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वह चौदश का प्रतिक्रमण तो करता ही नहीं था, उसे चौदश के साथ कुछ लेना देना भी नहीं था। उसने या तो जीवन में सामायिक कभी करी ही नहीं थी अथवा बचपन में शायद कभी की भी हो तो वह उसे याद नहीं थी। धार्मिक ज्ञान के बारे में वह शून्य था।
मानसी, मैंने बहुत तरह की जानकारी हासिल की। वह रात को बारहएक बजे तक बाइक पर घूमता फिरता रहता था, वह सायबर कैफे में भी जाता था, थियेटर्स में भी और क्लब में भी। इतना ही नहीं अगर उसे समय मिलता तो वह पोप म्युझिक सुनता और तरह-तरह के चैनल्स देखा करता था। बस, मुझे तो ऐसा ही पति चाहिए था, रंगीन और रसिक। धर्म चाहे उसे पापी कहता हो, मुझे तो बस जीवन में आनंद-मौज-शौख ही करना था और यह ऐसे ही पति के होने से संभव हो सकता है ऐसा मैं मानती थी।
मानसी... हमारी शादी के पन्द्रह-बीस दिनों के बाद की बात हैं, वे रात को बारह बजे घर आये थे। मैं तो तब तक उनका इंतजार करते-करते थक कर चकनाचूर हो चुकी थी। मैंने देखा उनकी आँखे एक दम लाल हैं और उनकी चाल डगमग, डगमग कर रही थी। मैं उन्हें हाथ का सहारा दे कर बेडरूम में ले गई। वहाँ तो उनका मुँह जैसे ही खुला तो उस में से एकदम गंदी बास आई। मेरे मुँह से बस ये निकल गया, "रिसी, तुमने शराब पी है ?" उसने मुझे जोर से थप्पड मार दिया। मैं तो आश्चर्य चकित रह गई। मैं वहीं बैठ गई
और रोने लगी। उसने मुझे बालों से पकड़ा और मुझे पैर से लात मारते-मारते मुझे गंदी गालियाँ सुनानी शुरु कर दी। वे तो थोड़ी देर के बाद थक कर सो गये, लेकिन मैं सारी रात रोती रही।
मानसी, जैसे जैसे समय गुज़रता गया, वैसे-वैसे उनके व्यसन, उनका स्वभाव, उनकी निष्ठरता और खराब आदतों की जानकारी मुझे होती गई। मानसी, हर दूसरे-तीसरे दिन वे मुझे मारते हैं... उनका गुस्सा तो बुरा है ही, उनका प्रेम भी भयानक है... सिगरेट और कटर बिना वो मुझे युज़ नहीं करते। मैं वेदना से चीख उठं और वे उत्तेजित हो जाते हैं. मेरी मौत.. और उनका आनंद... मानसी... मेरी स्थिति ऐसी हो गई है कि किसी लेडी डोक्टर के पास भी जाते हुए मुझे शर्म आती है। *
Before You Get Engaged
मानसी, शादी के दूसरे साल की बात है कि हमें एक होटल की पार्टी में जाना था। उस पार्टी में लगभग पन्द्रह युगल (पति-पत्नी) आने वाले थे। उसमें क्या होने वाला था इस बात का अंदाजा मुझे हो चुका था। मैं उन के पाँव पड़ गई और हार्दिक प्रार्थना की की मझे नहीं जाना है. बदले में मझे मिली गालियां और जानवरों की तरह पिटाई। मुझे वहाँ जाना ही पड़ा। उनकी तीक्ष्ण आँखों ने मुझे ड्रिंक पीने के लिए मजबूर तो किया ही... परंतु...
रिया फिर फूट-फूट कर रो पड़ी। मानसी को बाकी सारी बात का अंदाजा हो गया कि वहाँ उसके साथ क्या हुआ होगा। वह परेशान थी किन शब्दों में उसे सांत्वना दे, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। रिया थोडी शांत हई और फिर उसने बोलना शुरु किया, आज शायद उसे कुछ बाकी नहीं रखना था।
"मानसी, मैं लुट गई, एक जन्म में कितने जन्म! कितना गंदा ! कितना विकृत ! कैसे राक्षस जैसे लोग ! और कैसी नर्क जैसी पीड़ा!"
"मानसी, एकबार रात को में जाग गई, तब वे लेपटोप पर न देख सकें ऐसा देख रहे थे। अपना पति किसी स्त्री को ऐसी स्थिति में देखे, उसे कौन-सी पत्नी बरदाश कर सकती है? मैंने उसे भावनापूर्ण आवाज में प्रार्थना की, "प्लीझ, ये सब मत देखो।" वो मुझ पर एक दम गुस्सा हो गये। मुझे उन्होंने गाली दी और गुस्से तथा नशे में बोल उठे, "तुझे इतने में ही तकलीफ होती है। मैंने तो आज तक.." मुझे खयाल आ गया कि अग्नि की साक्षी में लि गयी सौगंध उसके लिए सिर्फ एक मजाक थी।
मानसी, मुझे एक बच्चा चाहिए था, जिसे मैं लाड प्यार कर अपना सब दुःख भूल जाऊँ। एक दिन मुझे खयाल आया कि मैं गर्भवती हुई हैं। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वो जैसे ही घर आए मैंने उन्हें ये समाचार दिये। मुझे लगा ये समाचार उन्हें आनंद देगा, लेकिन उनका चहेरा तो गंभीर हो गया। दूसरे ही दिन उन्होंने मुझे कह दिया कि तुझे माँ नहीं बनना है। मुझे लगा आकाश टूट पडा और मेरे पाँव के नीचे की जमीन खिसकने लगी है। मैं चार दिनों तक विलाप करती रही, प्रार्थना करती रही लेकिन वे टस से मस नहीं हुए। इस समय मैं भी झुकना नहीं चाहती थी. मैं अपने बच्चे को किस तरह...।"
उन्होंने मुझ पर भयंकर जुल्म गुजारने शुरु कर दिए, लेकिन मैं अडिग आप सगाई करें उससे पहले १६