Book Title: Sagai Karne Pahele
Author(s): Priyam
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar

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Page 15
________________ Relation With Fair Skin • —(विवाह से संबंधित प्रसिद्ध उद्योगपति... के चिरंजीव जैमिन के लिए गोरी-फेयर स्कीनवाली, आकर्षक कन्या के अभिभावक सम्पर्क करे। "ओह, श्योर, क्यों नहीं, आ... बैठ, ऐसा लगता है तू टेंशन में हैं, बोल, क्या बात है?" "मैं जिस कम्पनी में था वह मंदी की चपेट में आ गई है। इस साल बोनस रद्द हो गया, वेतन कम हो गया और पिछले हप्ते पांच सौ लोगों की छटनी कर दि गई, उस में मेरा नम्बर भी है। कार तो उन्होंने तुरंत ही ले ली और अब फ्लैट खाली कर देने का नोटिस भी आ गया है, लगभग बदलापुर में किराये पर रहने के लिए जगह मिल जायेगी।" "देख अभि, तू ऐसा मत बोल, यह घर तेरा ही है। तू आज ही यहाँ आ जा, रही बात कमाने की तो..." "यश, एक मिनट, तू किसी गलतफहमी में मत रहना, मुझे किसी की मदद नहीं चाहिए, मैं अपनी तरह से ही 'रिसेट' होना चाहता हूँ। जो बात में तुझे कहने आया हूँ, वह बात अब शुरू होती है। पिछले हफते जब मुझे निकाल दिया गया। तब से आरती का व्यवहार एकदम बदल गया लगता था। मेरे पास थोड़ा पैसा था लेकिन नया धंधा शुरु करने के लिये पैसा कम पड़ता था। चार दिन पहले मैंने उस से कहा कि अगर तेरे अमुक गहने बेच दें या गिरवी रख दें तो अपना काम हो जायेगा। वह कुछ बोली तो नहीं, लेकिन उसके चेहरे से साफ दिखाई पडता था कि उसे यह बात बिल्कुल पसंद नहीं थी... यश, मुझे बहुत धक्का लगा उसको कितने गहने तो मैंने ही गिफ्ट के रूप में दिए थे। दूसरे दिन मुझे कुछ भी कहे बिना वह अपने कपड़े-गहने और दूसरी वस्तुएं तथा कुछ नगद रकम ले कर मायके चली गई, और कल मुझे उस की तरफ से एक कवर मिला जिस में से तलाक के कागज निकले हैं, साइन कर देने के लिये, बोल अब क्या करूँ ?" आघात Share हो गया, नर्वस हो गए यश ने अपने दोनों हाथ डेस्क पर टेक दिये और अपना सिर ढंक लिया। बिस्तर पर पड़े हए अखबार के एक भाग में उसकी नजर स्थिर हो गई, वहां शादी के बारे में एक आकर्षक विज्ञापन था। २७ _Befare You Get Engaged जैमिन ने चौबिस सुंदर युवतियाँ देखी, लेकिन उस के मन को कोई पसंद नहीं आई। हर लड़की में उसे कोई न कोई कमी दिखाई दी। डेढ साल इसी तरह व्यतीत हो गया। पच्चीसवीं कन्या के साथ उसकी मुलाकात हुई। प्रथम दृष्टि में ही वह उसके मन में बस गई, ये स्वाभाविक भी था, क्योंकि वह अच्छी से अच्छी कन्याओं को पीछे छोड़ दे ऐसी कन्या था। शादी हो गई। जैमिन को तो मानो सारी दुनिया का राज मिल गया। रात और दिन वह अपनी पत्नी के विचारों में ही खोया रहता। दफ्तर से घर वापस न आए वहाँ तक भी उसका मन उस की पत्नी में ही डूबा रहता था। पल-पल पर्स में से उसकी फोटो निकाल कर देखता रहता, ऑफिस से घर में आठ-दस बार फोन न करे तो उसे चैन नहीं पड़ता था। एक शाम को उसके दफ्तर में एक फोन आया..."तुम्हारी पत्नी का कार एक्सीडेंट हो गया है, होस्पिटल में...” उसकी तो मानों साँस रुक गई, पसीने से तरबतर जैमिन होस्पिटल दौड़ गया। ऑपरेशन का बेकग्राऊंड तैयार हो गया था। डॉक्टर ऑपरेशन थियेटर के पास पहुँचा, वहाँ पर जैमिन उसके पाँव पर गिर पडा, "डॉक्टर प्लीझ, प्लीझ मेरी पत्नी को बचा लो. उसके बिना मैं जी नहीं सकुंगा, प्लीझ जो लेना हो ले लीजिए... लेकिन..." "वी विल ट्राय अवर बेस्ट..." डॉक्टर ये कह कर अंदर चले गये। दरवाजा बंद हो गया। सोफे पर दोहरी देह कर बैठा था, उसके दोनों हाथ जुड़े हुए थे और आँखे रो रो कर सज गई थी। तीन घंटे बाद ऑपरेशन पूरा हो गया। डॉक्टर बाहर आए। जैमिन खड़ा हो गया... "डॉक्टर साहब !" जैमिन की आँखों में प्रश्न था। डोक्टर ने उत्तर दिया, "दो दिन तक कुछ भी कहना मुश्किल है।" आप सगाई करें उससे पहले

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