________________
स्वर्ग या नर्क ? पसंद आपकी
“रिया ! मैंने सुना है कि आर्य के लिये तूने ना कर दी है। क्या यह सत्य है?"
“हाँ।”
“लेकिन क्यों । वो तो कितना अच्छा लड़का है। तुझे उस में कौनसी कमी दिखाई दी ?"
"कोई नहीं।"
"तो फिर... क्यों?"
" देख मानसी, वो रोज सामायिक करता है, चौदस को प्रतिक्रमण करता है और इस उम्र में भी धर्म का अध्ययन करता है। चाहे वो बहुत सुंदर है, फिर भी हमेशा उसके माथे पर तिलक होता है, इस लिये..."
“इसलिये क्या ?" ये सब तो अच्छी बाते हैं। इस में कोई माइनस पोईंट तो है ही नहीं।"
“देखो मानसी ! धर्म के लिए मुझे शादी नहीं करनी है, और अगर ऐसा धार्मिक व्यक्ति दीक्षा ले ले, तो फिर मेरा क्या होगा ?"
“रिया, उसकी दैनिक दिनचर्या में अमुक प्रकार की धार्मिक क्रियाएँ अगर शामिल हों तो इसका अर्थ ये कदापि नहीं है कि तेरी शादीशुदा जिंदगी में धर्म के सिवा और कुछ भी नहीं होगा, तू इतनी मूर्खता पूर्ण सोच सकती है, ऐसा मुझे अभी तक विश्वास भी नहीं हो रहा है, हमें तो अपने धर्म का गर्व होना चाहिए, इतना ही नहीं अपने धर्म की प्राथमिक क्रियायें तो हमें करनी ही चाहिए। जो अपने धर्म के प्रति वफादार होता है, वही अपने जीवन साथी के प्रति भी वफादार रह सकता है।
और रही तेरी उसके दीक्षा ले लेने की बात, तो तेरी इस बात पर मुझे बेहद हँसी आ रही है। अरे, अगर उसे दीक्षा ही लेनी है तो वह शादी क्यों करेगा? तुने कभी किसी दीक्षार्थी को शादी करते हुए देखा हैं? मुझे ऐसा लगता
Before You Get Engaged
૧૩
है जो प्राथमिक, सामान्य धार्मिक क्रियाए है उसे तूने बहुत ज्यादा समझ लिया है, इसी कारण से तूने ये इतनी बड़ी भूल कर डाली है। अब उसके जैसा लडका तुझे...।"
" मानसी.. प्लीज़.. इस बात को अब छोड़ दो.. मुझे जरा भी नहीं लगता है कि मैंने कोई भूल या गलती की है। "
*
*
*
“रिया... तू ?” कितने वर्षो बाद मिली !!! ओह... तू कितनी बदल चुकी है। चल, मेरा घर यही है... आओ... बैठो.. पहले नाश्ता करते हैं, फिर बाते करेंगे।"
“अब बोल, कैसी है तू ? मजे में ?" रिया 'हाँ' कहते हुए नीचे देखने लगी और उसके चेहरे की लकीरें कह रहीं थी कि वह झूठ बोल रही है, बिल्कुल गलत। मानसी ने यह भी देखा कि वह अपना चेहरा छुपाने का प्रयत्न कर रही थी और पसीना पोंछने के बहाने अपनी आँखो को पोंछ रही थी। मानसी कुछ न कहीं जा सके ऐसी परिस्थिति में से गुजर रही थी। उस की स्थिति ऐसी थी कि न तो वह रिया को दिलासा दे कर उसे खोल सकती थी और न ही उसकी उपेक्षा कर सकती थी। कुछ पल यूंहि बीत गये। रिया ने थोडी सी आंखे उठा कर मानसी की तरफ देखा । मानसी की आँखों में उसे आत्मीयता और सहानुभूति का सागर छलकता हुआ दिखाई दिया। वह अपने आप को रोक नहीं सकी... वह मानसी से लिपट गई, और फूट-फूट कर रोने लगी। अपने वर्षों के दुःख को आज वह किसी के पास अभिव्यक्त कर पा रही थी।
मानसी का उष्मापूर्ण हाथ उसकी पीठ सहला रहा था... धीरे-धीरे वह शांत हो गई और फिर उसकी आँखे भर गई। मानसी उससे किसी भी तरह का कोई नीजी प्रश्न पूछना नहीं चाहती थी लेकिन रिया स्वयं अब अपने दिल की बात उसे कहे बिना रुक नहीं पा रही थी। उसके होंठ हिले और उसका एक-एक आँसु मानो बोलने लगा...
" मानसी, तू बिल्कुल ठीक कहती थी.. मैंने जो गलती की, उसकी सज़ा मैं भुगत रही हूँ, और बहुत ही खराब तरह से भुगत रही हूँ । तुने मुझे सच्ची सलाह दी, लेकिन मैंने उसे मानी नहीं। मैंने अपनी पसंद के लडके के साथ शादी की। वह पूजा करने नहीं लेकिन हुक्का घर में नियमित रूप से जाता था । आप सगाई करें उससे पहले
૧૪