Book Title: Sadhu Sadhvi Aradhana tatha Antkriya Vidhi
Author(s): Buddhimuni, 
Publisher: Jain Shwetambar Shravikashram Jaipur

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Page 11
________________ ॥९॥ साधुसाध्वी इच्छं महापारिट्ठावणिया वोसिरणऽत्थं करेमि काउस्सग्गं, अन्नत्थ० कहकर चार लोगस्स अथवा १ नवकार का || अंतिम काउसग्ग करे, पीछे पारकर प्रकट लोगस्स अथवा १ नवकार कहकर “तिविहं तिविहेण वोसिरियं” ऐसा कहे। देववंदन विधि ॥अंतिम-देव-वंदन विधिः॥ सब साधु पहरनेके सब कपडे उल्टे पहरें, यानी-डाबाछेडा ऊपर रखकर चोलपट्टा पहरें, डाबी कक्षा II (कांख-बगल) में लेकर जीमणे कंधे ऊपर पांगरणी-चद्दर ओढ कर कंबल रखें, बाद जो काल करगया हो । उसका शिष्य अथवा अन्य कोई सबसे छोटा साधु उपासरे में अवला काजा (दरवाजे तरफसे स्थापनाजी तरफ) निकाल कर एकांत में परठकर इरियावही पडिक्कमे और स्थापनाजी के सामने सबसे छोटे साधु को आगे करके जो सबसे बड़ा हो वह सबके पीछे रहे, इस तरह सब खडे रहकर आगे लिखे मुजब १ थुई से अवले | देववंदन करें। का पहले “ यदंधि नमना देव" यह महावीरस्वामी की थुई कहकर नमोऽहत्० कहें, बाद " नमो अरिहंता णं" कहकर १ नवकार का काउसग्ग करें, 'नमो अरिहंता णं' कहे बिनाही पारकर अन्नत्थ० अरिहंतचेइ ******************--***** ॐॐॐॐॐॐॐॐॐSAX Jain Education International For Personal Private Use Only wronw.jainelibrary.org

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