Book Title: Sadhu Sadhvi Aradhana tatha Antkriya Vidhi Author(s): Buddhimuni, Publisher: Jain Shwetambar Shravikashram Jaipur View full book textPage 4
________________ साधुसाध्वी विधि १-श्रीशांतिनाथ देवाधिदेव आराधनार्थं करेमि काउस्सग्गं, वंदण वत्तिआए अन्नत्थ०कहकर एक नवकारका 5 पर्यंत काउस्सग्ग करें. गुरु काउस्सग्ग पारकर नमोऽर्हत्० कहकर थुइ कहें (अन्य सब जने थुइ सुन कर पारें). आराधना रोगशोकादिभिर्दोषै-रजिताय जितारये । नमः श्रीशांतये तस्मै, विहितानंतशांतये ॥१॥१॥ २-श्रीशांतिदेवता आराधनार्थं करेमि काउस्सग्गं, अन्नत्थ० कहकर एक नवकारका काउस्सग्ग करें. श्रीशांतिजिनभक्ताय, भव्याय सुखसंपदा । श्रीशांतिदेवता देया-दशांति मपनीय मे ॥१॥२॥ ३-श्रीशासन देवता आराधनार्थं करेमि काउस्सग्गं, अन्नत्थ० कहकर "चंदेसु निम्मलयरा” तक चार लोगस्सका काउस्सग्ग करें. या पाति शासनं जैन, सद्यः प्रत्यूहनाशिनी । साऽभिप्रेत समृद्धयर्थं, भूयाच्छासन देवता ॥१॥३॥ ४-क्षेत्र देवता आराधनार्थं करेमि काउस्सग्गं, अन्नत्थ० कहकर एक नवकारका काउस्सग्ग करें. यासां क्षेत्रगताः संति, साधवः श्रावकादयः । जिनाज्ञां साधयंतस्ता, रक्षतु क्षेत्रदेवताः ॥१॥४॥ ५-भुवन देवता आराधनार्थं करेमि काउस्सग्गं, अन्नत्थ. कहकर एक नवकार का काउस्सग्ग करें. Jain Education de sational For Personal Private Use Only wronw.jainelibrary.orgPage Navigation
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