Book Title: Sagai Karne Pahele
Author(s): Priyam
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar

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Page 12
________________ के इतिहास में तलाक जैसी घटनाएँ दूर-दूर तक कहीं दिखाई नहीं पड़ती उसका कारण 'मर्यादा' ही है। अगर जीवनभर मर्यादा ही अपेक्षित और आवश्यक बनती हो, तो बुद्धिमत्ता इसी में है कि हमारी पसंदगी हम मर्यादाशील व्यक्ति पर ही उतारें।" “सनी, अब मैं तुझे एक बात कहता हूँ। यह मेरी मान्यता नहीं है, लेकिन यह अति आधुनिक आल्फा जनरेशन की मान्यता है। इस मान्यता के आधार पर तेरी सारी बातें बेकार, यूजलेस बन जाती है। हकीकत में बात यूँ है कि यह ओपिनीयन विवाह और परिवार में मानता ही नहीं है।" "ये उनका अज्ञान है। गहन अज्ञान-डार्क इग्नोरेंस। वे जैसी जीवन शैली की कल्पना करते हैं, उसमें समाज, स्वास्थ्य, मन की शांति, आनंद, सुरक्षा, स्थिरता... कुछ भी संभव नहीं है। विदेशो में इस बात के असंख्य उदाहरण हैं। विवाह और परिवार के बिना दो ही व्यक्ति सुख से जी सकते हैं - योगी और पागल। मेरा मतलब है अगर गृहस्थ जीवन को सुखी बनाना है, तो उस के लिए मर्यादापूर्ण जीवन जीना ही एकमात्र विकल्प हो सकता है।" "वेल सनी, ऐसे तो तेरी बातों का मेरे पास कोई हल नहीं है, पर... मैं विचार करूँगा।" दिल सम्पूर्ण रूप से खोल कर बात करनी है... मुझे तेरी सलाह भी चाहिए। तेरी बात शत प्रतिशत सत्य थी, फिर भी मैंने जिद पकड़ रखी और त्विषा के साथ ही शादी की। मैं ऐसा सोचता था कि में तेरी बात गलत साबित कर के दिखाऊंगा। मैं पूरी महेनत कर के ऐसा दिखावा करने लग गया लेकिन दिखावा तो दिखावा ही होता है, और हकीकत हकीकत ही होती है। एक महीने में ही हकीकत बाहर आ गई और हमारे आपसी झघडे शुरु हो गये। मैं तो उसे एक संस्कारी, संयमी जीवन जीनेवाली हाऊस वाइफ के रूप में देखना चाहता था जब कि उसे तो अभी भी कोलेज गर्ल अथवा तो अल्ट्रा वुमन के रूप में ही जीना था। उसके तंग-चुस्त और छोटे कपड़े मेरे लिए सिरदर्द बन गये। एक बार वह बाजार जाने के लिये नीचे उतरी, मैंने खिड़की में से देखा तो सोसायटी के जवान लड़के उसे टकर-टूकर ताक रहे थे। मैंने अपनी आँखों से उनकी आँखों में वासना भरी देखी, मैं तो मानो जीते जी जलने लगा। मैं बेडरुम में गया और उसे फोन किया, “तू अभी वापस आ जा। जो चाहिए वो मैं ला कर दूंगा" उसने मेरी बात मानने से इंकार कर दिया और कहा कि उसे 'वोक' (सैर) करनी है। मैंने कहा कि, "अगर तुझे सैर ही करनी है तो कपड़े बदल कर जा, इस ड्रेस की जगह दूसरा अच्छा ड्रेस पहन ले।” सनी, तू माने गा नहीं कि मेरी इस बात से उस का कैसा दिमाग खराब हुआ... वह चिल्लाई, “तुम कहना क्या चाहते हो? क्या मेरा यह ड्रेस खराब है ? और मुझे क्या पहनना है इस बात का निर्णय मैं करुंगी, तुम्हें इन्टरफेयर करने की ज़रुरत नहीं है।" सनी, ऐसा लगा मानो जीते जी मैं नरक में आ गया हूँ। बाज़ार में सैंकडों, हजारों लोग मेरी पत्नी को बुरी नज़र से देखते होंगे, यह कल्पना ही मानो पलपल मेरा कत्ल कर रही थी। मैं क्रोध से इतना उबल रहा था कि मैंने अलमारी का शीशा तोड़ डाला और शो केस का काँच भी तोड़ डाला। मेरा दिमाग मेरे नियंत्रण में नहीं था इसलिये मुझे लगा कि अगर में घरमें रहूँगा तो शायद वह आयेगी तब मैं उस का खून कर बैठेगा। इसलिए में पार्क में चला गया। मैं वहाँ के एक बैंच पर बैठा था, पर मेरा मन... आप सगाई करें उससे पहले २२ . "हैलो, सनी, आज शाम को तेरे पास समय हैं। हाँ, तो ठीक है शाम को मिलते हैं... नहीं घर पर नहीं, छ बजे टाऊन होल के पास आना, वहीं कहीं..." ___ "सनी, तूने मुझे फिर कभी वो बात याद नहीं कराई। मेरी शादी का कार्ड तुझे मिला तब भी नहीं, और आज तक भी नहीं। शादी के समय में भी तूने तो प्रेम के साथ मुझे शुभेच्छाए ही दी थी... परंतु मैने स्वयं ही "आ बैल मुझे मार" जैसी मूर्खता पूर्ण हरकत की हो तो उस में तेरी शुभ कामनाएँ भी क्या कर सकती है ? ____सनी, मैं एक बहुत बडी प्रोब्लम में फँस गया हूँ। आज तेरे पास अपना - २१ _ _Before Jau get Engaged

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