Book Title: Sagai Karne Pahele
Author(s): Priyam
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar

View full book text
Previous | Next

Page 17
________________ रीमा, शहरी जीवन भयजनक, असुरक्षा, महंगाई, कठिन मेहनत, स्ट्रेस और टैंशन से भरा होता है जब कि गाँव के जीवन में सारा गाँव एक परिवार जैसा होता है। निडरता, सुरक्षा, कम महंगाई, आसानी और शांति जीवन में सुलभ होती है। अपनी आर्य संस्कृति में जीवन के कई सुख सहज रुप में संचित है। यह संस्कृति शहरमें मर रही है लेकिन ग्राम्य जीवन में यह अभी भी पनप रही है, जीवित है। क्या तुझे पता है शहरों की अपेक्षा गाँवों में रोग बहत कम होते हैं। शहर की अपेक्षा ग्राम्य जीवन में स्वार्थवृत्ति कम होती है। तथा शहर की अपेक्षा गाँव में तलाक की संख्या बहुत कम होती है। रीमा, तू मेरी सब से नजदीकि सखी है। तूझे पता है कि मैं तुझे जो कह रही हूँ वह तेरे भले के लिये ही कह रही हूँ, सत्य ये है कि तुझे अब हकीकत में ये सोचना है कि क्या तुझे दुःखी होना है या सुखी होना है ?" श्रेया देख रही है, रीमा सोच रही है। काम करना पडता है। बच्चों में संस्कार, घर की देख-रेख तथा खाना पकाना आदि सभी कुछ अस्तव्यस्त हो जाता है। रीमा, शहर की भीड़, ट्रान्सपोर्टेशन की परेशानियाँ, समय पर पहुँचने की चिंता, धक्का-मुक्की, ये सब तो पुरुष के लिये भी मुश्किल काम हो जाता है, तो फिर स्त्री की तो बात ही क्या करें? उसकी प्रकृति-स्वभाव, शरीर संरचना, ड्युटी... एक भी बात इस से मेल नहीं खाती है। इसका परिणाम पता है, स्वास्थ्य से भी हाथ धो बैठना, मन को निरंतर टेंशन में रखना और जो कुछ कमाया है, उसे देर सवेर मेडिकल ट्रीटमेंट में खत्म कर देना, ये कैसी मूर्खता है ! रीमा, आज चारों तरफ से वासना को भड़काने वाले हालात बढ़ रहे हैं। किस की कब कैसी वासनाए भड़क उठेगी और कौन कब किस के साथ क्या कर डालेगा, इस बात का कोई भरोसा है ? सीटी लाईफ में पुरुष और स्त्री दोनों ही अलग अलग तरह से असुरक्षित होते हैं। तु मेरी बात समझ रही है न ? रीमा, गाँव के जीवन में तुझे सिर्फ पसंदगी और मान्यता में ही समझौता करना है, जब कि शहरी जीवन में तुझे हालात के साथ समझौता करना है। तुझे स्पष्ट रूप से महसूस होगा कि तेरा बच्चा बिना किसी की देख भाल के जी रहा है, भीड़ में तेरे साथ छेड़छाड हो रही है, बोस या ऑफिस का स्टाफ व्यवहार में अपनी सीमाएँ लांघ रहा है, घर को तेरी जरूरत है और तुझे घर की ज़रुरत है, तथापि तुझे बाहर रहना पड़ता है... रीमा, तुझे पता है कि मुंबई जैसे शहरों में हर रोज सैंकडों अकस्मात होते हैं। तुझे पता है कि वहाँ सुबह घर से निकला हुआ व्यक्ति शाम को सही सलामत घर आता है तो ये एक बड़ा आश्चर्य है, लेकिन अगर उस का कोई खराब समाचार आता है तो आश्चर्य नहीं है। रीमा, तू कल्पना कर सकती है कि रोज रात को ९ बजे वापस आ जाने वाला पति, अगर साढे दस बजे तक वापस न आये और उसका फोन भी न लगता हो तब पत्नी की क्या दशा होगी? हररोज ऐसा नहीं होता, ये सब सच है, लेकिन ऐसा कभी बन ही नहीं सकता, यह बात अंधश्रद्धा नहीं है? Before You Get Engaged परलोकविरुद्धाणि कुर्वाणं दूरतस्त्यजेत् । आत्मानं योऽतिसन्धत्ते सोऽन्यस्मै स्यात् कथं हितः ?॥ जिस से परलोक में दुःखी होना पडे ऐसे काम जो करता है, उसे तो दूर से ही त्याग देना। जो अपने आप को ही धोखा देता है, वह दूसरों का भला कहाँ से करेगा? धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः ॥ जो धर्म को ठोकर मारता है, उसके जीवन में ठोकरें ही शेष रह जाती हैं। जो धर्म की रक्षा करता है, उसकी रक्षा खुद धर्म करता है। आप सगाई करें उससे पहले 30

Loading...

Page Navigation
1 ... 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34