाले हालात बढ़ रहे हैं। किस की कब कैसी वासनाए भड़क उठेगी और कौन कब किस के साथ क्या कर डालेगा, इस बात का कोई भरोसा है ? सीटी लाईफ में पुरुष और स्त्री दोनों ही अलग अलग तरह से असुरक्षित होते हैं। तु मेरी बात समझ रही है न ? रीमा, गाँव के जीवन में तुझे सिर्फ पसंदगी और मान्यता में ही समझौता करना है, जब कि शहरी जीवन में तुझे हालात के साथ समझौता करना है। तुझे स्पष्ट रूप से महसूस होगा कि तेरा बच्चा बिना किसी की देख भाल के जी रहा है, भीड़ में तेरे साथ छेड़छाड हो रही है, बोस या ऑफिस का स्टाफ व्यवहार में अपनी सीमाएँ लांघ रहा है, घर को तेरी जरूरत है और तुझे घर की ज़रुरत है, तथापि तुझे बाहर रहना पड़ता है... रीमा, तुझे पता है कि मुंबई जैसे शहरों में हर रोज सैंकडों अकस्मात होते हैं। तुझे पता है कि वहाँ सुबह घर से निकला हुआ व्यक्ति शाम को सही सलामत घर आता है तो ये एक बड़ा आश्चर्य है, लेकिन अगर उस का कोई खराब समाचार आता है तो आश्चर्य नहीं है। रीमा, तू कल्पना कर सकती है कि रोज रात को ९ बजे वापस आ जाने वाला पति, अगर साढे दस बजे तक वापस न आये और उसका फोन भी न लगता हो तब पत्नी की क्या दशा होगी? हररोज ऐसा नहीं होता, ये सब सच है, लेकिन ऐसा कभी बन ही नहीं सकता, यह बात अंधश्रद्धा नहीं है? Before You Get Engaged परलोकविरुद्धाणि कुर्वाणं दूरतस्त्यजेत् । आत्मानं योऽतिसन्धत्ते सोऽन्यस्मै स्यात् कथं हितः ?॥ जिस से परलोक में दुःखी होना पडे ऐसे काम जो करता है, उसे तो दूर से ही त्याग देना। जो अपने आप को ही धोखा देता है, वह दूसरों का भला कहाँ से करेगा? धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः ॥ जो धर्म को ठोकर मारता है, उसके जीवन में ठोकरें ही शेष रह जाती हैं। जो धर्म की रक्षा करता है, उसकी रक्षा खुद धर्म करता है। आप सगाई करें उससे पहले 30